भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) के फिक्स डिपॉजिट में हुए घोटाले में ED ने बड़ी कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने X हैंडल पर जानकारी दी है "इस मामले में 1 करोड़ 90 लाख की संपत्ति फ्रीज की गई है. साथ ही फर्जीवाड़े से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं." बता दें कि आरजीपीवी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार और निलंबित रजिस्ट्रार आरएस राजूपत समेत 4 लोगों के खिलाफ करीब 20 करोड़ रुपये निजी खातों में ट्रांसफर करने का आरोप है.
ईडी, भोपाल ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल के मामले में मध्य प्रदेश के भोपाल, सोहागपुर और पिपरिया तथा झारखंड के रांची और बोकारो में स्थित विभिन्न परिसरों में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 02.09.2024 को तलाशी अभियान चलाया।
— ED (@dir_ed) September 5, 2024
घोटाले की रकम का निवेश प्रॉपर्टी में करने की जांच
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में हुए घोटाले को लेकर ईडी ने हाल ही में पूर्व कुलपति सुनील कुमार, पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत और पूर्व वित्त नियंत्रक के ठिकानों में छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी को बड़ी संख्या में अवैध दस्तावेज और चल-अचल संपत्ति के रिकॉर्ड मिले हैं. जांच में पता चला कि आरोपियों ने आरजीपीवी की राशि का इस्तेमाल प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट में किया है. इस मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने मध्यप्रदेश और झारखंड में दो दिन तक जांच की.
तलाशी अभियान के दौरान, 1.90 करोड़ रुपये(लगभग) की चल संपत्तियां जब्त की गईं, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और अचल/चल संपत्तियों का विवरण पाया गया और जब्त किया गया।
— ED (@dir_ed) September 5, 2024
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भोपाल के गांधीनग पुलिस थाने में मामला पहले से दर्ज
ईडी की टीम ने 2 सितंबर को प्रिवेंशन आफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत भोपाल, सोहागपुर, पिपरिया और झारखंड के रांची-बोकारो में आरजीपीवी के पूर्व कुलपति, पूर्व वित्त नियंत्रक और पूर्व रजिस्ट्रार के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी ने बड़ी संख्या में घोटाले से जुड़े दस्तावेज और चल-अचल संपत्ति के रिकार्ड जब्त किए हैं. इनकी जांच की जा रही है. बता दें कि इस मामले में भोपाल के गांधी नगर थाने में एफआईआर पहले से दर्ज है. प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पता चला कि आरोपियों ने विवि के खातों से 20 करोड़ रुपए निकाल कर निजी खातों और ट्रस्ट में ट्रांसफर किए हैं. इसमें बैंक स्टाफ की भी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.