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यमुना को क्‍लीन बनाने की द‍िशा में बड़ा कदम, STP की कैपेस‍िटी बढ़ाने की तैयारी - Yamuna Cleanning Project

Yamuna Cleanning Project: यमुना नदी को साफ और स्‍वच्‍छ बनाए रखने के ल‍िए द‍िल्‍ली जल बोर्ड आने वाले समय में सीवरेज ट्रीटमेंट प्‍लांट की कैपेस‍िटी बढ़ाने पर काम कर रहा है. मौजूदा समय में हर रोज पैदा होने वाले सीवेज का स‍िर्फ 565 एमजीडी का उपचार हो रहा है जोक‍ि क्षमता का 82% है. डीजेबी की एसटीपी की क्षमता को अगले दो ढाई साल के भीतर 964 एमजीडी तक बढ़ाने की योजना है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 15, 2024, 12:57 PM IST

सीवरेज ट्रीटमेंट प्‍लांट
सीवरेज ट्रीटमेंट प्‍लांट (Etv Bharat)

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में मौजूदा समय में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट काम कर रहे हैं लेक‍िन वह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह से द‍िल्‍ली में हर रोज न‍िकलने वाला सीवेज पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो रहा है. बड़ी मात्रा में सीवेज यमुना नदी में चला जा रहा है ज‍िसकी वजह से वह और ज्‍यादा मैली हो रही है. एसटीपी की क्षमता 667 एमजीडी है ज‍िसको बढ़ा कर 964 एमजीडी क‍िया जाएगा. लेक‍िन अभी इसमें वक्‍त लगेगा जल बोर्ड अध‍िकार‍ियों का मानना है क‍ि वर्तमान में एसटीपी 565 एमजीडी-610 एमजीडी कैपेस‍िटी के बीच सीवेज ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसको 964.5 एमजीडी तक करने पर काम क‍िया जा रहा है ज‍िसकी डेडलाइन द‍िसंबर, 2026 तय की गई है.

द‍िल्‍ली सरकार की ओर से इस बाबत एक एक्‍शन टेकन र‍िपोर्ट द‍िल्‍ली हाई कोर्ट में प्रस्‍तुत की गई ज‍िसमें एसटीपी की कैपेस‍िटी बढ़ाने की डेडलाइन तय करने से लेकर यमुना में सीवेज डलने से रोकने की योजना से अवगत कराया गया है. यमुना नदी में सीवेज नहीं जाए, इस द‍िशा में आने वाले द‍िनों में और तेजी से काम क‍िया जाएगा. यमुना नदी में स‍िर्फ उपचार‍ित पानी को ही छोड़ा जाए, इसको सुन‍िश्‍च‍ित क‍िया जाएगा. जल बोर्ड की तरफ से पहले मौजूदा STP की क्षमता को 667 MGD से बढ़ाकर 964.5 MGD करने की डेडलाइन 31 मार्च, 2025 तय की गई थी लेक‍ न अब इसको द‍िसंबर, 2026 तक पूरा क‍िए जाने की संभावना जताई गई है. द‍िल्‍ली का सीवेज यमुना में नहीं जाए इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्र‍िब्‍यूनल से लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी पूर्व में भी न‍िर्देश द‍िए जा चुके हैं.

यह भी पढ़ें- यमुना की सफाई का दिख रहा असर, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कि स्थिति अब भी चिंताजनक

यमुना एक्‍शन प्‍लान-3 के तहत ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट तैयार क‍िया जा रहा है. डीजेबी को ओखला प्‍लांट के ल‍िए पूरा फंड केंद्र सरकार की नेशनल म‍िशन फॉर क्‍लीन गंगा (NMCG) योजना के तहत द‍िया गया है. यह प्‍लांट कीचड़ प्रबंधन घटक और अल्‍ट्रावॉयलेट टेक्‍नॉलोजी के साथ सबसे एडवांस्‍ड डीजेबी सुविधाओं से लैस होगा. इस एसटीपी की क्षमता हर रोज करीब 124 मिलियन गैलन (एमजीडी) अपशिष्ट जल को साफ करने की होगी जोक‍ि देश में अपने तरह का बड़ा प्‍लांट होगा.

अनध‍िकृत कालोनि‍यों में वेस्‍ट ट्रीटमेंट प्‍लांट लगाने की व्‍यवस्‍था: इसके अलावा सरकार अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी झोपड़ी (जेजे) कलस्‍टर के सीवेज को भी 100% कैप्चर करने की योजना पर भी काम कर रही है ज‍िससे क‍ि अनुपचारित सीवेज को यमुना नदी में नहीं डाला जाए. इसके ल‍िए सरकार इन-सीटू यानी यथास्‍थान पर वेस्‍ट ट्रीटमेंट प्‍लांट की व्‍यवस्‍था पर भी काम कर रही है. इसका बड़ा फायदा यह होगा क‍ि इन अनधिकृत कॉलोनियों और जेजे कलस्‍टर का सीवेज ब‍िना ट्रीट क‍िए यमुना नदी में नहीं जा सकेगा. स‍िर्फ ट्रीटेड वाटर ही यमुना में छोड़ा जा सकेगा.

यह भी पढ़ें- सूखती यमुना ने बढ़ाई दिल्लीवासियों की टेंशन, नदी के गिरते जलस्तर पर जल्द एक्शन की जरूरत

सीवेज-स्‍ट्रोम वाटर ड्रेनों के इंटरकनेक्‍शन को अलग करने की तैयारी: इतना ही नहीं सरकार आने वाले समय में सीवरेज नेटवर्क के साथ जुड़े स्‍ट्रोम वाटर ड्रेंस को भी अलग करने की तैयारी में है. बरसाती नालों के सीवरेज ड्रेनों में म‍िलने से भी यमुना नदी गंदी हो रही है. द‍िल्‍ली सरकार ने 121 ऐसे प्‍वाइंट्स का पता लगाया है जहां स्‍ट्रोम वाटर अभी भी सीवरेज ड्रेनों में म‍िल रहा है. वहीं, 191 ऐसे प्‍वाइंट्स हैं जहां पर सीवेज, स्‍ट्रोम वाटर ड्रेनों में म‍िक्‍स हो जा रहा है. ऐसे सभी इंटरकनेक्शन प्‍वाइंट को अब अलग करने को लेकर सरकार ने एक्‍शन प्‍लान तैयार क‍िया है ज‍िससे क‍ि दोनों का इंटरकनेक्‍शन नहीं हो सके.

इन तीन बड़ी ड्रेनों में कम हुआ बीओडी लेवल: सूत्र बताते हैं क‍ि शाहदरा, आईएसबीटी और नजफगढ़ ड्रेन में बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड ( BOD) का स्‍तर काफी कम हुआ है. बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, जलधारा के पानी में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने में सूक्ष्मजीवों द्वारा खपत की गई ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है. जल बोर्ड ने मई, 2022 की तुलना में मई, 2023 में शाहदरा ड्रेन में बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर 40% और यमुना में आईएसबीटी पर 31% कम र‍िकॉर्ड क‍िया है और इसी अवधि के दौरान नजफगढ़ ड्रेन में बीओडी का स्तर 37% कम हुआ है.

आने वाले समय में अपनाए जाने वाले कदमों के चलते इसमें और कमी र‍िकॉर्ड क‍िए जाने की संभावना जताई है. जनवरी, 2023 से मई, 2023 तक महीने-दर-महीने के आधार पर साल 2022 के समान महीनों की तुलना में ड्रेन और यमुना नदी के पानी में बीओडी स्तर में काफी ज्‍यादा सुधार र‍िकॉर्ड क‍िया गया है.

ये भी पढ़ें: वॉटर लॉग‍िंग से मिलेगी राहत, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से लैस होंगे द‍िल्ली के 1362 सरकारी भवन

नई द‍िल्‍ली: दिल्ली में मौजूदा समय में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट काम कर रहे हैं लेक‍िन वह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह से द‍िल्‍ली में हर रोज न‍िकलने वाला सीवेज पूरी तरह से ट्रीट नहीं हो रहा है. बड़ी मात्रा में सीवेज यमुना नदी में चला जा रहा है ज‍िसकी वजह से वह और ज्‍यादा मैली हो रही है. एसटीपी की क्षमता 667 एमजीडी है ज‍िसको बढ़ा कर 964 एमजीडी क‍िया जाएगा. लेक‍िन अभी इसमें वक्‍त लगेगा जल बोर्ड अध‍िकार‍ियों का मानना है क‍ि वर्तमान में एसटीपी 565 एमजीडी-610 एमजीडी कैपेस‍िटी के बीच सीवेज ट्रीटमेंट कर रहे हैं. इसको 964.5 एमजीडी तक करने पर काम क‍िया जा रहा है ज‍िसकी डेडलाइन द‍िसंबर, 2026 तय की गई है.

द‍िल्‍ली सरकार की ओर से इस बाबत एक एक्‍शन टेकन र‍िपोर्ट द‍िल्‍ली हाई कोर्ट में प्रस्‍तुत की गई ज‍िसमें एसटीपी की कैपेस‍िटी बढ़ाने की डेडलाइन तय करने से लेकर यमुना में सीवेज डलने से रोकने की योजना से अवगत कराया गया है. यमुना नदी में सीवेज नहीं जाए, इस द‍िशा में आने वाले द‍िनों में और तेजी से काम क‍िया जाएगा. यमुना नदी में स‍िर्फ उपचार‍ित पानी को ही छोड़ा जाए, इसको सुन‍िश्‍च‍ित क‍िया जाएगा. जल बोर्ड की तरफ से पहले मौजूदा STP की क्षमता को 667 MGD से बढ़ाकर 964.5 MGD करने की डेडलाइन 31 मार्च, 2025 तय की गई थी लेक‍ न अब इसको द‍िसंबर, 2026 तक पूरा क‍िए जाने की संभावना जताई गई है. द‍िल्‍ली का सीवेज यमुना में नहीं जाए इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्र‍िब्‍यूनल से लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी पूर्व में भी न‍िर्देश द‍िए जा चुके हैं.

यह भी पढ़ें- यमुना की सफाई का दिख रहा असर, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कि स्थिति अब भी चिंताजनक

यमुना एक्‍शन प्‍लान-3 के तहत ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट तैयार क‍िया जा रहा है. डीजेबी को ओखला प्‍लांट के ल‍िए पूरा फंड केंद्र सरकार की नेशनल म‍िशन फॉर क्‍लीन गंगा (NMCG) योजना के तहत द‍िया गया है. यह प्‍लांट कीचड़ प्रबंधन घटक और अल्‍ट्रावॉयलेट टेक्‍नॉलोजी के साथ सबसे एडवांस्‍ड डीजेबी सुविधाओं से लैस होगा. इस एसटीपी की क्षमता हर रोज करीब 124 मिलियन गैलन (एमजीडी) अपशिष्ट जल को साफ करने की होगी जोक‍ि देश में अपने तरह का बड़ा प्‍लांट होगा.

अनध‍िकृत कालोनि‍यों में वेस्‍ट ट्रीटमेंट प्‍लांट लगाने की व्‍यवस्‍था: इसके अलावा सरकार अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी झोपड़ी (जेजे) कलस्‍टर के सीवेज को भी 100% कैप्चर करने की योजना पर भी काम कर रही है ज‍िससे क‍ि अनुपचारित सीवेज को यमुना नदी में नहीं डाला जाए. इसके ल‍िए सरकार इन-सीटू यानी यथास्‍थान पर वेस्‍ट ट्रीटमेंट प्‍लांट की व्‍यवस्‍था पर भी काम कर रही है. इसका बड़ा फायदा यह होगा क‍ि इन अनधिकृत कॉलोनियों और जेजे कलस्‍टर का सीवेज ब‍िना ट्रीट क‍िए यमुना नदी में नहीं जा सकेगा. स‍िर्फ ट्रीटेड वाटर ही यमुना में छोड़ा जा सकेगा.

यह भी पढ़ें- सूखती यमुना ने बढ़ाई दिल्लीवासियों की टेंशन, नदी के गिरते जलस्तर पर जल्द एक्शन की जरूरत

सीवेज-स्‍ट्रोम वाटर ड्रेनों के इंटरकनेक्‍शन को अलग करने की तैयारी: इतना ही नहीं सरकार आने वाले समय में सीवरेज नेटवर्क के साथ जुड़े स्‍ट्रोम वाटर ड्रेंस को भी अलग करने की तैयारी में है. बरसाती नालों के सीवरेज ड्रेनों में म‍िलने से भी यमुना नदी गंदी हो रही है. द‍िल्‍ली सरकार ने 121 ऐसे प्‍वाइंट्स का पता लगाया है जहां स्‍ट्रोम वाटर अभी भी सीवरेज ड्रेनों में म‍िल रहा है. वहीं, 191 ऐसे प्‍वाइंट्स हैं जहां पर सीवेज, स्‍ट्रोम वाटर ड्रेनों में म‍िक्‍स हो जा रहा है. ऐसे सभी इंटरकनेक्शन प्‍वाइंट को अब अलग करने को लेकर सरकार ने एक्‍शन प्‍लान तैयार क‍िया है ज‍िससे क‍ि दोनों का इंटरकनेक्‍शन नहीं हो सके.

इन तीन बड़ी ड्रेनों में कम हुआ बीओडी लेवल: सूत्र बताते हैं क‍ि शाहदरा, आईएसबीटी और नजफगढ़ ड्रेन में बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड ( BOD) का स्‍तर काफी कम हुआ है. बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, जलधारा के पानी में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने में सूक्ष्मजीवों द्वारा खपत की गई ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है. जल बोर्ड ने मई, 2022 की तुलना में मई, 2023 में शाहदरा ड्रेन में बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर 40% और यमुना में आईएसबीटी पर 31% कम र‍िकॉर्ड क‍िया है और इसी अवधि के दौरान नजफगढ़ ड्रेन में बीओडी का स्तर 37% कम हुआ है.

आने वाले समय में अपनाए जाने वाले कदमों के चलते इसमें और कमी र‍िकॉर्ड क‍िए जाने की संभावना जताई है. जनवरी, 2023 से मई, 2023 तक महीने-दर-महीने के आधार पर साल 2022 के समान महीनों की तुलना में ड्रेन और यमुना नदी के पानी में बीओडी स्तर में काफी ज्‍यादा सुधार र‍िकॉर्ड क‍िया गया है.

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