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फलोदी के खींचन में मेहमान पक्षी कुरजां की मौत का कारण बर्ड फ्लू - DEATH OF CRANES IN PHALODI

फलोदी जिले के खींचन में प्रवासी पक्षी कुरजां की मौत का कारण बर्ड फ्लू आया है. इससे पहले फूड पॉइजनिंग मानी जा रही रही थी.

Death of Cranes in Phalodi
फलोदी के खींचन में मेहमान पक्षी कुरजां की मौत का कारण बर्ड फ्लू (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जोधपुर: सर्दियों में प्रवास के लिए हजारों किमी की यात्रा कर भारत आने वाले मेहमान परिन्दे कुरजां (डोमिसाइल क्रेन) का फलोदी क्षेत्र में बीमार होकर मरने की वजह पहले फूड पॉइजनिंग मानी जा रही रही थी, लेकिन अब इसका कारण बर्ड फ्लू सामने आया है. जिन मृत कुरजां के विसरा वन विभाग ने जांच के लिए भेजे थे, भोपाल की लैब की रिपोर्ट में इनकी मौत की आशंका बर्ड फ्लू वायरस एच5 एन1 से मानी जा रही है. हालांकि एक ही सैंपल में वायरस आना बताया जा रहा है. ऐसे में इसके फैलने की आशंका कम है. राहत की बात यह है कि इस वायरस का ह्यूमन में ट्रांसफॉर्मेशन राजस्थान में कभी नहीं पाया गया है. इधर, फलोदी के जिला कलेक्टर हरजी लाल अटल ने शुक्रवार को बैठक कर संबंधित अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के सदस्य डॉ दाऊलाल बोहरा ने बताया कि फलोदी के खींचन में सात डोमिसाइल क्रेन 'कुरजां' की मौत हो गई थी. इसकी जांच भोपाल के लैब में कराई गई. उस जांच में कुरजां की मौत बर्डफ्लू वायरस H5N1 की आशंका जताई गई है. इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी गई है. कलेक्टर ने बताया कि एक सैंपल में वायरस की आशंका जताई गई है. ऐसे में सभी को सावचेति बरतने का कहा है.

पढ़ें: खेतों में कीटनाशक से कुरजां की हो रही मौत! 3676 किमी की दूरी तय कर पहुंचते हैं खींचन

पर्यटकों की आवाजाही रोकी: वन विभाग के कृष्ण कुमार व्यास ने बताया कि बर्ड फ्लू की आशंका के चलते विभाग की टीम अलर्ट मोड पर है. प्रशाशन के साथ बैठक हो गई है. आमजन और पर्यटकों को कुरजां के कॉन्टैक्ट में आने से मना किया है. स्थल के पास जाने के लिए रोका जा रहा है. व्यास ने बताया कि दो दिन में किसी बर्ड की मौत नहीं हुई है. हर स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है.

चार दिन में मरी थी सात कुरजां: खींचन में 15 दिसम्बर से 19 दिसम्बर तक पांच दिनों में सात कुरजां की मौत हुई थी. इसका कारण खेतों में पेस्टीसाइड्स युक्त पदार्थ खाने से फूड पॉइजनिंग का शिकार माना जा रहा था, लेकिन विभाग मृत बर्ड के विसरा जांच के लिए भोपाल भेजे थे. इनकी प्रारंभिक रिपोर्ट में बर्ड फ्लू वायरस मौत का कारण बताया जा रहा है, हालांकि अभी कुछ बर्डस की रिपोर्ट अभी आना बाकी है. फिलहाल रेस्क्यू सेंटर में सभी तरह की व्यवस्थाएं की गई है.

2021 में भी हुई थी मौत: डॉ. दाऊलाल ने बताया कि बर्ड फ्लू वायरस H5N1 से पहले 2021 में जोधपुर के निकट कापरडा में कुरजां की मौत हुई थी. समय रहते उस पर नियंत्रण पा लिया गया था. उन्होंने बताया कि इस वायरस का अभी तक राजस्थान में किसी मनुष्य में ट्रांसफॉर्मेशन नहीं पाया गया है. अगर नजदीकी पोल्ट्री फार्म होता है तो चिंता का विषय हो सकता है. फिलहाल कोई नई मौत की जानकारी नहीं है. विभाग ने समय रहते ही बचाव के कदम उठा लिए.

जोधपुर: सर्दियों में प्रवास के लिए हजारों किमी की यात्रा कर भारत आने वाले मेहमान परिन्दे कुरजां (डोमिसाइल क्रेन) का फलोदी क्षेत्र में बीमार होकर मरने की वजह पहले फूड पॉइजनिंग मानी जा रही रही थी, लेकिन अब इसका कारण बर्ड फ्लू सामने आया है. जिन मृत कुरजां के विसरा वन विभाग ने जांच के लिए भेजे थे, भोपाल की लैब की रिपोर्ट में इनकी मौत की आशंका बर्ड फ्लू वायरस एच5 एन1 से मानी जा रही है. हालांकि एक ही सैंपल में वायरस आना बताया जा रहा है. ऐसे में इसके फैलने की आशंका कम है. राहत की बात यह है कि इस वायरस का ह्यूमन में ट्रांसफॉर्मेशन राजस्थान में कभी नहीं पाया गया है. इधर, फलोदी के जिला कलेक्टर हरजी लाल अटल ने शुक्रवार को बैठक कर संबंधित अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के सदस्य डॉ दाऊलाल बोहरा ने बताया कि फलोदी के खींचन में सात डोमिसाइल क्रेन 'कुरजां' की मौत हो गई थी. इसकी जांच भोपाल के लैब में कराई गई. उस जांच में कुरजां की मौत बर्डफ्लू वायरस H5N1 की आशंका जताई गई है. इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी गई है. कलेक्टर ने बताया कि एक सैंपल में वायरस की आशंका जताई गई है. ऐसे में सभी को सावचेति बरतने का कहा है.

पढ़ें: खेतों में कीटनाशक से कुरजां की हो रही मौत! 3676 किमी की दूरी तय कर पहुंचते हैं खींचन

पर्यटकों की आवाजाही रोकी: वन विभाग के कृष्ण कुमार व्यास ने बताया कि बर्ड फ्लू की आशंका के चलते विभाग की टीम अलर्ट मोड पर है. प्रशाशन के साथ बैठक हो गई है. आमजन और पर्यटकों को कुरजां के कॉन्टैक्ट में आने से मना किया है. स्थल के पास जाने के लिए रोका जा रहा है. व्यास ने बताया कि दो दिन में किसी बर्ड की मौत नहीं हुई है. हर स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है.

चार दिन में मरी थी सात कुरजां: खींचन में 15 दिसम्बर से 19 दिसम्बर तक पांच दिनों में सात कुरजां की मौत हुई थी. इसका कारण खेतों में पेस्टीसाइड्स युक्त पदार्थ खाने से फूड पॉइजनिंग का शिकार माना जा रहा था, लेकिन विभाग मृत बर्ड के विसरा जांच के लिए भोपाल भेजे थे. इनकी प्रारंभिक रिपोर्ट में बर्ड फ्लू वायरस मौत का कारण बताया जा रहा है, हालांकि अभी कुछ बर्डस की रिपोर्ट अभी आना बाकी है. फिलहाल रेस्क्यू सेंटर में सभी तरह की व्यवस्थाएं की गई है.

2021 में भी हुई थी मौत: डॉ. दाऊलाल ने बताया कि बर्ड फ्लू वायरस H5N1 से पहले 2021 में जोधपुर के निकट कापरडा में कुरजां की मौत हुई थी. समय रहते उस पर नियंत्रण पा लिया गया था. उन्होंने बताया कि इस वायरस का अभी तक राजस्थान में किसी मनुष्य में ट्रांसफॉर्मेशन नहीं पाया गया है. अगर नजदीकी पोल्ट्री फार्म होता है तो चिंता का विषय हो सकता है. फिलहाल कोई नई मौत की जानकारी नहीं है. विभाग ने समय रहते ही बचाव के कदम उठा लिए.

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