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बीजेपी विधायक ने PWD के खिलाफ खोला मोर्चा, बाबुओं पर BJP एमएलए के पत्रों को रोकने और भ्रष्टाचार करने का लगाया आरोप - BJP MLA wrote letter to PWD - BJP MLA WROTE LETTER TO PWD

पीडब्ल्यूडी बाबुओं पर BJP विधायक अनिल सिंह ने बड़ा आरोप लगाया है. विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे खत में उन्होंने तीन बाबुओं के नामों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि, ये हमारे पत्रों को रोकते हैं और भ्रष्टाचार करते हैं. जिनके खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है

बीजेपी विधायक ने पीडब्ल्यूडी के बाबुओं के खिलाफ खोला मोर्चा
बीजेपी विधायक ने पीडब्ल्यूडी के बाबुओं के खिलाफ खोला मोर्चा (PHOTO credits ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 2, 2024, 10:55 PM IST


लखनऊ: बीजेपी के पुरवा विधानसभा से विधायक अनिल सिंह ने लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाया है. अनिल सिंह ने ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करने और भाजपा एमएलए के पात्रों को रोकने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग से इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा है. सत्ताधारी विधायक की ओर से पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों पर खत के जरिए नाराजगी जताने को लेकर सियासी गलियारे में जमकर चर्चा हो रही है.

दरअसल, अनिल सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि, मुख्यालय पर तैनात बिरेन्द्र यादव, वीरेन्द्र कुमार यादव-2 और ओम प्रकाश पटेल तीनों प्रधान लिपिक साल 2003 से एक ही पटल पर हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत चलाये रहे अभियान के विपरीत लोक निर्माण विभाग में लगातार भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार हो रही है. बीजेपी विधायक ने मांग की है कि इनको निलम्बित करते हुए इनके संगे सबंधियों की भी आय से अधिक सम्पित्ति की जांच कराने का कष्ट करें.

पुरवा विधायक ने यह भी कहा है कि, करीब 21 सालें से तैनात रहना ट्रांसफर नीति तथा पटल परिवर्तन के नियमों का घोर उल्लघंन किया जा रहा है. राज्य सरकार और भारत सरकार की नीतियों का इन भ्रष्टाचारी बाबुओं की ओर से सरकारी सेवकों की आचरण नियमावली के खिलाफ जाकर अपने कर्तत्वों का घोर उल्लंघन किया गया है.

आरोप है कि इन कर्मचारियों की ओर से जानबूझकर सरकार की छवि को खराब करने, सरकार विरोधी गतिविधियों संलिप्त रहने का कार्य और अपने संघीय पदों का इस्तेमाल करके विभिन्न पटलों पर भाजपा विधायकों के पत्रों को रोका गया. ताकि विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्य प्रभावित हो. प्रतिनिधियों और सरकार की छवि धूमिल हो. यह आवश्यक है कि ऐसे बाबुओं का तत्काल निलम्बन कराया जाए.

वहीं इस पूरे मामले को लेकर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अजय सिंह चौहान से उनकी प्रतिक्रिया जानी चाहिए तो उन्होंने मोबाइल संदेश का कोई जवाब समाचार लिखे जाने तक नहीं दिया था.

ये भी पढ़ें: यूपी वन विभाग में घोटाला; 'बाइक-स्कूटर' से पौधे ढोए, खोदे गड्ढे, वाउचर जेसीबी-ट्रैक्टर के लगाए


लखनऊ: बीजेपी के पुरवा विधानसभा से विधायक अनिल सिंह ने लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाया है. अनिल सिंह ने ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करने और भाजपा एमएलए के पात्रों को रोकने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग से इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए कहा है. सत्ताधारी विधायक की ओर से पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों पर खत के जरिए नाराजगी जताने को लेकर सियासी गलियारे में जमकर चर्चा हो रही है.

दरअसल, अनिल सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि, मुख्यालय पर तैनात बिरेन्द्र यादव, वीरेन्द्र कुमार यादव-2 और ओम प्रकाश पटेल तीनों प्रधान लिपिक साल 2003 से एक ही पटल पर हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत चलाये रहे अभियान के विपरीत लोक निर्माण विभाग में लगातार भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार हो रही है. बीजेपी विधायक ने मांग की है कि इनको निलम्बित करते हुए इनके संगे सबंधियों की भी आय से अधिक सम्पित्ति की जांच कराने का कष्ट करें.

पुरवा विधायक ने यह भी कहा है कि, करीब 21 सालें से तैनात रहना ट्रांसफर नीति तथा पटल परिवर्तन के नियमों का घोर उल्लघंन किया जा रहा है. राज्य सरकार और भारत सरकार की नीतियों का इन भ्रष्टाचारी बाबुओं की ओर से सरकारी सेवकों की आचरण नियमावली के खिलाफ जाकर अपने कर्तत्वों का घोर उल्लंघन किया गया है.

आरोप है कि इन कर्मचारियों की ओर से जानबूझकर सरकार की छवि को खराब करने, सरकार विरोधी गतिविधियों संलिप्त रहने का कार्य और अपने संघीय पदों का इस्तेमाल करके विभिन्न पटलों पर भाजपा विधायकों के पत्रों को रोका गया. ताकि विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्य प्रभावित हो. प्रतिनिधियों और सरकार की छवि धूमिल हो. यह आवश्यक है कि ऐसे बाबुओं का तत्काल निलम्बन कराया जाए.

वहीं इस पूरे मामले को लेकर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अजय सिंह चौहान से उनकी प्रतिक्रिया जानी चाहिए तो उन्होंने मोबाइल संदेश का कोई जवाब समाचार लिखे जाने तक नहीं दिया था.

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