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संविधान की हत्या मामले में झामुमो को भाजपा ने घेरा, कांग्रेस के साथ  सत्ता के लिए गलबहियां का लगाया आरोप - BJP on Samvidhan hatya divas - BJP ON SAMVIDHAN HATYA DIVAS

Samvidhan hatya divas. केंद्र सरकार के संविधान हत्या दिवस मनाने पर झामुमो बीजेपी पर तीखा हमला किया था और राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की थी. जिसके बाद अब बीजेपी ने पलटवार किया है.

BJP ON SAMVIDHAN HATYA DIVAS
प्रतुल शाहदेव (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 13, 2024, 10:17 PM IST

रांची: संविधान हत्या दिवस पर झामुमो की तीखी प्रतिक्रिया का भाजपा ने भी जवाब दिया है. प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस ने 25 जून, 1975 को संविधान की हत्या का प्रयास किया था. देश के सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए थे. आज झारखंड मुक्ति मोर्चा को इमरजेंसी की तिथि को संविधान हत्या दिवस मनाने पर इतनी मिर्ची लग रही है कि वह बौखला गई है.

प्रतुल ने कहा यह सिर्फ सत्ता में बने रहने का लोभ है जो झारखंड मुक्ति मोर्चा को उसके पुराने इतिहास को भी भूलने को मजबूर कर रहा है. प्रतुल ने आश्चर्य व्यक्त किया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आज यह भूल गया है कि शिबू सोरेन इसी इमरजेंसी के दौर में सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ जंगलों में छिपकर आंदोलन किया करते थे.

प्रतुल ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता की फर्जी दुहाई देने वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा इमरजेंसी के उस काले दौर को भूल गया जब अखबारों के प्रथम पृष्ठ को केंद्र सरकार का पीआरडी डिपार्टमेंट अप्रूव करता था. प्रतुल ने कहा कि बिना बेल प्रोविजन वाले मीसा कानून के जरिए तो सैकड़ों राजनीतिज्ञ, बुद्धिजीवी और पत्रकारों को वर्षों तक जेल में बंद करके रखा गया.

आरएसएस जैसे सामाजिक संगठनों को टारगेट किया गया और उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. आरएसएस प्रमुख की गिरफ्तारी हो गई. तीन सबसे सीनियर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरीयता को नजरअंदाज करते हुए वरीयता क्रम में चौथे वरीय न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया.

प्रतुल ने कहा कि सिर्फ सत्ता और सुविधा की राजनीति के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा इस बात को भूल रहा है कि इमरजेंसी के उस दौर में जबरन पुरुषों की नसबंदी कराई गई. पूरे देश में भय और दहशत का माहौल था. कहने को तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी लेकिन परोक्ष रूप से सरकार उनके पुत्र संजय गांधी चलाया करते थे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह बात स्मरण नहीं कि 1975 का आपातकाल इंदिरा गांधी ने सिर्फ अपनी कुर्सी को बचाने के लिए लगाया था, जब उनकी सदस्यता इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी थी. प्रतुल ने कहा कि इसी इमरजेंसी के काले दौर के दौरान 42 वें संशोधन को लागू करके इंदिरा गांधी ने, राज्य सरकार, सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय की शक्तियों में कटौती करके सारी शक्तियां पीएमओ में निहित कर लिया था. प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सभी राजनीतिक मर्यादा और शुचिता को छोड़ते हुए आज इमरजेंसी को संविधान हत्या दिवस मानने से इनकार किया. प्रजातांत्रिक मूल्यों का झारखंड मुक्ति मोर्चा में कोई स्थान नहीं.

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रांची: संविधान हत्या दिवस पर झामुमो की तीखी प्रतिक्रिया का भाजपा ने भी जवाब दिया है. प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस ने 25 जून, 1975 को संविधान की हत्या का प्रयास किया था. देश के सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए थे. आज झारखंड मुक्ति मोर्चा को इमरजेंसी की तिथि को संविधान हत्या दिवस मनाने पर इतनी मिर्ची लग रही है कि वह बौखला गई है.

प्रतुल ने कहा यह सिर्फ सत्ता में बने रहने का लोभ है जो झारखंड मुक्ति मोर्चा को उसके पुराने इतिहास को भी भूलने को मजबूर कर रहा है. प्रतुल ने आश्चर्य व्यक्त किया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आज यह भूल गया है कि शिबू सोरेन इसी इमरजेंसी के दौर में सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ जंगलों में छिपकर आंदोलन किया करते थे.

प्रतुल ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता की फर्जी दुहाई देने वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा इमरजेंसी के उस काले दौर को भूल गया जब अखबारों के प्रथम पृष्ठ को केंद्र सरकार का पीआरडी डिपार्टमेंट अप्रूव करता था. प्रतुल ने कहा कि बिना बेल प्रोविजन वाले मीसा कानून के जरिए तो सैकड़ों राजनीतिज्ञ, बुद्धिजीवी और पत्रकारों को वर्षों तक जेल में बंद करके रखा गया.

आरएसएस जैसे सामाजिक संगठनों को टारगेट किया गया और उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. आरएसएस प्रमुख की गिरफ्तारी हो गई. तीन सबसे सीनियर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरीयता को नजरअंदाज करते हुए वरीयता क्रम में चौथे वरीय न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया.

प्रतुल ने कहा कि सिर्फ सत्ता और सुविधा की राजनीति के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा इस बात को भूल रहा है कि इमरजेंसी के उस दौर में जबरन पुरुषों की नसबंदी कराई गई. पूरे देश में भय और दहशत का माहौल था. कहने को तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी लेकिन परोक्ष रूप से सरकार उनके पुत्र संजय गांधी चलाया करते थे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह बात स्मरण नहीं कि 1975 का आपातकाल इंदिरा गांधी ने सिर्फ अपनी कुर्सी को बचाने के लिए लगाया था, जब उनकी सदस्यता इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी थी. प्रतुल ने कहा कि इसी इमरजेंसी के काले दौर के दौरान 42 वें संशोधन को लागू करके इंदिरा गांधी ने, राज्य सरकार, सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय की शक्तियों में कटौती करके सारी शक्तियां पीएमओ में निहित कर लिया था. प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सभी राजनीतिक मर्यादा और शुचिता को छोड़ते हुए आज इमरजेंसी को संविधान हत्या दिवस मानने से इनकार किया. प्रजातांत्रिक मूल्यों का झारखंड मुक्ति मोर्चा में कोई स्थान नहीं.

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