बिलासपुर: बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक दल अपना चुनावी समीकरण बना रहे हैं. जातिगत वोट के साथ ही पार्टी के कैडर वोट के साथ जीत और हार का पैमाना तय कर रहे हैं, हालांकि जिस तरह से चुनावी मैदान में अब 37 उम्मीदवार फाइट में आ चुके हैं. इससे लगता है कि दोनों प्रमुख पार्टियों का समीकरण बिगड़ सकता है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में 42 लोगों का नामांकन स्वीकृत हुआ था, जिनमें 5 लोगों ने नाम वापस ले लिया है. ऐसे में अब चुनावी मैदान में 37 उम्मीदवार हैं. इस सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस को जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा. क्योंकि निर्दलीय प्रत्याशी भी यहां जीत के लिए दम भर रहे हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इस क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी दोनों प्रमुख दलों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं.
निर्दलीय प्रत्याशी बिगाड़ सकते हैं क्षेत्र का समीकरण: दरअसल, बिलासपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस, भाजपा का समीकरण बिगाड़ने वाले कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूद चुके हैं. कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा में भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने तोखन साहू को प्रत्याशी बनाया है. क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस में जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशियों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये दोनों प्रमुख दलों का सियासी समीकरण बिगड़ सकता है.
"बिलासपुर लोकसभा में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है, लेकिन दोनों ही पार्टी जीत के लिए दवा नहीं कर सकते. जिस तरह से बिलासपुर लोकसभा में 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है, उससे लगता है कि पार्टियों का समीकरण बिगड़ सकता है.": भास्कर मिश्रा, राजनीति के जानकार
ग्रामीण क्षेत्रों में हमर राज पार्टी का प्रभाव: सबसे ज्यादा नुकसान हमर राज पार्टी कर सकती है. हमर राज पार्टी से सुदीप श्रीवास्तव प्रत्याशी हैं. सुदीप श्रीवास्तव कांग्रेस सपोर्टर रहे हैं. बड़े नेताओं से उनका सीधा संबंध है. उनके नामांकन दाखिल करने से कांग्रेस का आदिवासी वोट बैंक पर असर पड़ सकता है. हमर राज पार्टी पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता रहे अरविंद नेताम ने बनाई है. उन्हें बिलासपुर विधानसभा में आदिवासी समाज का काफी समर्थन मिला था. यही कारण है कि अब तक जिन आदिवासी मतदाताओं का वोट कांग्रेस को मिलता रहा है, उनमें अब सेंध लग सकती है.
जानिए क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट: इस बारे में ईटीवी भारत ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट भास्कर मिश्रा से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, ग्रामीण क्षेत्र के कई प्रभावशाली नेता चुनाव लड़ने वाले हैं. नामांकन दाखिल करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों से भाजपा, कांग्रेस को खतरा हो सकता है. यदि कोई बड़ा चेहरा हो तो वह जीत भी सकता है और हरा भी सकता है. बड़ा चेहरा होने से वह अपने क्षेत्र के 8 से 10 गांव में प्रभावशाली रहता है और क्षेत्रीय होने के नाते उसे मतदाता वोट भी करते हैं. ऐसे में जीत हार का समीकरण बनाने वाली पार्टियों का समीकरण बिगड़ जाता है. भले ही निर्दलीय प्रत्याशी जीत ना सके, लेकिन वह हार का कारण भी बनता है."