पटना: बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर सांसद बन गए हैं. जेडीयू के टिकट पर वह सीतामढ़ी लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं. देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद अब सभापति की कुर्सी खाली होने वाली है. इसके लिए कई नामों की चर्चा है. हालांकि बीजेपी के पास विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी है, ऐसे में विधान परिषद के सभापति की कुर्सी जेडीयू के पास ही रहेगी.
इन नामों की चर्चाः जिस नामों की चर्चा है उसमें जदयू के वरिष्ठ विधान पार्षद राम वचन राय नंबर एक पर हैं. गुलाम गौस के नाम की भी चर्चा हो रही है. गुलाम गौस मुस्लिम वर्ग से आते हैं और विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार गुलाम गौस को सभापति बना कर एक मैसेज दे सकते हैं. इसके अलावा संजीव कुमार सिंह और नीरज कुमार के नाम की चर्चा भी हो रही है. दोनों लंबे समय से विधान परिषद के सदस्य हैं. नीरज कुमार जदयू के मुख्य प्रवक्ता भी हैं और नीतीश कुमार के खास भी माने जाते हैं.
'नीतीश कुमार जिसे चाहेंगे वही बनेंगे': नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का कहना है विधान परिषद के सभापति की कुर्सी पर योग्य व्यक्ति को ही बैठाया जाएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे पार्टी के नेता मानेंगे. क्या जदयू के पास ही विधान परिषद की कुर्सी रहेगी? इस पर भी संजय गांधी का कहना है कि यह भी फैसला नीतीश कुमार ही करेंगे.
"देवेश चंद्र ठाकुर सांसद बन गए हैं तो त्याग पत्र देंगे. इससे पद खाली हो जाएगा. कौन बनेगा इसका तय नीतीश कुमार करेंगे. वही कैंडिडेट देंगे. जो सही होगा उसी को बनाया जाएगा." -संजय गांधी, एमएलसी जदयू
जदयू MLC की एक संख्या घटेगीः ऐसे जिन नाम की चर्चा हो रही है. सभी को अपने नेता पर भरोसा है. फिलहाल नेता इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर रहे हैं. बिहार विधान परिषद में कुल 75 सदस्य हैं. इसमें बीजेपी 24 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. उसके बाद जदयू के 21 सदस्य हैं. देवेश चंद्र ठाकुर का सीट भी खाली हो रहा है जिस पर आने वाले समय में चुनाव होगा. ऐसे में जदयू के सदस्यों की संख्या घटकर 20 हो जाएगी.
जदयू नेता ही बनेंगे सभापतिः बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच यह समझौता रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी जिस पार्टी के पास रही है तो विधान परिषद की कुर्सी दूसरे को मिली है. इसके तहत इस बार विधान परिषद की कुर्सी फिर से जदयू को मिलना तय माना जा रहा है. ऐसे नीतीश कुमार चाहेंगे तो बीजेपी को वह भी कुर्सी दे सकते हैं.
सभापति का चयन अहम: बीजेपी से अवधेश नारायण सिंह एक नंबर पर हो सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना इस बार कम है. क्योंकि नीतीश कुमार जब महागठबंधन में गए थे तो अवधेश नारायण सिंह ही सभापति की कुर्सी पर थे. उन्हें सभापति की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी उसके बाद ही देवेश चंद्र ठाकुर सभापति बने थे. अब देवेशचंद्र ठाकुर सांसद बन गए हैं तो ऐसे में सभापति का चयन अहम हो गया है.
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