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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : क्या, बिहार की राजनीति में गेम चेंजर साबित होगा '3S'? - Bihar Assembly Elections 2025

PRASHANT KISHOR 3S बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की आहट सुनायी देने लगी है. सभी दल तैयारी में जुटे हुए हैं. सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं. राजद जहां स्मार्ट मुद्दे को लेकर सरकार को घेर रही है वहीं प्रशांत किशोर '3S' की बात कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का दावा है कि यह 3S नीतीश सरकार के लिए तीन कील साबित होगी. आखिर क्या है पीके का 3S और इसके क्या पड़ने वाले हैं प्रभाव. पढ़ें, विस्तार से.

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प्रशांत किशोर. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 29, 2024, 7:39 PM IST

पटना: जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में एक नया विकल्प तैयार करने का दावा कर रहे हैं. 2 अक्टूबर को नई पार्टी की घोषणा करने जा रहे हैं. इससे पहले प्रशांत किशोर लगभग 2 साल से बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. लगातार लोगों से संपर्क कर रहे हैं. पार्टी से नये-नये लोगों को जोड़ रहे हैं. प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार को घेरने के लिए '3S' को हथियार बनाया है. उनका मानना है कि यह '3S' नीतीश सरकार की ताबूत की तीन कील साबित होगी.

क्या है पीके का '3S': प्रशांत किशोर के '3S' में तीन 'एस' है. पहला एस का मतलब 'शराबबंदी', दूसरे एस का मतलब 'सर्वे' यानी कि भूमि सर्वे और तीसरे एस का मतलब 'स्मार्ट मीटर' से है. बिहार में इन दिनों तीन मुद्दा सुर्खियों में हैं. इसमें लैंड सर्वे और स्मार्ट मीटर को लेकर इंडिया गठबंधन भी नीतीश सरकार को घेर रही है. लेकिन, प्रशांत किशोर इसमें शराबबंदी को भी जोड़ रहे हैं. प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में लोगों को बता रहे हैं कि कैसे शराबबंदी कानून समाप्त करने से बिहार को भला होगा.

बिहार विधानसभा चुनाव के मुद्दे. (ETV Bharat)

पीके का एलान, खत्म होगी शराबबंदीः शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के आसपास बैठने वाले लोग शराब का सेवन करते हैं. उनका मानना है कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. उन्होंने कहा है कि शराबबंदी से होने वाले आय को पूरी तरह शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. पीके के अनुसार शराबबंदी से लगभग 20,000 करोड़ का हर साल नुकसान हो रहा है. इन पैसों को शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. पीके का कहना है कि सरकार में आने के 15 मिनट के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे.

तूल पकड़ रहा स्मार्ट मीटर का मामलाः स्मार्ट मीटर को लेकर राज्य में सियासी धमाल मचा हुआ है. राजद और कांग्रेस इस मुद्दे पर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं जदयू और भाजपा के लोग राजद पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे हैं. नीतीश कुमार ने बैठक कर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लोगों को जागरूक बनायें. इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर भी नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि स्मार्ट मीटर से लोग बाग परेशान हैं. बिजली बिल का अनावश्यक बोझ बढ़ा है.

भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा सर्वे का कामः नीतीश सरकार ने जमीन का सर्वे का काम शुरू किया था. सरकार पूरे बिहार में सर्वे का काम करना चाहती है, लेकिन जमीन सर्वे को लेकर लोगों के अंदर काफी असंतोष है. सरकार पर आरोप लग रहा है कि बिना तैयारी के इसे शुरू किया गया और वसूली की जा रही है. पीके ने दावा किया कि सरकार ने हर परिवार में विवाद खड़ा कर दिया है. सरकार के पास जमीन का कोई रिकॉर्ड नहीं है, उल्टे आम लोगों से कह रही है वंशावली और खतियान लाओ. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है.

पीके का फार्मूला नहीं चलेगा-भाजपाः बिहार सरकार पर हो रहे चौतरफा हमले से भाजपा और जदयू के नेता परेशान हैं. वो इन आरोपों से सरकार का बचाव कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का मानना है स्मार्ट मीटर नीतीश सरकार के लिए सिर दर्द बन सकती है, इससे आम लोग परेशान हैं, लेकिन जहां तक शराबबंदी का सवाल है तो शराबबंदी से बिहार को फायदा हुआ है. भूमि सर्वे का काम चल रहा है इसमें सुधार की आवश्यकता है.

"कुछ लोग दुकान चला रहे हैं. उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है. हम सबसे बड़े दल हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से सरकार बनने जा रही है. प्रशांत किशोर का कोई रणनीति और फार्मूला बिहार में चलने वाला नहीं है."- निखिल आनंद, भाजपा नेता

"अगर रिकॉर्ड डिजिटल हो गए तो भविष्य में आम लोगों को सहूलियत होने वाली है. राजनीतिक दल भले ही मुद्दा बना रहे हैं लेकिन जनता इन मुद्दों को किस तरीके से लेती है यह देखने वाली बात होगी."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

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क्या है पीके का '3S': प्रशांत किशोर के '3S' में तीन 'एस' है. पहला एस का मतलब 'शराबबंदी', दूसरे एस का मतलब 'सर्वे' यानी कि भूमि सर्वे और तीसरे एस का मतलब 'स्मार्ट मीटर' से है. बिहार में इन दिनों तीन मुद्दा सुर्खियों में हैं. इसमें लैंड सर्वे और स्मार्ट मीटर को लेकर इंडिया गठबंधन भी नीतीश सरकार को घेर रही है. लेकिन, प्रशांत किशोर इसमें शराबबंदी को भी जोड़ रहे हैं. प्रशांत किशोर अपनी सभाओं में लोगों को बता रहे हैं कि कैसे शराबबंदी कानून समाप्त करने से बिहार को भला होगा.

बिहार विधानसभा चुनाव के मुद्दे. (ETV Bharat)

पीके का एलान, खत्म होगी शराबबंदीः शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के आसपास बैठने वाले लोग शराब का सेवन करते हैं. उनका मानना है कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. उन्होंने कहा है कि शराबबंदी से होने वाले आय को पूरी तरह शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. पीके के अनुसार शराबबंदी से लगभग 20,000 करोड़ का हर साल नुकसान हो रहा है. इन पैसों को शिक्षा पर खर्च किया जाएगा. पीके का कहना है कि सरकार में आने के 15 मिनट के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे.

तूल पकड़ रहा स्मार्ट मीटर का मामलाः स्मार्ट मीटर को लेकर राज्य में सियासी धमाल मचा हुआ है. राजद और कांग्रेस इस मुद्दे पर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं जदयू और भाजपा के लोग राजद पर भ्रम फैलाने का आरोप लगा रहे हैं. नीतीश कुमार ने बैठक कर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लोगों को जागरूक बनायें. इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर भी नीतीश सरकार पर हमलावर हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि स्मार्ट मीटर से लोग बाग परेशान हैं. बिजली बिल का अनावश्यक बोझ बढ़ा है.

भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा सर्वे का कामः नीतीश सरकार ने जमीन का सर्वे का काम शुरू किया था. सरकार पूरे बिहार में सर्वे का काम करना चाहती है, लेकिन जमीन सर्वे को लेकर लोगों के अंदर काफी असंतोष है. सरकार पर आरोप लग रहा है कि बिना तैयारी के इसे शुरू किया गया और वसूली की जा रही है. पीके ने दावा किया कि सरकार ने हर परिवार में विवाद खड़ा कर दिया है. सरकार के पास जमीन का कोई रिकॉर्ड नहीं है, उल्टे आम लोगों से कह रही है वंशावली और खतियान लाओ. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है.

पीके का फार्मूला नहीं चलेगा-भाजपाः बिहार सरकार पर हो रहे चौतरफा हमले से भाजपा और जदयू के नेता परेशान हैं. वो इन आरोपों से सरकार का बचाव कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का मानना है स्मार्ट मीटर नीतीश सरकार के लिए सिर दर्द बन सकती है, इससे आम लोग परेशान हैं, लेकिन जहां तक शराबबंदी का सवाल है तो शराबबंदी से बिहार को फायदा हुआ है. भूमि सर्वे का काम चल रहा है इसमें सुधार की आवश्यकता है.

"कुछ लोग दुकान चला रहे हैं. उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है. हम सबसे बड़े दल हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से सरकार बनने जा रही है. प्रशांत किशोर का कोई रणनीति और फार्मूला बिहार में चलने वाला नहीं है."- निखिल आनंद, भाजपा नेता

"अगर रिकॉर्ड डिजिटल हो गए तो भविष्य में आम लोगों को सहूलियत होने वाली है. राजनीतिक दल भले ही मुद्दा बना रहे हैं लेकिन जनता इन मुद्दों को किस तरीके से लेती है यह देखने वाली बात होगी."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

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