कोडरमा: इन दिनों जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. बढ़ती ठंड से एक ओर जहां जनजीवन प्रभावित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका सबसे ज्यादा असर सब्जियों और रबी फसलों पर देखा जा रहा है. ठंड के कारण पाला मारने से आलू , गोभी, मटर, टमाटर की खेती प्रभावित हो रही है. आलम यह है कि किसान फसलों को ओने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. किसानों को खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही है और किसान इन फसलों को खेत में ही नष्ट करने को मजबूर हैं.
ठंड की वजह से फसलों को नुकसान
इधर, बढ़ती ठंड की वजह से किसान काफी चिंतित हैं. कोडरमा के सरदारोडीह के किसान अजय साव बताते हैं कि वे पिछले 15 वर्षों से सब्जियों की खेती रहे हैं, लेकिन इस बार अधिक ठंड पड़ने से रबी फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती पर भी व्यापक असर पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि ठंड का सबसे ज्यादा असर आलू और टमाटर की पैदावार पर पड़ा है. जहां आलू में पाला मारने से नुकसान हो रहा है, वहीं बढ़ती ठंड के कारण टमाटर के फूल और पत्तियां भी मुरझानी लगी हैं. ऐसे में इन सब्जियों के उत्पादन के प्रभावित होने से बाजार पर भी इसका असर देखा जा रहा है. किसान अजय साव ने बताया कि किसानों की मेहनत और सब्जियों के उत्पादन में जितनी लागत आती है वह भी नहीं निकल पा रहा है.
सबसे ज्यादा इन फसलों को नुकसान
कोडरमा के जयनगर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक प्रमुख अजय राय ने बताया कि ठंड के कारण रबी फसलें और हरी सब्जियां नष्ट होती जा रही हैं. इसका प्रमुख कारण है फसलों और सब्जियों पर लगातार ओस का जमे रहना. उन्होंने बताया कि जिन फसलों या सब्जियों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है उनमें रबी फसल जैसे सरसों, दलहल और सब्जियों में मटर, आलू, टमाटर, गोभी इत्यादि शामिल हैं.
इन उपायों से फसलों और सब्जियों को बचाएं
जयनगर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक प्रमुख अजय राय ने बताया कि किसान ठंड से कुछ उपाय कर अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों पर मल्चिंग (पत्तों से फसलों को ढकने की प्रक्रिया) कर सकते हैं. फसलों और सब्जियों के आसपास धुआं कर सकते हैं, ताकि ओस की बूंदें फसलों को प्रभावित नहीं कर सकें. उन्होंने बताया कि किसान सल्फर (गंधक) का स्प्रे कर के भी अपनी फसलों को बचा सकते हैं.
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