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लोकसभा चुनाव में 11 सीट गंवाने के बाद भाजपा को आई जनता की याद, चार दिन में ही बंद हुआ जनता दरबार, कांग्रेस ने अग्निवीर कहकर ली चुटकी - Congress targeted BJP

राजस्थान में छह महीने पहले सत्ता में आई भाजपा को लोकसभा चुनाव में 11 सीट गंवाने के बाद जनता की याद आई तो जनसुनवाई कर समस्याएं सुनी जाने लगी. लेकिन चार दिन बाद ही भाजपा का जनता दरबार बंद हो गया. जब तक जनसुनवाई चली. एक भी मंत्री जनसुनवाई में नहीं पहुंचा. अब कांग्रेस इसकी तुलना अग्निवीर योजना से कर रही है. पढ़िए यह खास रिपोर्ट.

चार दिन में ही बंद हुआ जनता दरबार
चार दिन में ही बंद हुआ जनता दरबार (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 23, 2024, 12:14 PM IST

चार दिन में ही बंद हुआ जनता दरबार (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

जयपुर. राजस्थान में करीब छह महीने पहले सत्ता की कमान संभालने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में 11 सीट गंवाने कब बाद आखिरकार जनता की याद आई. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर जनता की समस्याएं सुनने और उनके निराकरण के लिए जनसुनवाई की मुहिम छेड़ी गई. लेकिन चार दिन चलने के बाद अचानक जनसुनवाई बंद कर दी गई. खास बात यह है कि चार दिन तक जनसुनवाई चली तो भी भजनलाल सरकार का एक भी मंत्री पार्टी मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई में जनता की सुध लेने नहीं पहुंचा. अब इस जनता दरबार को फिलहाल बंद कर दिया गया है. ऐसे में सियासी गलियारों में भाजपा की जनसुनवाई शुरू होने और चार दिन बाद बंद होने को लेकर अपने-अपने हिसाब से मायने निकाले जा रहे हैं. विपक्षी दल कांग्रेस ने इसकी तुलना अग्निवीर योजना से कर दी है.

पहले ही दिन आई थी 150 से ज्यादा समस्याएं : भाजपा प्रदेश मुख्यालय में 14 जून से हर दिन दो घंटे की जनसुनवाई शुरू हुई तो लोगों को लगा कि उनकी पीड़ा बताने के लिए उन्हें एक मंच मिला है. पहले ही दिन से जनसुनवाई में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. पहले दिन जनसुनवाई में 150 से ज्यादा शिकायतें आई. अगले दिन इस आंकड़े में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, चार दिन चली जनसुनवाई में सरकार का एक भी मंत्री नहीं पहुंचा. पार्टी के महामंत्री जितेंद्र गोठवाल और दो उपाध्यक्षों ने जनसुनवाई की कमान संभाली.

पढ़ें: बीजेपी का पलटवार : धनखड़ बोले- कांग्रेस की हालत फटकारी दास की तरह, डोटासरा सिर्फ बोलते हैं, काम नहीं करते

क्या अधिकारियों ने नहीं दिखाई गंभीरता : भाजपा की जनसुनवाई में आने वाली समस्याओं को लेकर पार्टी पदाधिकारियों ने अधिकारियों को कॉल भी किया और समाधान के निर्देश दिए. हालांकि, जानकारों का मानना है कि किसी भी विभाग का मंत्री जनसुनवाई में नहीं पहुंचा तो अधिकारियों ने भी भाजपा कार्यालय से आने वाले कॉल को गंभीरता से नहीं लिया. जानकारों का यह भी मानना है कि मंत्री किसी अधिकारी को कॉल करे तो उसका ज्यादा असर होता है. पार्टी पदाधिकारियों के कॉल को अधिकारियों ने शायद ज्यादा तवज्जो नहीं दी. इसलिए जिस जोर-शोर से जनसुनवाई शुरू हुई. उतनी ही शांति के साथ जनसुनवाई बंद कर दी गई.

विधानसभा सत्र का दिया जा रहा हवाला : भाजपा विधायक और पदाधिकारी कुलदीप धनकड़ का कहना है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की ओर से जनसुनवाई जारी है. हम लोग (विधायक) भी अपने-अपने स्तर पर जनसुनवाई कर रहे हैं. पहले हमारी सरकार के समय भी जनसुनवाई की गई थी. अब 3 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है. जिसकी तैयारियां की जा रही है. इसके बाद विधिवत रूप से फिर जनसुनवाई की जाएगी. अभी भी हमारे पदाधिकारी पार्टी कार्यालय में आने वाले लोगों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से बात कर समाधान करवा रहे हैं.

बीजेपी मुख्यालय में जनसुनवाई
बीजेपी मुख्यालय में जनसुनवाई (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पूर्ववर्ती सरकार पर साधा गया निशाना : जनसुनवाई में भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार में जरूरतमंद लोगों की समस्याओं को सुना ही नहीं गया. कांग्रेस राज के गड्ढे अब जनसुनवाई में आ रहे हैं. साथ ही भाजपा नेताओं ने अधिकारियों को भी चेताया था की जनसुनवाई में आई शिकायतों का समाधान नहीं हुआ तो कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जनता से अच्छा रिस्पॉन्स मिलने के बावजूद महज चार दिन में जनसुनवाई को बंद क्यों कर दिया गया.

पढ़ें: सीएम ने जेडीए को हाइटेक सिटी बनाने के दिए निर्देश, पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ई बसें व महिलाओं के लिए जल्द बनेंगे पिंक टॉयलेट

कांग्रेस का तंज, अग्निवीर बनाकर सुनवाई बंद : राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव जसवंत गुर्जर ने जनसुनवाई बंद होने के मामले में भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, राजस्थान में भाजपा की पर्ची सरकार में आपसी समन्वय की कमी नजर आ रही है. भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष जनसुनवाई शुरू करने का एलान करके लोगों की समस्याओं का समाधान का आश्वासन भी देते हैं. इसका जोर शोर से प्रचार भी किया गया. लेकिन 4 दिन बाद ही इसे अग्निवीर बनाकर वापस बंद कर दिया गया.

कांग्रेस राज में ऐसे चली थी जनसुनवाई : दरअसल, कांग्रेस के राज में भी कांग्रेस मुख्यलय में इसी तरह से जनसुनवाई शुरू की गई थी. जिसमे बाकायदा मंत्रियों को बैठने को कहा गया. शुरुआत में सब ठीक रहा लेकिन बाद में मंत्री जनसुनवाई में जाने से बचने लगे तो कांग्रेस ने भी जनसुनवाई बंद कर दी थी. बाद में मंत्रियों को हिदायत देकर दुबारा जनसुनवाई शुरू की गई थी. कमोबेश ऐसा ही हश्र अब भाजपा मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई का होता दिख रहा है. बहरहाल, अब देखना यह है कि विधानसभा सत्र का हवाला देकर बंद की गई जनसुनवाई को भाजपा दोबारा कब शुरू करती है.

चार दिन में ही बंद हुआ जनता दरबार (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

जयपुर. राजस्थान में करीब छह महीने पहले सत्ता की कमान संभालने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में 11 सीट गंवाने कब बाद आखिरकार जनता की याद आई. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर जनता की समस्याएं सुनने और उनके निराकरण के लिए जनसुनवाई की मुहिम छेड़ी गई. लेकिन चार दिन चलने के बाद अचानक जनसुनवाई बंद कर दी गई. खास बात यह है कि चार दिन तक जनसुनवाई चली तो भी भजनलाल सरकार का एक भी मंत्री पार्टी मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई में जनता की सुध लेने नहीं पहुंचा. अब इस जनता दरबार को फिलहाल बंद कर दिया गया है. ऐसे में सियासी गलियारों में भाजपा की जनसुनवाई शुरू होने और चार दिन बाद बंद होने को लेकर अपने-अपने हिसाब से मायने निकाले जा रहे हैं. विपक्षी दल कांग्रेस ने इसकी तुलना अग्निवीर योजना से कर दी है.

पहले ही दिन आई थी 150 से ज्यादा समस्याएं : भाजपा प्रदेश मुख्यालय में 14 जून से हर दिन दो घंटे की जनसुनवाई शुरू हुई तो लोगों को लगा कि उनकी पीड़ा बताने के लिए उन्हें एक मंच मिला है. पहले ही दिन से जनसुनवाई में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. पहले दिन जनसुनवाई में 150 से ज्यादा शिकायतें आई. अगले दिन इस आंकड़े में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, चार दिन चली जनसुनवाई में सरकार का एक भी मंत्री नहीं पहुंचा. पार्टी के महामंत्री जितेंद्र गोठवाल और दो उपाध्यक्षों ने जनसुनवाई की कमान संभाली.

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क्या अधिकारियों ने नहीं दिखाई गंभीरता : भाजपा की जनसुनवाई में आने वाली समस्याओं को लेकर पार्टी पदाधिकारियों ने अधिकारियों को कॉल भी किया और समाधान के निर्देश दिए. हालांकि, जानकारों का मानना है कि किसी भी विभाग का मंत्री जनसुनवाई में नहीं पहुंचा तो अधिकारियों ने भी भाजपा कार्यालय से आने वाले कॉल को गंभीरता से नहीं लिया. जानकारों का यह भी मानना है कि मंत्री किसी अधिकारी को कॉल करे तो उसका ज्यादा असर होता है. पार्टी पदाधिकारियों के कॉल को अधिकारियों ने शायद ज्यादा तवज्जो नहीं दी. इसलिए जिस जोर-शोर से जनसुनवाई शुरू हुई. उतनी ही शांति के साथ जनसुनवाई बंद कर दी गई.

विधानसभा सत्र का दिया जा रहा हवाला : भाजपा विधायक और पदाधिकारी कुलदीप धनकड़ का कहना है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की ओर से जनसुनवाई जारी है. हम लोग (विधायक) भी अपने-अपने स्तर पर जनसुनवाई कर रहे हैं. पहले हमारी सरकार के समय भी जनसुनवाई की गई थी. अब 3 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है. जिसकी तैयारियां की जा रही है. इसके बाद विधिवत रूप से फिर जनसुनवाई की जाएगी. अभी भी हमारे पदाधिकारी पार्टी कार्यालय में आने वाले लोगों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से बात कर समाधान करवा रहे हैं.

बीजेपी मुख्यालय में जनसुनवाई
बीजेपी मुख्यालय में जनसुनवाई (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

पूर्ववर्ती सरकार पर साधा गया निशाना : जनसुनवाई में भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार में जरूरतमंद लोगों की समस्याओं को सुना ही नहीं गया. कांग्रेस राज के गड्ढे अब जनसुनवाई में आ रहे हैं. साथ ही भाजपा नेताओं ने अधिकारियों को भी चेताया था की जनसुनवाई में आई शिकायतों का समाधान नहीं हुआ तो कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जनता से अच्छा रिस्पॉन्स मिलने के बावजूद महज चार दिन में जनसुनवाई को बंद क्यों कर दिया गया.

पढ़ें: सीएम ने जेडीए को हाइटेक सिटी बनाने के दिए निर्देश, पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ई बसें व महिलाओं के लिए जल्द बनेंगे पिंक टॉयलेट

कांग्रेस का तंज, अग्निवीर बनाकर सुनवाई बंद : राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव जसवंत गुर्जर ने जनसुनवाई बंद होने के मामले में भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, राजस्थान में भाजपा की पर्ची सरकार में आपसी समन्वय की कमी नजर आ रही है. भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष जनसुनवाई शुरू करने का एलान करके लोगों की समस्याओं का समाधान का आश्वासन भी देते हैं. इसका जोर शोर से प्रचार भी किया गया. लेकिन 4 दिन बाद ही इसे अग्निवीर बनाकर वापस बंद कर दिया गया.

कांग्रेस राज में ऐसे चली थी जनसुनवाई : दरअसल, कांग्रेस के राज में भी कांग्रेस मुख्यलय में इसी तरह से जनसुनवाई शुरू की गई थी. जिसमे बाकायदा मंत्रियों को बैठने को कहा गया. शुरुआत में सब ठीक रहा लेकिन बाद में मंत्री जनसुनवाई में जाने से बचने लगे तो कांग्रेस ने भी जनसुनवाई बंद कर दी थी. बाद में मंत्रियों को हिदायत देकर दुबारा जनसुनवाई शुरू की गई थी. कमोबेश ऐसा ही हश्र अब भाजपा मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई का होता दिख रहा है. बहरहाल, अब देखना यह है कि विधानसभा सत्र का हवाला देकर बंद की गई जनसुनवाई को भाजपा दोबारा कब शुरू करती है.

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