भोपाल: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की राजधानियों की दूरी कम होने वाली है. दोनों राजधानियों को सीधे जोड़ने के लिए 600 किलोमीटर लंबा हाईवे बनाया जा रहा है. इस नेशनल हाईवे को तीन चरणों में बनाया जाएगा. इस मेगा प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 11 हजार 300 करोड़ है. यह हाईवे बन जाने से लखनऊ और भोपाल के बीच की दूरी कम हो जाएगी और आने-जाने में काफी समय बचेगा. इसके अलावा यह हाईवे जहां-जहां से गुजरेगा उसके आस-पास रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
तीन चरणों में बनेगा 600 किलोमीटर का नेशनल हाईवे
दो राजधानियों को जोड़ने वाले इस मेगा प्रोजेक्ट को 3 हिस्सों में पूरा किया जाएगा. पहला हिस्सा कानपुर से करबई तक 112 किलोमीटर का होगा. दूसरा हिस्सा करबई से सागर तक 223 किलोमीटर का बनेगा. जबकि तीसरे हिस्से के तहत सागर से भोपाल तक 150 किलोमीटर का हाईवे बनेगा. इसमें करबई से सागर के बीच नेशनल हाईवे बनाने का काम जारी है. लखनऊ से भोपाल तक फोर टू सिक्सलेन नेशनल हाइवे बनाने में करीब 11,300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. जबकि इसके लिए 2026 तक की समय सीमा तय की गई है.
4 तहसीलों के 57 गावों की बदलेगी तस्वीर
करबई से सागर के बीच बन रहे 223 किलोमीटर फोर टू सिक्सलेन हाईवे के कारण, महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर और बड़ामलहरा तहसीलों के करीब 57 गावों की तस्वीर बदल जाएगाी. इसमें बरौली, रायपुर, पड़री लालपुर, सतरहुली, सरांय, सिरोह, भदेवना, छाजा, रामसारी, मिर्जापुर, कुम्हेड़िया, ओरिया, बम्हौरा, इतर्रा, गुच्चुपुर, परास प्रथम खंड, कोरिया पश्चिमी, कोहरा, सजेती, बम्हौरी, चितौली, अनोइया, बावन, मदुरी, बरीपाल, असगहा, पड़री गंगादीन, सिरसा, कंधौली, धरछुआ, मैधरी, असवार मऊ, समुही, लहुरीमऊ कासिमपुर, परास द्वितीय खंड और कोरिया पूर्वी, परसेंढ़ा एहतमाली, परसेंढ़ा मुस्तकिल, गंगूपुर, श्यामपुर, देवगांव गहतौली, जलाला, पचखुरा बुजुर्ग, टेढ़ा, अराजी मुतनाजा पंधेरी, पढ़ौली, पारा, इटरा, चंदनपुरवा बुजुर्ग, भौनियां, पत्योरा दरिया और पत्योरा डांडा गांव शामिल हैं.
रफ्तार में बाधा नहीं बनेगा ट्रैफिक, सरपट दौड़ेंगी गाड़ियां
सागर से कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का पिछले कई सालों से विस्तार नहीं किया गया है. जिस वजह से कानपुर, लखनऊ और वाराणसी के लिए मध्य प्रदेश के यातायात का सर्वाधिक दबाव इसी मार्ग पर रहता है. लेकिन टू लेन होने के कारण यहां आवागमन में काफी दिक्कत आती है. इसके अलावा बड़े पैमाने पर सड़क दुर्घटनाएं सामने आती हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में बड़े पैमाने पर रेत और मुरम का व्यवसाय इसी मार्ग पर होता है, जो यहां से कानपुर के अलावा लखनऊ, बहराइच,गोंडा, सीतापुर और अयोध्या तक जाता है. नया हाईवे सागर से निकलकर बंडा, दलपतपुर, शाहगढ़, बड़ामलहरा, गुलगंज, छतरपुर, गढ़ी मलहरा होते हुए श्रीनगर और महोबा से गुजरेगा.
एमपी-यूपी में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, पर्यटन भी बढ़ेगा
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी एसके सिंह ने बताया कि, "भोपाल-लखनऊ इकोनॉमिक कॉरिडोर जहां यूपी और एमपी के बड़े शहरों को जोड़ने का काम करेगा और माल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगा. वहीं दूसरी तरफ बुंदेलखंड के खनन व्यवसाय के लिए काफी लाभदायक साबित होगा. यूपी और एमपी के बुंदेलखंड से खासकर रेत और मुरम का व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता है. इसके अलावा जो सबसे बड़ा फायदा मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड को होने वाला है, वह पर्यटन का होगा. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के खजुराहो, ओरछा जैसे धार्मिक पर्यटन केंद्र के अलावा पन्ना और नौरादेही टाइगर रिजर्व यूपी के पर्यटकों के लिए आकर्षण का काम करेगा."