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भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव, बीजेपी डाल-डाल तो कांग्रेस पात-पात - Kedarnath assembly by election - KEDARNATH ASSEMBLY BY ELECTION

Kedarnath Assembly By Election 2024 केदारनाथ विधानसभा सीट पर जीत के लिए राजनीतिक दलों की कसरत तेज हो गई है. सत्ताधारी उपचुनाव को अपने कब्जे में करने के लिए कई प्रयोग कर रहे हैं तो कांग्रेस को जीत का मंत्र बदरीनाथ सीट से मिला है.विपक्षी दल के पास धामी सरकार के खिलाफ लहर को भुनाने का बड़ा मौका है और इसी रणनीति पर कांग्रेस चुनाव जीतने का दंभ भी भर रही है.

Kedarnath Assembly by election
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 1, 2024, 7:02 AM IST

देहरादून: जुलाई 2024 में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट के उपचुनाव का परिणाम घोषित किया गया. बड़ी बात यह थी कि सत्ताधारी भाजपा इन दोनों ही सीटों को जीतने में कामयाब नहीं हो पाई और कांग्रेस ने उपचुनाव आसानी से जीत लिया. जबकि अमूमन उपचुनाव में सत्ताधारी दल का ही दबाव होने की बात कही जाती है और उत्तराखंड में उपचुनाव सत्ताधारी दलों के नाम ही रहे हैं. दरअसल भाजपा की विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट रिक्त हुई है. अब इस सीट पर उपचुनाव होना है. उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ को लेकर विशेष लगाव रहा है और इसलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अब तक कई बार केदार धाम पहुंचकर बाबा के दर्शन किए हैं. शायद यही कारण है कि यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी मानी जा रही है.

केदारनाथ सीट नहीं खोना चाहती धामी सरकार: भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के झंडे के साथ तमाम चुनावों में रणनीतिक रूप से काम करती रही है. केदारनाथ हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है और बदरीनाथ विधानसभा सीट हारने के बाद भाजपा केदारनाथ को बिल्कुल भी खोना नहीं चाहेगी. दरअसल केदारनाथ सीट को हारने का मतलब हिंदुत्व के गढ़ में अपनी पकड़ कमजोर करना होगा. भारतीय जनता पार्टी पहले अयोध्या और फिर बदरीनाथ सीट पर हारने के बाद पहले ही विपक्ष के निशाने पर रही है. अब केदारनाथ सीट को धामी सरकार किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहेगी, क्योंकि इसका असर न केवल उत्तराखंड बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा.

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासत तेज (Video- ETV Bharat)

कांग्रेस कर रही खासी मेहनत: उधर दूसरी तरफ कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव के महत्व को समझते हुए पहले ही केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा निकालकर चुनावी आगाज कर दिया था.हालांकि पार्टी के भीतर गुटबाजी जगजाहिर है. लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और गणेश गोदियाल इस सीट को जीतने के लिए खास तौर पर मेहनत करते दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से इस सीट के लिए वैसे तो कई दावेदार हैं, लेकिन माना जा रहा है कि हरीश रावत के करीबी और इस सीट पर पूर्व विधायक मनोज रावत को टिकट दिया जाना पक्का है. हालांकि उनको लेकर कई स्थानीय लोगों की नाराजगी पार्टी को चुनाव में बड़ी चुनौती दे सकती है.

सरकार विरोधी लहर कांग्रेस का हथियार: लेकिन सरकार विरोधी लहर को कांग्रेस अपना हथियार बनाकर बदरीनाथ की रणनीति के तहत ही केदारनाथ में भी जीत हासिल करना चाहती है. केदारनाथ धाम क्षेत्र में पंडा, पुजारी समाज सरकार की नीतियों को लेकर विरोध करता रहा है. इसके अलावा पिछले दिनों केदारनाथ धाम में सोना चोरी के मामले ने भी खासा तूल पकड़ा था. इतना ही नहीं दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण पर भी सरकार के खिलाफ बाद माहौल बना था, जिस पर सरकार को अपनी सफाई भी पेश करनी पड़ी थी. उधर दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी इस सीट पर अपने कई मंत्रियों की बदौलत जीत का दावा कर रही है.

धामी सरकार ने लिए दो बड़े फैसले: धामी सरकार के कई मंत्री केदारनाथ सीट पर पसीना बहा रहे हैं. हाल ही में धामी सरकार ने दो बड़े फैसले भी किए. जिसमें पहला बिजली के बिल में सब्सिडी का है और दूसरा भू कानून से जुड़ा है. हालांकि कांग्रेस यह साफ कर चुकी है कि भू कानून को लेकर भाजपा ने जो दांव चला है, उसका फायदा उसे चुनाव में नहीं होगा. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस इससे उलट केदारनाथ सीट पर सरकार के अच्छे कामों को ले जाकर जीत का दावा कर रही है. भू कानून के निर्णय को केदारनाथ चुनाव से जोड़कर ना देखने की भी बात कह रही है.
पढ़ें-केदारनाथ विधानसभा में काबीना मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरे, मंत्री सुबोध उनियाल और गढ़वाल सांसद ने सुनीं समस्याएं

देहरादून: जुलाई 2024 में बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट के उपचुनाव का परिणाम घोषित किया गया. बड़ी बात यह थी कि सत्ताधारी भाजपा इन दोनों ही सीटों को जीतने में कामयाब नहीं हो पाई और कांग्रेस ने उपचुनाव आसानी से जीत लिया. जबकि अमूमन उपचुनाव में सत्ताधारी दल का ही दबाव होने की बात कही जाती है और उत्तराखंड में उपचुनाव सत्ताधारी दलों के नाम ही रहे हैं. दरअसल भाजपा की विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट रिक्त हुई है. अब इस सीट पर उपचुनाव होना है. उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ को लेकर विशेष लगाव रहा है और इसलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अब तक कई बार केदार धाम पहुंचकर बाबा के दर्शन किए हैं. शायद यही कारण है कि यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी मानी जा रही है.

केदारनाथ सीट नहीं खोना चाहती धामी सरकार: भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के झंडे के साथ तमाम चुनावों में रणनीतिक रूप से काम करती रही है. केदारनाथ हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है और बदरीनाथ विधानसभा सीट हारने के बाद भाजपा केदारनाथ को बिल्कुल भी खोना नहीं चाहेगी. दरअसल केदारनाथ सीट को हारने का मतलब हिंदुत्व के गढ़ में अपनी पकड़ कमजोर करना होगा. भारतीय जनता पार्टी पहले अयोध्या और फिर बदरीनाथ सीट पर हारने के बाद पहले ही विपक्ष के निशाने पर रही है. अब केदारनाथ सीट को धामी सरकार किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहेगी, क्योंकि इसका असर न केवल उत्तराखंड बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी होगा.

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासत तेज (Video- ETV Bharat)

कांग्रेस कर रही खासी मेहनत: उधर दूसरी तरफ कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव के महत्व को समझते हुए पहले ही केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा निकालकर चुनावी आगाज कर दिया था.हालांकि पार्टी के भीतर गुटबाजी जगजाहिर है. लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और गणेश गोदियाल इस सीट को जीतने के लिए खास तौर पर मेहनत करते दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से इस सीट के लिए वैसे तो कई दावेदार हैं, लेकिन माना जा रहा है कि हरीश रावत के करीबी और इस सीट पर पूर्व विधायक मनोज रावत को टिकट दिया जाना पक्का है. हालांकि उनको लेकर कई स्थानीय लोगों की नाराजगी पार्टी को चुनाव में बड़ी चुनौती दे सकती है.

सरकार विरोधी लहर कांग्रेस का हथियार: लेकिन सरकार विरोधी लहर को कांग्रेस अपना हथियार बनाकर बदरीनाथ की रणनीति के तहत ही केदारनाथ में भी जीत हासिल करना चाहती है. केदारनाथ धाम क्षेत्र में पंडा, पुजारी समाज सरकार की नीतियों को लेकर विरोध करता रहा है. इसके अलावा पिछले दिनों केदारनाथ धाम में सोना चोरी के मामले ने भी खासा तूल पकड़ा था. इतना ही नहीं दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण पर भी सरकार के खिलाफ बाद माहौल बना था, जिस पर सरकार को अपनी सफाई भी पेश करनी पड़ी थी. उधर दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी इस सीट पर अपने कई मंत्रियों की बदौलत जीत का दावा कर रही है.

धामी सरकार ने लिए दो बड़े फैसले: धामी सरकार के कई मंत्री केदारनाथ सीट पर पसीना बहा रहे हैं. हाल ही में धामी सरकार ने दो बड़े फैसले भी किए. जिसमें पहला बिजली के बिल में सब्सिडी का है और दूसरा भू कानून से जुड़ा है. हालांकि कांग्रेस यह साफ कर चुकी है कि भू कानून को लेकर भाजपा ने जो दांव चला है, उसका फायदा उसे चुनाव में नहीं होगा. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस इससे उलट केदारनाथ सीट पर सरकार के अच्छे कामों को ले जाकर जीत का दावा कर रही है. भू कानून के निर्णय को केदारनाथ चुनाव से जोड़कर ना देखने की भी बात कह रही है.
पढ़ें-केदारनाथ विधानसभा में काबीना मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरे, मंत्री सुबोध उनियाल और गढ़वाल सांसद ने सुनीं समस्याएं

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