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'कैथी लिपि' बनी बिहार भूमि सर्वे की बड़ी चुनौती, दस्तावेज समझने के लिए जानकारों की कमी से हो रही परेशानी - Bihar land survey - BIHAR LAND SURVEY

बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्य चल रहा है. सरकार का कहना है कि बिहार में भूमि विवाद को लेकर अक्सर मारपीट और हत्या की खबर सामने आते रहती है. सर्वे होने के बाद जमीन विवाद भी घटेगा और भू माफिया पर भी लगाम लगायी जा सकेगी. लेकिन, इस काम में एक बड़ी समस्या सामने आ रही है. वह है 'कैथी लिपि'. आईये विस्तार जानते हैं कि क्या है कैथी लिपि और कैसे बनी परेशानी का कारण.

Bihar land survey
बिहार में भूमि सर्वे. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 13, 2024, 7:22 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 8:36 PM IST

कैथी लिपि के जानकारों की कमी से लोगों की परेशानी बढ़ी है. (ETV Bharat)

पटनाः बिहार में विशेष भू सर्वेक्षण का काम चल रहा है. 38 जिला के सभी 445 प्रखंड में यह काम चल रहा है. 45130 गांव में विशेष भू सर्वेक्षण से जुड़े हुए लोग इस काम को कर रहे हैं. लेकिन, जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिखे गये दस्तावेज से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है. इलाके में इस लिपि के जानकार भी कम हैं. ऐसे में जमीन के दस्तावेज में लिखे गये तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गयी है.

कैसे समझा जाए दस्तावेज कोः आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था. उसे समय जो खतियान या दस्तावेज बना था वह कैथी लिपि में बनाया गया था. पुराने जो भी दस्तावेज या जमीन से जुड़े हुए खतियान कागजात हैं वो कैथी लिपि में लिखी हुई है. उस लिपि को जानने वाले लोगों को नहीं मिल रहे हैं. यही कारण है कि दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है, यह जानकारी पाने के लिए लोग भटक रहे हैं.

अनुवादक ने बढ़ा दी फीसः दरभंगा के बिहारी गांव के रहने वाले अजय कुमार झा 15 बीघा जमीन के मालिक हैं. जमीन की रसीद हर साल कटवाया है. लेकिन अब जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है. दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है. पूरे जिले में कैथी लिपि के तीन जानकार अभी तक मिले हैं. पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 500 रु मांगते थे, लेकिन अब एक खतियान के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं.

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क्या है कैथी लिपिः कैथी भाषा (कैथी लिपि) एक ऐतिहासिक लिपि है. जिसका प्रयोग मध्यकालीन भारत में मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और उत्तर भारत में किया जाता था. उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में भी इस लिपि में कानूनी और प्रशासनिक कार्य किए जाने के प्रमाण मिलते हैं. इसे "कायथी" या "कायस्थी" के नाम से भी जाना जाता है. पूर्व उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में इसका प्रयोग होता था.

राजकीय लिपि के रूप में मान्यताः बिहार विधान परिषद के नोडल अधिकारी और कैथी लिपि के जानकार भैरव लाल दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कैथी लिपि देश की प्राचीन लिपि के रूप में जानी जाती है. 1540 में शेरशाह सूरी के शासन काल में कैथी लिपि को सरकारी दस्तावेज की लिपि के रूप में मान्यता मिली थी. सरकारी दस्तावेज कैथी लिपि में ही लिखे जाते थे. भैरव लाल दास ने कहा कि रैयतों से संबंधित जितने भी कागजात हैं वह सब कैथी लिपि में थे.

धीरे-धीरे समाप्त हो रहीः कैथी लिपि बिहार की आत्मा थी. यहां के जितने भी दस्तावेज हैं सब कैथी लिपि में लिखी हुई है. लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य यह हुआ कि मुगल काल से लेकर अंग्रेजों के काल तक अपने-अपने भाषा को बढ़ावा देने के कारण कैथी लिपि धीरे-धीरे समाप्त होती गयी. कैथी लिपि के समाप्त होने का सबसे ज्यादा घाटा बिहार को हुआ. लोगों के पास जमीन के दस्तावेज तो हैं लेकिन वह कैथी लिपि में लिखी है, जो लोग पढ़ नहीं पा रहे हैं.

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ETV GFX (ETV Bharat)

अनुवाद कराकर करना होता जमाः दो पक्षों के बीच जब जमीन का विवाद होता है, लोग कोर्ट जाते हैं लेकिन जज साहब कागज नहीं पढ़ पाते हैं. तब जमीन के कागजात का अनुवाद कराकर और वकील से सर्टिफाइड कराकर जमा करानी होती है. इसी तरह कैथी भाषा में लिखी जमीन के कागजात पर बैंक लोन देने के लिए राजी नहीं होता है. यहा भी वही कोर्ट वाली प्रक्रिया अपनायी जाती है. उसके बाद ही बैंक लोने देता है.

सरकार दिलवा रही है प्रशिक्षणः जमीन सर्वे में पुराने खतियानी कागजात के कैथी लिपि में लिखे होने के कारण परेशानी होने का अंदेशा सरकार को थी. इसको देखते हुए रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने बिहार के सभी प्रमंडल में कैथी लिपि की ट्रेनिंग की व्यवस्था की है. रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी जयकुमार सिंह ने पत्र जारी कर बताया था कि बनारस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर प्रीतम कुमार और छपरा के रहने वाले वकार अहमद सभी प्रमंडल में जाकर कैथी लिपि की ट्रेनिग देंगे. 17 सितंबर से 19 सितंबर तक प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय हुआ है.

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अधिकारी के आदेश. (ETV Bharat)

जमीन सर्वे पर सियासी घमासानः आरजेडी का कहना है कि सर्वे के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि बिहार में लगभग लगभग जमीन माफिया राष्ट्रीय जनता दल का कार्यकर्ता हैं, इसलिए विपक्ष नहीं चाहता है कि किसी भी हाल में जमीनी सर्वे का काम कंप्लीट हो. परंतु सरकार इस बात को लेकर तत्पर है कि यह सर्वे हो. बिहार में जमीन के सर्वे का काम कंप्लीट होगा.

"खतियान को पढ़ने वाले नहीं मिल पा रहा है. खतियान को दिखाने के लिए लोगों की लंबी लाइन अंचल कार्यालय में और अन्य लोगों के सामने लगी हुई है. ऐसे में सरकार जमीन का सर्वे करवा रही है, सर्वे के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

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कैथी लिपि में लिखे दस्तावेज. (ETV Bharat)

"जब जमीन का सर्वे हो जाएगा तो न्यायपालिका पर भी बोझ घटेगा. बिहार में जो केस लंबित हैं उसमें से अधिकांश जमीन से जुड़े मामले हैं. सरकार के पास जब पूरी जानकारी हो जाएगी तो न केवल न्यायपालिकाओं के ऊपर से बोझ घटेगा बल्कि जमीन माफिया के ऊपर भी नकेल कसेगी."- कुंतल कृष्ण, बीजेपी प्रवक्ता

जमीन सर्वे के लिए जरूरी कागजातः जमीन सर्वे के समय कुछ जरूरी दस्तावेज जमीन मालिक के लिए आवश्यक है. यह दस्तावेज इस बात की पुष्टि करेगा कि यह जमीन आपके नाम पर है या आपके पूर्वजों के नाम पर. अगर जमीन दावेदार के पूर्वजों के नाम पर है और वो जीवित नहीं हैं, तो जमीन मालिक को उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र देना होगा. जमाबंदी या मालगुजारी रसीद भी देनी होगी, जिसमें संख्या और वर्ष का विवरण हो. खतियान की कॉपी है तो उसे भी साथ में लगाना होगा.

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पटनाः बिहार में विशेष भू सर्वेक्षण का काम चल रहा है. 38 जिला के सभी 445 प्रखंड में यह काम चल रहा है. 45130 गांव में विशेष भू सर्वेक्षण से जुड़े हुए लोग इस काम को कर रहे हैं. लेकिन, जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिखे गये दस्तावेज से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है. इलाके में इस लिपि के जानकार भी कम हैं. ऐसे में जमीन के दस्तावेज में लिखे गये तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गयी है.

कैसे समझा जाए दस्तावेज कोः आजादी से पहले 1910 में अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन का सर्वेक्षण हुआ था. उसे समय जो खतियान या दस्तावेज बना था वह कैथी लिपि में बनाया गया था. पुराने जो भी दस्तावेज या जमीन से जुड़े हुए खतियान कागजात हैं वो कैथी लिपि में लिखी हुई है. उस लिपि को जानने वाले लोगों को नहीं मिल रहे हैं. यही कारण है कि दस्तावेज में क्या लिखा हुआ है, यह जानकारी पाने के लिए लोग भटक रहे हैं.

अनुवादक ने बढ़ा दी फीसः दरभंगा के बिहारी गांव के रहने वाले अजय कुमार झा 15 बीघा जमीन के मालिक हैं. जमीन की रसीद हर साल कटवाया है. लेकिन अब जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है. दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है. पूरे जिले में कैथी लिपि के तीन जानकार अभी तक मिले हैं. पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 500 रु मांगते थे, लेकिन अब एक खतियान के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं.

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क्या है कैथी लिपिः कैथी भाषा (कैथी लिपि) एक ऐतिहासिक लिपि है. जिसका प्रयोग मध्यकालीन भारत में मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और उत्तर भारत में किया जाता था. उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में भी इस लिपि में कानूनी और प्रशासनिक कार्य किए जाने के प्रमाण मिलते हैं. इसे "कायथी" या "कायस्थी" के नाम से भी जाना जाता है. पूर्व उत्तर-पश्चिम प्रांत, मिथिला, बंगाल, उड़ीसा और अवध में इसका प्रयोग होता था.

राजकीय लिपि के रूप में मान्यताः बिहार विधान परिषद के नोडल अधिकारी और कैथी लिपि के जानकार भैरव लाल दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कैथी लिपि देश की प्राचीन लिपि के रूप में जानी जाती है. 1540 में शेरशाह सूरी के शासन काल में कैथी लिपि को सरकारी दस्तावेज की लिपि के रूप में मान्यता मिली थी. सरकारी दस्तावेज कैथी लिपि में ही लिखे जाते थे. भैरव लाल दास ने कहा कि रैयतों से संबंधित जितने भी कागजात हैं वह सब कैथी लिपि में थे.

धीरे-धीरे समाप्त हो रहीः कैथी लिपि बिहार की आत्मा थी. यहां के जितने भी दस्तावेज हैं सब कैथी लिपि में लिखी हुई है. लेकिन इसके साथ दुर्भाग्य यह हुआ कि मुगल काल से लेकर अंग्रेजों के काल तक अपने-अपने भाषा को बढ़ावा देने के कारण कैथी लिपि धीरे-धीरे समाप्त होती गयी. कैथी लिपि के समाप्त होने का सबसे ज्यादा घाटा बिहार को हुआ. लोगों के पास जमीन के दस्तावेज तो हैं लेकिन वह कैथी लिपि में लिखी है, जो लोग पढ़ नहीं पा रहे हैं.

ETV GFX
ETV GFX (ETV Bharat)

अनुवाद कराकर करना होता जमाः दो पक्षों के बीच जब जमीन का विवाद होता है, लोग कोर्ट जाते हैं लेकिन जज साहब कागज नहीं पढ़ पाते हैं. तब जमीन के कागजात का अनुवाद कराकर और वकील से सर्टिफाइड कराकर जमा करानी होती है. इसी तरह कैथी भाषा में लिखी जमीन के कागजात पर बैंक लोन देने के लिए राजी नहीं होता है. यहा भी वही कोर्ट वाली प्रक्रिया अपनायी जाती है. उसके बाद ही बैंक लोने देता है.

सरकार दिलवा रही है प्रशिक्षणः जमीन सर्वे में पुराने खतियानी कागजात के कैथी लिपि में लिखे होने के कारण परेशानी होने का अंदेशा सरकार को थी. इसको देखते हुए रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने बिहार के सभी प्रमंडल में कैथी लिपि की ट्रेनिंग की व्यवस्था की है. रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी जयकुमार सिंह ने पत्र जारी कर बताया था कि बनारस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर प्रीतम कुमार और छपरा के रहने वाले वकार अहमद सभी प्रमंडल में जाकर कैथी लिपि की ट्रेनिग देंगे. 17 सितंबर से 19 सितंबर तक प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय हुआ है.

Bihar land survey
अधिकारी के आदेश. (ETV Bharat)

जमीन सर्वे पर सियासी घमासानः आरजेडी का कहना है कि सर्वे के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि बिहार में लगभग लगभग जमीन माफिया राष्ट्रीय जनता दल का कार्यकर्ता हैं, इसलिए विपक्ष नहीं चाहता है कि किसी भी हाल में जमीनी सर्वे का काम कंप्लीट हो. परंतु सरकार इस बात को लेकर तत्पर है कि यह सर्वे हो. बिहार में जमीन के सर्वे का काम कंप्लीट होगा.

"खतियान को पढ़ने वाले नहीं मिल पा रहा है. खतियान को दिखाने के लिए लोगों की लंबी लाइन अंचल कार्यालय में और अन्य लोगों के सामने लगी हुई है. ऐसे में सरकार जमीन का सर्वे करवा रही है, सर्वे के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

Bihar land survey
कैथी लिपि में लिखे दस्तावेज. (ETV Bharat)

"जब जमीन का सर्वे हो जाएगा तो न्यायपालिका पर भी बोझ घटेगा. बिहार में जो केस लंबित हैं उसमें से अधिकांश जमीन से जुड़े मामले हैं. सरकार के पास जब पूरी जानकारी हो जाएगी तो न केवल न्यायपालिकाओं के ऊपर से बोझ घटेगा बल्कि जमीन माफिया के ऊपर भी नकेल कसेगी."- कुंतल कृष्ण, बीजेपी प्रवक्ता

जमीन सर्वे के लिए जरूरी कागजातः जमीन सर्वे के समय कुछ जरूरी दस्तावेज जमीन मालिक के लिए आवश्यक है. यह दस्तावेज इस बात की पुष्टि करेगा कि यह जमीन आपके नाम पर है या आपके पूर्वजों के नाम पर. अगर जमीन दावेदार के पूर्वजों के नाम पर है और वो जीवित नहीं हैं, तो जमीन मालिक को उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र देना होगा. जमाबंदी या मालगुजारी रसीद भी देनी होगी, जिसमें संख्या और वर्ष का विवरण हो. खतियान की कॉपी है तो उसे भी साथ में लगाना होगा.

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Last Updated : Sep 13, 2024, 8:36 PM IST
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