भोपाल: कोरोना की महामारी के दौरान देवदूत कहलाए कोरोना योद्धा याद है न आपको. एमपी में कोरोना योद्धा के तौर पर जान हथेली पर लेकर सेवाएं देते रहे. 300 से ज्यादा आयुष के अलावा दंत चिकित्सक, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, फार्मेसिस्ट महामारी खत्म होने के साथ ही बेरोजगार हो गए. अब ये कोरोना योद्धा सरकार से मांग कर रहे हैं कि जैसे यूपी में योगी सरकार के अलावा महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और बिहार में कोरोना योद्धाओं को संविदा नियुक्ति देने की घोषणा की गई है, वैसे एमपी की डॉ. मोहन यादव की सरकार ये फैसला क्यों नहीं ले रही.
यूपी बिहार में संविदा कर्मी के तौर पर नियुक्ति, एमपी में क्यों नहीं
कोविड 19 आयुष चिकित्सक संघ, कोविड 19 स्वास्थ्य कर्मचारी संघ उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के निवास पर प्रदर्शन किया और मांग की कि जिस तरह से यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में सरकार ने कोरोना योद्धाओं को संविदा नियुक्ति देने का ऐलान किया है. ऐसा ही फैसला एमपी में डॉ मोहन यादव की सरकार क्यों नहीं ले रही है.
कोविड 19 आयुष चिकित्सक संघ कोविड 19 के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल पटेल ने बताया कि "विगत दिनों देश के उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, बिहार राज्य की सरकार ने कोविड के दौरान कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने की घोषणा कर दी है. जब एक तरफ सरकार कह रही है कि स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पद हैं, तो सभी कर्मचारियो का रिक्त पदों में संविदा संविलियन क्यों नहीं किया जा सकता है. पटेल ने कहा कि जब महामारी थी, तब इन्हीं कोरोना योद्धाओं ने जान हथेली पर लेकर काम किया था. बाद में इन्हें बजट का हवाला देकर निकाल दिया गया. जिसके बाद पूरे प्रदेश में हजारों कोरोना योद्धा बेरोजगार हो गए."
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प्रदेश भर में 300 कोरोना योद्धा जो बेरोजगार हुए
जिस समय एमपी में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी, तब स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती से निपटने के लिए 300 से अधिक आयुष चिकित्सक स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन और दंत चिकित्सक ये सब कोरोना योद्धा के तौर पर काम कर रहे थे. संगठन के अध्यक्ष अनिल पटेल कहते हैं कि जब हमने सरकार का संकट की घड़ी में जान की परवाह किए बिना साथ दिया, तो सरकार के लिए भी मौका है कि वो अब कोरोना योद्धाओं को संविलियन करे.