प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएचएआई के परियोजना निदेशक से गाली गलौज के मामले में कानपुर के सपा विधायक अमिताभ बाजपेई को राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि यदि वह एसीजेएम अदालत में सरेंडर कर जमानत अर्जी देते हैं तो उनकी अंतरिम जमानत अर्जी मंजूर कर अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी दो माह में निस्तारित की जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि डिस्चार्ज अर्जी निस्तारित होते ही अंतरिम जमानत स्वयं समाप्त हो जाएगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने अमिताभ बाजपेई की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका में एसीजेएम कानपुर नगर की अदालत में चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग की गई थी. सरकारी वकील ने आपत्ति की कि याची को याचिका की बजाय एसीजेएम अदालत में उन्मोचन अर्जी दाखिल करना चाहिए. इस पर कोर्ट ने याची को दो सप्ताह में एसीजेएम अदालत में अर्जी देने और अर्जी दो माह में तय करने का निर्देश दिया. जब तक अर्जी निस्तारित नहीं की जाती, याची के खिलाफ लंबित केस की कार्यवाही पर रोक रहेगी.
एनएचएआई के परियोजना निदेशक प्रशांत दुबे की तहरीर पर विधायक के खिलाफ वर्ष 2021 में कानपुर के बिठूर थाने में धारा 504 व 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. तहरीर में आरोप लगाया गया कि विधायक अमिताभ बाजपेई ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर शिकायतकर्ता को अपशब्द कहे और हमला करने की धमकी दी. पुलिस ने इस मामले में विधायक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसे चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि चार्जशीट दाखिल की गई है, लेकिन उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 व 506 का अपराध बनता ही नहीं है. उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, इसलिए केस की कार्रवाई रद्द की जाए.