सुपौल: प्रगति यात्रा के तीसरे चरण में सीएम नीतीश कुमार आज सुपौल पहुंचे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज प्रगति यात्रा के क्रम में सुपौल जिले की ग्राम पंचायत बकौर, वार्ड नम्बर 5 तथा जिला मुख्यालय स्थित नवनिर्मित टाउन हॉल परिसर से 298.0729 करोड़ रुपये की 210 विकासात्मक योजनाओं का रिमोट के माध्यम से उद्घाटन एवं शिलान्यास किया. इसमें 13422.75 लाख रुपये की 52 योजनाओं का उद्घाटन तथा 16384.54 लाख रुपये की 158 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है.
सुपौल में सीएम की प्रगति यात्रा: मुख्यमंत्री ने सुपौल जिला अंतर्गत प्रखंड सुपौल की ग्राम पंचायत बकौर में पूर्वी कोसी तटबंध की कोसी नदी पर निर्माणाधीन भेजा बकौर पुल का हवाई सर्वेक्षण कर निर्माण कार्य की प्रगति का जायजा लिया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने सुपौल प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बकौर की वार्ड संख्या 5 स्थित बिजलपुर पुनर्वास टोला का भ्रमण कर विभिन्न विभागों द्वारा कराए गए विकासात्मक कार्यों का मुआयना किया. मुआयना के क्रम में मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से बातचीत भी की.
सीढ़ीनुमा घाट की प्रशंसा: इस दौरान मुख्यमंत्री ने जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत परसौनी सार्वजनिक पोखर के चारों तरफ सीढ़ी घाट निर्माण कार्य, पेवर ब्लॉक पैदल मार्ग निर्माण कार्य एवं परसौनी सार्वजनिक पोखर के उड़ाही कार्य से संबंधित शिलापट्ट का अनावरण कर उद्घाटन किया. उद्घाटन के पश्चात मुख्यमंत्री ने तालाब का निरीक्षण किया. मुख्यमंत्री ने परसौनी सार्वजनिक पोखर के चारों तरफ कराए गए सीढ़ीनुमा घाट के निर्माण कार्य की प्रशंसा की.
जीविका दीदियों से बातचीत : उन्होंने कहा कि यह अच्छा काम हुआ है. इससे लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी. मुख्यमंत्री ने जीविका दीदियों एवं विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉल का अवलोकन किया. अवलोकन के क्रम में मुख्यमंत्री ने जीविका दीदियों से बातचीत की.
''जीविका दीदियां पूरे बिहार में काफी अच्छा काम कर रही हैं. वर्ष 2005 में जब हमलोगों को बिहार में काम करने का मौका मिला तो हमने देखा कि यहां स्वयं सहायता समूहों की संख्या नाम मात्र की है. हमलोगों ने विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूहों की संख्या बढ़ानी शुरू की. अब बिहार में स्वयं सहायता समूहों की संख्या 10 लाख 61 हजार है, जिनसे 1 करोड़ 35 लाख जीविका दीदियां जुड़ी हैं.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
'महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही' : नीतीश कुमार ने कहा कि हमने ही स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं का नाम 'जीविका दीदी' दिया. जिससे प्रेरित होकर तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसका नाम 'आजीविका' किया. इससे बिहार की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. उनका पहनावा और बोलचाल भी काफी अच्छा हो गया है. वे लोगों से बेहिचक होकर बातें करने लगी हैं.
''हमलोगों ने शहरी इलाकों में भी स्वयं सहायता समूहों का गठन कराना शुरू कर दिया है. अब तक 26 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन शहरी क्षेत्रों में हो चुका है. जिनसे 3 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं. जीविका दीदियां बहुत अच्छा काम कर रही हैं. हम जहां भी जाते हैं जीविका दीदियों से जरूर मिलते हैं. उनकी कोई आवश्यकताएं होती है तो सरकार उसे पूर्ण करती है.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
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