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राजबब्बर को मिली बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि के आदेश को किया निलंबित - Big relief to Rajbabbar

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मतदान अधिकारी से मारपीट के वर्ष 1996 के एक मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस नेता राज बब्बर को बड़ी राहत देते हुए दोषसिद्धि के आदेश को निलंबित कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 30, 2024, 10:33 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मतदान अधिकारी से मारपीट के वर्ष 1996 के एक मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस नेता राज बब्बर को बड़ी राहत देते हुए दोषसिद्धि के आदेश को निलंबित कर दिया है. न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 1 मई 2024 को होगी.यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने राजबब्बर की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर पारित किया है.

राज बब्बर की ओर से उनके अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि 7 जुलाई 2022 को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राज बब्बर को दोषसिद्ध करार देते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. मजिस्ट्रेट कोर्ट के उक्त आदेश के विरुद्ध राज बब्बर ने अपील दाखिल की. सत्र अदालत ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज बब्बर को जमानत तो दे दी परंतु दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. दलील दी गई की विचरण अदालत ने अपने निर्णय में महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों पर ठीक से गौर नहीं किया है. प्रार्थना पत्र का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा है कि याची पांच बार सांसद रह चुका है. वहीं चुनाव आयोग ने आम चुनावों की घोषणा कर दी है. न्यायालय ने कहा इन परिस्थितियों को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि याची के लिए वर्तमान प्रार्थना पत्र दाखिल करना अति आवश्यक था.

यह है मामला

मामले की रिपोर्ट 2 मई 1996 को मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा द्वारा थाना वजीरगंज में राज बब्बर व अरविन्द सिंह यादव के अलावा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी. कहा गया था कि मतदान केंद्र संख्या 192/103 के बूथ संख्या 192 पर जब मतदाताओं का आना बंद हो गया तब वादी मतदान केंद्र से बाहर निकलकर खाना खाने जा रहा था. इसी बीच सपा प्रत्याशी राज बब्बर अपने साथियों को लेकर मतदान केंद्र में आए व फर्जी मतदान का झूठा आरोप लगाने लगे. आरोप है कि राज बब्बर व उनके साथियों ने वादी व शिव कुमार सिंह को मारापीटा. इसी बीच मतदान केंद्र के बूथ संख्या 191 में नियुक्त मतदान अधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव के अलावा वीके शुक्ला तथा पुलिस वालों ने उन्हें बचाया. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद विवेचना की और राज बब्बर व अरविंद यादव के खिलाफ साक्ष्य पाते हुए 23 सितम्बर 1996 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की. चार्जशीट पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने आरोपियों को तलब किया. 7 मार्च 2020 को राज बब्बर के खिलाफ आरोप तय किए गए. 7 जुलाई 2022 को राज बब्बर को इस मामले में दोषी करार दिया गया.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट ने ब्याज के साथ GPF भुगतान का दिया आदेश, 22 साल बाद आश्रित परिवार को मिला न्याय - Lucknow High Court News

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राज बब्बर की ओर से उनके अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि 7 जुलाई 2022 को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राज बब्बर को दोषसिद्ध करार देते हुए दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. मजिस्ट्रेट कोर्ट के उक्त आदेश के विरुद्ध राज बब्बर ने अपील दाखिल की. सत्र अदालत ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज बब्बर को जमानत तो दे दी परंतु दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. दलील दी गई की विचरण अदालत ने अपने निर्णय में महत्वपूर्ण गवाहों के बयानों पर ठीक से गौर नहीं किया है. प्रार्थना पत्र का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा है कि याची पांच बार सांसद रह चुका है. वहीं चुनाव आयोग ने आम चुनावों की घोषणा कर दी है. न्यायालय ने कहा इन परिस्थितियों को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि याची के लिए वर्तमान प्रार्थना पत्र दाखिल करना अति आवश्यक था.

यह है मामला

मामले की रिपोर्ट 2 मई 1996 को मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा द्वारा थाना वजीरगंज में राज बब्बर व अरविन्द सिंह यादव के अलावा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी. कहा गया था कि मतदान केंद्र संख्या 192/103 के बूथ संख्या 192 पर जब मतदाताओं का आना बंद हो गया तब वादी मतदान केंद्र से बाहर निकलकर खाना खाने जा रहा था. इसी बीच सपा प्रत्याशी राज बब्बर अपने साथियों को लेकर मतदान केंद्र में आए व फर्जी मतदान का झूठा आरोप लगाने लगे. आरोप है कि राज बब्बर व उनके साथियों ने वादी व शिव कुमार सिंह को मारापीटा. इसी बीच मतदान केंद्र के बूथ संख्या 191 में नियुक्त मतदान अधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव के अलावा वीके शुक्ला तथा पुलिस वालों ने उन्हें बचाया. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद विवेचना की और राज बब्बर व अरविंद यादव के खिलाफ साक्ष्य पाते हुए 23 सितम्बर 1996 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की. चार्जशीट पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने आरोपियों को तलब किया. 7 मार्च 2020 को राज बब्बर के खिलाफ आरोप तय किए गए. 7 जुलाई 2022 को राज बब्बर को इस मामले में दोषी करार दिया गया.

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