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साइकिल से सुरक्षा! वन्य जीवों की देखरेख के लिए पलामू टाइगर रिजर्व में मानसून पेट्रोलिंग - Palamu Tiger Reserve

Bicycles given to trackers for monsoon patrolling. पलामू टाइगर रिजर्व में मानसून पेट्रोलिंग शुरू हो गयी है. इसको लेकर ट्रैकर्स को कई उपकरण प्रदान किए गये हैं. इसमें साइकिल और स्पेशल किट शामिल है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानें, इस पेट्रोलिंग के जरिए, कैसे होती है बाघ समेत अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 1, 2024, 5:45 PM IST

Bicycles given to trackers for monsoon patrolling in Palamu Tiger Reserve
ग्राफिक्स इमेज (ETV Bharat)

पलामूः एशिया के चर्चित पलामू टाइगर रिजर्व में साइकिल से मानसून पेट्रोलिंग शुरू हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व में 180 ट्रैकर्स को साइकिल दी गयी है जबकि कई लोगों को पेट्रोलिंग किट उपलब्ध करवाई गई है.

पलामू टाइगर रिजर्व में मानसून को लेकर पेट्रोलिंग की शुरुआत की गई है. जून से सितंबर माह तक पलामू टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधि पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. इस दौरान वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए मानसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की जाती है. तीन महीने तक पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हाई अलर्ट जारी रहता है और वन्य जीव की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग की जाती है.

ट्रैकर्स को साइकिल और स्पेशल किट

पलामू टाइगर रिजर्व में 350 से भी अधिक ट्रैकर्स हैं, कई ऐसे इलाकों में पेट्रोलिंग की जाती है जहां किसी भी तरह के वाहन जाना मुश्किल है. एक-एक ट्रैकर 8 से 10 किलोमीटर की पेट्रोलिंग करते है. पलामू टाइगर रिजर्व 200 ट्रैकरों से यह पूछा गया था कि पेट्रोलिंग के लिए साइकिल चाहिए या किट. 180 ट्रैकर साइकिल लेने पर सहमति दी थी और 20 ट्रैकर्स ने किट की मांग की थी. साइकिल से पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में पेट्रोलिंग की जाएगी जहां बाघ के मौजूद होने के सबूत मिले हैं.

मानसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की गई है. पलामू टाइगर रिजर्व के सभी इलाकों में हाई अलर्ट है और ट्रैकर्स से प्रतिदिन का रिपोर्ट लिया जा रहा है. 182 ट्रैकर्स को साइकिल दी गयी है जबकि 20 को किट उपलब्ध करवाई गई है. साइकिल के माध्यम से पेट्रोलिंग करवाई जा रही है. -कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर.

1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है पलामू टाइगर रिजर्व

पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसका पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. नक्सली प्रभावित इलाके में भी ट्रैकर पैदल पेट्रोलिंग करते थे. कुछ वर्ष पहले सुदूरवर्ती इलाकों के लिए मोटरसाइकिल उपलब्ध करवाए गए थे. अब साइकिल उपलब्ध करवाए गए हैं. ट्रैकर्स को दिए गये किट में जैकेट, टॉर्च, छाता, बरसाती किट, जूता समेत जरूरत की कई सामग्री उपलब्ध करवाया गया है.

क्यों होती है मानसून पेट्रोलिंग

जुलाई से लेकर सितंबर के अंतिम सप्ताह तक वन्य जीवों का प्रजनन काल भी होता है. प्रजनन काल के दौरान वन्यजीव जंगलों को छोड़कर आबादी वाले इलाके में भी पहुंच जाते हैं. इस कारण उन पर खतरा मंडराने लगता है. इसके अलावा गर्मी के बाद बारिश के मौसम में जंगलों के विभिन्न जलस्त्रोत भरने लगते हैं. इस कारण भी वन्य जीवों पर शिकार होने का खतरा बना रहता है. क्योंकि ऐसे मौकों पर ग्रामीण हिरण समेत अन्य जीवों का शिकार करते हैं. बता दें कि 2020 के बाद से पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 40 से अधिक हिरणों का शिकार किया गया है. जिसमें 40 प्रतिशत शिकार बरसात के दिनों में हुए हैं. हालिया पीटीआर में बाघ के होने के मिले साक्ष्य के बाद प्रशासन अलर्ट है और उन्हें सुरक्षा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- वर्ल्ड टाइगर डे: बाघों के शिकार पर मिलता था 25 रुपए का इनाम, दशकों बाद भी महक से पहचान जाते हैं अपनी मांद - World Tiger Day Special

इसे भी पढ़ें- बेतला नेशनल पार्क में पर्यटकों को दिखा बाघ, पीटीआर में बाघों की मौजूदगी पर उठ रहे थे सवाल

इसे भी पढ़ें- Monsoon Patrolling In PTR: पलामू टाइगर रिजर्व के जलस्रोतों के आसपास बढ़ी निगरानी, शिकारियों के निशाने पर वन्य जीव

पलामूः एशिया के चर्चित पलामू टाइगर रिजर्व में साइकिल से मानसून पेट्रोलिंग शुरू हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व में 180 ट्रैकर्स को साइकिल दी गयी है जबकि कई लोगों को पेट्रोलिंग किट उपलब्ध करवाई गई है.

पलामू टाइगर रिजर्व में मानसून को लेकर पेट्रोलिंग की शुरुआत की गई है. जून से सितंबर माह तक पलामू टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधि पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. इस दौरान वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए मानसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की जाती है. तीन महीने तक पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हाई अलर्ट जारी रहता है और वन्य जीव की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग की जाती है.

ट्रैकर्स को साइकिल और स्पेशल किट

पलामू टाइगर रिजर्व में 350 से भी अधिक ट्रैकर्स हैं, कई ऐसे इलाकों में पेट्रोलिंग की जाती है जहां किसी भी तरह के वाहन जाना मुश्किल है. एक-एक ट्रैकर 8 से 10 किलोमीटर की पेट्रोलिंग करते है. पलामू टाइगर रिजर्व 200 ट्रैकरों से यह पूछा गया था कि पेट्रोलिंग के लिए साइकिल चाहिए या किट. 180 ट्रैकर साइकिल लेने पर सहमति दी थी और 20 ट्रैकर्स ने किट की मांग की थी. साइकिल से पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में पेट्रोलिंग की जाएगी जहां बाघ के मौजूद होने के सबूत मिले हैं.

मानसून पेट्रोलिंग की शुरुआत की गई है. पलामू टाइगर रिजर्व के सभी इलाकों में हाई अलर्ट है और ट्रैकर्स से प्रतिदिन का रिपोर्ट लिया जा रहा है. 182 ट्रैकर्स को साइकिल दी गयी है जबकि 20 को किट उपलब्ध करवाई गई है. साइकिल के माध्यम से पेट्रोलिंग करवाई जा रही है. -कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर.

1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है पलामू टाइगर रिजर्व

पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसका पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. नक्सली प्रभावित इलाके में भी ट्रैकर पैदल पेट्रोलिंग करते थे. कुछ वर्ष पहले सुदूरवर्ती इलाकों के लिए मोटरसाइकिल उपलब्ध करवाए गए थे. अब साइकिल उपलब्ध करवाए गए हैं. ट्रैकर्स को दिए गये किट में जैकेट, टॉर्च, छाता, बरसाती किट, जूता समेत जरूरत की कई सामग्री उपलब्ध करवाया गया है.

क्यों होती है मानसून पेट्रोलिंग

जुलाई से लेकर सितंबर के अंतिम सप्ताह तक वन्य जीवों का प्रजनन काल भी होता है. प्रजनन काल के दौरान वन्यजीव जंगलों को छोड़कर आबादी वाले इलाके में भी पहुंच जाते हैं. इस कारण उन पर खतरा मंडराने लगता है. इसके अलावा गर्मी के बाद बारिश के मौसम में जंगलों के विभिन्न जलस्त्रोत भरने लगते हैं. इस कारण भी वन्य जीवों पर शिकार होने का खतरा बना रहता है. क्योंकि ऐसे मौकों पर ग्रामीण हिरण समेत अन्य जीवों का शिकार करते हैं. बता दें कि 2020 के बाद से पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 40 से अधिक हिरणों का शिकार किया गया है. जिसमें 40 प्रतिशत शिकार बरसात के दिनों में हुए हैं. हालिया पीटीआर में बाघ के होने के मिले साक्ष्य के बाद प्रशासन अलर्ट है और उन्हें सुरक्षा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.

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