जबलपुर : यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने के तरीके के विरोध में जबलपुर के सामाजिक संगठन भी खड़े हो गए हैं. सामाजिक संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का कहना है "इस कचरे के विनिष्टीकरण में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया है. साथ ही खतरनाक सामान के विनिष्टीकरण की गाइडलाइन को भी दरकिनार कर दिया है." संगठन के लोगों का कहना है "यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो इस मामले को भी सुप्रीम कोर्ट ले जाएंगे."
राज्य सरकार के फैसले के विरोध में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच
बता दें कि भोपाल में यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में जलाकर नष्ट करने के मामले में जनाक्रोश खड़ा हो गया है. अब जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने भी इस मामले में अब अपनी आपत्ति जाहिर की है. बता दें कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जनहित के मुद्दों पर हाईकोर्ट में 500 से ज्यादा याचिकाएं लगा चुका है. इनमें से कई याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसले भी आए हैं. इस मुद्दे पर भी नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे का कहना है "राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण में डिस्पोजल आफ हेजारडस मटेरियल के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया है."
ऐसे मामले में क्षेत्र के लोगों को पूरी जानकारी देनी चाहिए
डॉ. नाजपांडे का कहना है "जब भी ऐसे खतरनाक सामान का डिस्पोजल किया जाता है तो उस क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों के लिए इसकी जानकारी दी जाती है कि इससे जलवायु और जमीन पर कितना नुकसान होगा." मंच का कहना है "भोपाल नगर निगम, पीथमपुर का स्थानीय प्रशासन और धार जिले के प्रशासन को इस बात को हिंदी और अंग्रेजी में स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करना चाहिए कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनिष्टीकरण में इस क्षेत्र की वायु, जल और जमीन को क्या नुकसान होगा, इसके क्या वैज्ञानिक पहलू हैं. यदि भोपाल धार और पीतमपुरा का स्थानीय प्रशासन ऐसा नहीं करता है तो नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा."
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सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन बताया
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बताया "आज से 7 साल पहले भी यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में सामने आया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनिष्टीकरण को पार्ट बाय पार्ट करने के आदेश दिए थे लेकिन जिस तरीके से राज्य सरकार ने एकाएक पूरा कचरा उठाया है, वह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी उल्लंघन है."