पटनाः बिहार विधानसभा के चार सदस्य सांसद बनने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं विधान परिषद के सभापति भी सांसद बनने के बाद तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया. बिहार विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट पर अब कुछ दिनों के बाद उपचुनाव होना है. हालांकि, निर्वाचन आयोग ने अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
कहां-कहां सीट हुई रिक्तः लोकसभा चुनाव 2024 में इमामगंज के विधायक रहे जीतन राम मांझी गया (सु) सीट से सांसद बने. बेलागंज से राजद विधायक सुरेंद्र यादव, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. तरारी विधानसभा के सीपीआई एमएल विधायक सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये हैं. रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह, बक्सर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए. बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर सांसद चुने गए.
फिर से परिवारवाद देखने को मिलेगाः बिहार विधानसभा के चार सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि इस उप चुनाव में एक बार फिर से परिवारवाद देखने को मिलेगा. जिन चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं उनमें से तीन सीट बेलागंज, रामगढ़ और तरारी पर महागठबंधन का कब्जा है. इमामगंज की सीट और तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र पर एनडीए का कब्जा है. कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि इस विधानसभा उपचुनाव में वंशवाद फिर आबाद होगा.
"सत्ता पक्ष हो या विपक्ष अपने वंशवादी परंपरा को आगे बढ़ने का काम यहां करेंगे. तेजस्वी यादव के लिए यह विधानसभा का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. यदि इस उपचुनाव में तेजस्वी यादव अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं तो संख्या बल के आधार पर विधानसभा में वह और कमजोर हो जाएंगे."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक
इमामगंज विधानसभा क्षेत्र: गया के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. जीतनराम मांझी ने राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी को 16000 से ज्यादा मतों से पराजित किया था. जीतन राम मांझी के सांसद बनने के बाद इस सीट पर फिर से उपचुनाव की तैयारी हो रही है. इस बार हम (से) से जीतनराम मांझी के दूसरे पुत्र प्रवीण मांझी को उतराने की तैयारी है. उनका मुकाबला फिर से उदय नारायण चौधरी से होने की संभावना है.
बेलागंज विधानसभा क्षेत्रः गया जिले के बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर चर्चा है कि यहां से सुरेंद्र यादव के पुत्र चुनाव लड़ेंगे. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. विश्वनाथ यादव, बेलागंज विधानसभा उपचुनाव को लेकर अभी से जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि राजद का टिकट उनको ही मिलेगा. बेलागंज विधानसभा सुरेंद्र यादव का गढ़ रहा है.
आरजेडी का मजबूत गढ़ है बेलागंजः बेलागंज विधानसभा सीट पर करीब तीन दशक से डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव जीतते रहे हैं. सुरेंद्र यादव 1990,1995 में जनता दल और 2000 फरवरी-अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 और 2020 में RJD के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. 2024 लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में निर्वाचित हुए हैं. चूंकि यहां से सुरेंद्र यादव लगातार जीतते रहे हैं, इसलिए आरजेडी विश्वनाथ यादव को टिकट दे सकती है, इसके कयास लग रहे हैं.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्रः रामगढ़ में होने वाले उपचुनाव में इस बार आरजेडी जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह पर अपना दांव लगा सकती है. अजीत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि राजद उनको इस बार अपना प्रत्याशी बनाएगी. अजीत सिंह का मानना है कि इस उपचुनाव में 2020 विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति नहीं होगी. अजीत सिंह की मानें तो रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर से बीजेपी के प्रत्याशी अशोक सिंह से उनका मुकाबला होगा.
जगदानंद सिंह का रहा है गढ़ः रामगढ़ से जगदानंद सिंह छह बार विधायक रह चुके हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने जगदानंद सिंह के बड़े पुत्र सुधाकर सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया था. तब आरजेडी, बीएसपी और बीजेपी के बीच में त्रिकोणात्मक संघर्ष हुआ था. राजद के सुधाकर सिंह ने बीएसपी के उम्मीदवार अंबिका सिंह को 811 मतों से पराजित किया था. बीजेपी के प्रत्याशी अशोक सिंह 56 हजार 84 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे.
तरारी विधानसभा क्षेत्रः 2009 के परिसीमन से पहले तरारी विधानसभा पीरो विधानसभा के रूप में जाना जाता था. पीरो लोकसभा क्षेत्र कभी बाहुबली सुनील पांडे के विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में सीपीआई-एमएल के सुदामा प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. 2020 में सुनील पांडे निर्दलीय चुनाव लड़ा था. 62 हजार 930 मत प्राप्त हुआ था. भाजपा प्रत्याशी कौशल कुमार विद्यार्थी को मात्र 13 हजार 933 मत ही प्राप्त हुआ था. एक बार फिर सुनील पांडे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है.
तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्रः यहां से देवेश चंद्र ठाकुर लगातार तीन बार चुनाव जीते हैं. दो बार जदयू के सिंबल पर और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की. उनकी खली की हुई सीट पर जेडीयू ने अपने प्रत्याशी की खोज कर ली है. सूत्र बताते हैं कि तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा इस बार अपना भाग्य आजमाएंगे. बुधवार को अभिषेक झा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी हुई थी. चर्चा है कि जल्द ही अभिषेक झा के नाम की औपचारिक घोषणा जदयू कर देगी.
बीजेपी ने किया जीत का दावाः बिहार विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट के उपचुनाव को लेकर बीजेपी का मानना है कि सभी सीटों पर एनडीए गठबंधन की जीत होगी. मनीष पांडे का कहना है कि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में भी तेजस्वी यादव बड़ी-बड़ी बातें कह रहे थे, लेकिन चुनाव परिणाम क्या हुआ सब कोई जानता है. आगामी विधानसभा उपचुनाव में एनडीए नरेंद्र मोदी के विजन और नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व के आधार पर अपना मतदान करेगी. सभी पांच सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी की जीत होगी.
"आरजेडी अभी भी परिवारवाद से ऊपर नहीं उठ पाई है. आरजेडी अपनी तीन सीटों में दो सीट नेता के पुत्रों को दे रही है. रामगढ़ से सुधाकर सिंह के छोटे भाई को और बेलागंज से सुरेंद्र यादव के पुत्र को आरजेडी टिकट दे रही है, इसका मतलब है कि राजद के पास अब कोई नया चेहरा या कार्यकर्ता नहीं रहा है."- मनीष पांडेय, बीजेपी प्रवक्ता
तेजस्वी यादव के काम पर मांगेंगे वोटः राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि इन पांचो सीटों पर महागठबंधन मजबूती के साथ तेजस्वी यादव के कामों के आधार पर चुनाव लड़ेगी. एजाज अहमद ने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने छोटे से कार्यकाल में जिस तरीके से बिहार में काम किए हैं, चाहे वह रोजगार का मामला हो या 75% आरक्षण का मामला, बिहार की जनता तेजस्वी यादव के साथ है. बिहार विधानसभा और विधान परिषद की पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इसका परिणाम देखने को मिलेगा.
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