पटना : भारतीय जनता पार्टी बिहार में संगठन महापर्व मनाने की तैयारी में है. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी चुनौतियों से जूझ रही है. पूरे बिहार में वार्ड अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष का चुनाव होना है. चुनाव को संपन्न करने के लिए प्रदेश स्तर पर तैयारी की जा चुकी है, विवाद को टालने के लिए भी केंद्रीय स्तर पर पहल की गई है.
1100 नए मंडल अध्यक्ष चुने जाएंगे : बिहार बीजेपी के लिए 2024 महत्वपूर्ण है विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को संगठनात्मक दृष्टि से चुनाव करना है. बिहार में भाजपा की ताकत निचले स्तर पर संगठन है और संगठन में कुल 1100 मंडल और 45 जिले हैं. मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष का चुनाव होना है. सक्रिय कार्यकर्ताओं की जॉइनिंग के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
15 नवंबर तक सक्रिय कार्यकर्ताओं की होगी ज्वाइनिंग : भारतीय जनता पार्टी संगठन के लिए जानी जाती है. संगठन की ताकत वार्ड अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष है. विधानसभा चुनाव से पहले तमाम पदों पर भाजपा नए सिरे से चुनाव कराने की तैयारी कर रही है. सक्रिय कार्यकर्ताओं की नवीनीकरण 15 नवंबर तक होगी. उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
पूर्व मंडल अध्यक्ष की भूमिका है अहम : बिहार से राज्य में मंडल अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी की मजबूत कड़ी मानी जाती है. कुल 1100 मंडल अध्यक्ष बिहार में काम करते हैं. यह भी जानना जरूरी है कि मंडल अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है. मंडल के तमाम सक्रिय कार्यकर्ता और पूर्व मंडल अध्यक्ष की भूमिका चुनाव में अहम होती है. जिला के चुनाव प्रभारी चुनाव की देखरेख करते हैं और सक्रिय कार्यकर्ता मंडल अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करते हैं.
जिला अध्यक्षों का चुनाव चुनौती : 70% से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं की सहमति के बाद मंडल अध्यक्ष का चयन कर लिया जाता है. चुनाव को विधायक और सांसद की देखरेख में किया जाता है. बिहार में भाजपा के 45 जिला अध्यक्ष हैं. संगठन के हिसाब से 45 जिलों में बिहार को बांटा गया है. जिला अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के लिए चुनौती वाला काम है. तमाम मंडल अध्यक्ष और जिला के पदाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि मिलकर जिला अध्यक्ष का चयन करते हैं. मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की सहमति के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चयन पर मोहर लगती है.
गुटबाजी के चलते होता है हंगामा : मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के चुनाव में कई बार हंगामा होता है. प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के चलते गुटबाजी के मामले भी देखने को मिलते हैं. इन सब से निपटने के लिए केंद्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी ने एक कमेटी की गठन किया है. विवाद होने की स्थिति में कमेटी मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के चुनाव पर अंतिम मुहर लगाएगी. कमेटी की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह कर रहे हैं. कमेटी का निर्णय अंतिम होगा.
विवाद निपटारे के लिए नई व्यवस्था लागू : भाजपा प्रवक्ता पंकज सिंह ने कहा है कि हमारा संगठन पर्व चल रहा है. मंडल अध्यक्ष के साथ-साथ जिला अध्यक्ष का चुनाव भी होना है. 15 नवंबर के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. चुनाव में विवाद को निपटने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है. नई व्यवस्था के तहत मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के चयन पर अंतिम मुहर राधा मोहन सिंह के नेतृत्व वाली कमेटी करेगी. कमेटी का फैसला अंतिम होगा. अगर किसी कार्यकर्ता को चयन प्रक्रिया से असंतोष या नाराजगी है तो वह कमेटी के सामने अपील कर सकते हैं.
"15 नवंबर के बाद संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. चुनाव में विवाद को निपटाने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है. नई व्यवस्था के तहत मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष के चयन पर अंतिम मुहर राधा मोहन सिंह के नेतृत्व वाली कमेटी लगाएगी. उसी का फैसला अंतिम होगा. चयन प्रक्रिया में नाराजगी या असंतोष पर कार्यकर्ता कमेटी के सामने अपील कर सकते हैं."- पंकज सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
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