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'अड़ियल रवैया छोड़ कर प्रदर्शनकारी किसानों से बात करें बीजेपी सरकार', भूपेंद्र हुड्डा बोले- उनकी मांगे जायज - BHUPINDER HOODA ON FARMERS PROTEST

Bhupinder Hooda on Farmers Protest: किसान दिल्ली कूच को लेकर शंभू बॉडर्र पर अड़े हैं. इस बीच भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार को नसीहत दी है.

Bhupinder Hooda on Farmers Protest
Bhupinder Hooda on Farmers Protest (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 13, 2024, 7:56 AM IST

चंडीगढ़: पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर प्रदर्शनकारी किसानों से बात करनी चाहिए, क्योंकि आमरण अनशन पर बैठे जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. दल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं, ताकि केंद्र पर किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें उनकी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगें शामिल हैं.

'किसानों की मांगे जायज': मीडिया रिपोर्टर्स के मुताबिक जगजीत सिंह दल्लेवाल का वजन 11 किलो से अधिक कम हो गया है. जबकि उनका ब्लड शुगर लेवल भी उतार-चढ़ाव वाला है. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा "किसान कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं. वे केवल सरकार को उसके अपने वादों की याद दिला रहे हैं. वे अपनी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते हैं, जो पूरी तरह से जायज है. सरकार ने किसानों से उनका आंदोलन (2021 में) खत्म करने के लिए यही वादा किया था. भाजपा सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों से बात करनी चाहिए."

'किसानों को दिल्ली कूच के लिए रोकना लोकतंत्र विरोधी कदम': किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के कदम को भाजपा सरकार का लोकतंत्र विरोधी कदम बताते हुए हुड्डा ने कहा "किसानों की आवाज दबाने की बजाय सरकार को बातचीत के जरिए समाधान निकालना चाहिए. लोकतंत्र में सभी को कहीं भी आने-जाने और शांतिपूर्वक अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार किसानों से ये अधिकार छीन रही है"

उन्होंने कहा कि किसान बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के पैदल दिल्ली जाने को तैयार हो गए हैं और ऐसे में उन्हें रोकना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. दल्लेवाल, जिनका आमरण अनशन गुरुवार को 17वें दिन में प्रवेश कर गया, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) हर किसान के लिए जीने के मौलिक अधिकार की तरह है.

किसान नेता की तबीयत बिगड़ी: खनौरी सीमा पर दल्लेवाल का मेडिकल चेकअप करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि उनकी हालत बिगड़ रही है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. डॉक्टर ने कहा कि लंबे समय तक अनशन करने की वजह से वह कमजोर हो गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षाबलों ने उनके दिल्ली कूच को रोक दिया था.

14 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे किसान: एसकेएम और केएमएम के बैनर तले 101 किसानों के एक जत्थे ने 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली में प्रवेश करने का दो प्रयास किया, लेकिन हरियाणा में सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया. अब उन्होंने 14 दिसंबर को दिल्ली कूच करने का एक और आह्वान किया है. एमएसपी के अलावा, उनकी मांगों में कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, किसानों के खिलाफ पुलिस केस वापस लेना और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" शामिल हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.

ये भी पढ़ें- शंभू बॉर्डर बंद होने से पंजाब और जम्मू जाने वालों को परेशानी, दिल्ली कूच पर अड़े हैं किसान - AMBALA SHAMBHU BORDER

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन का साइड इफेक्ट, दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे बंद होने से मुसाफ़िर परेशान - FARMERS PROTEST

ये भी पढ़ें- हरियाणा के कांग्रेस नेता ने खोल डाली अपनों की पोल, बोले- EVM नहीं बल्कि इस वजह से हारे हरियाणा - FORMER MLA SHAMSHER SINGH GOGI

चंडीगढ़: पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर प्रदर्शनकारी किसानों से बात करनी चाहिए, क्योंकि आमरण अनशन पर बैठे जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. दल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं, ताकि केंद्र पर किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें उनकी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगें शामिल हैं.

'किसानों की मांगे जायज': मीडिया रिपोर्टर्स के मुताबिक जगजीत सिंह दल्लेवाल का वजन 11 किलो से अधिक कम हो गया है. जबकि उनका ब्लड शुगर लेवल भी उतार-चढ़ाव वाला है. भूपेंद्र हुड्डा ने कहा "किसान कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं. वे केवल सरकार को उसके अपने वादों की याद दिला रहे हैं. वे अपनी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते हैं, जो पूरी तरह से जायज है. सरकार ने किसानों से उनका आंदोलन (2021 में) खत्म करने के लिए यही वादा किया था. भाजपा सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों से बात करनी चाहिए."

'किसानों को दिल्ली कूच के लिए रोकना लोकतंत्र विरोधी कदम': किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के कदम को भाजपा सरकार का लोकतंत्र विरोधी कदम बताते हुए हुड्डा ने कहा "किसानों की आवाज दबाने की बजाय सरकार को बातचीत के जरिए समाधान निकालना चाहिए. लोकतंत्र में सभी को कहीं भी आने-जाने और शांतिपूर्वक अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन भाजपा सरकार किसानों से ये अधिकार छीन रही है"

उन्होंने कहा कि किसान बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के पैदल दिल्ली जाने को तैयार हो गए हैं और ऐसे में उन्हें रोकना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. दल्लेवाल, जिनका आमरण अनशन गुरुवार को 17वें दिन में प्रवेश कर गया, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) हर किसान के लिए जीने के मौलिक अधिकार की तरह है.

किसान नेता की तबीयत बिगड़ी: खनौरी सीमा पर दल्लेवाल का मेडिकल चेकअप करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि उनकी हालत बिगड़ रही है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. डॉक्टर ने कहा कि लंबे समय तक अनशन करने की वजह से वह कमजोर हो गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षाबलों ने उनके दिल्ली कूच को रोक दिया था.

14 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे किसान: एसकेएम और केएमएम के बैनर तले 101 किसानों के एक जत्थे ने 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली में प्रवेश करने का दो प्रयास किया, लेकिन हरियाणा में सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया. अब उन्होंने 14 दिसंबर को दिल्ली कूच करने का एक और आह्वान किया है. एमएसपी के अलावा, उनकी मांगों में कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, किसानों के खिलाफ पुलिस केस वापस लेना और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" शामिल हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.

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