भोपाल। करप्शन करने का माद्दा हो तो करने वाले कफन दफन के पैसे में भी खेल कर डालते हैं. एमपी के मजदूरों को मुसीबत के समय मदद पहुंचाने वाली योजना में मजदूर की मौत या उसकी दुर्घटना होने पर उसे या परिजन को दो लाख तक की सहायता राशि दी जाती है. इस राशि में एमपी में इतना गड़बड़झाला हुआ है कि जीवित मजदूरों को मरा हुआ बताकर उनके हिस्से की दो लाख की सहायता राशि निकाल ली गई.
क्या है सरकार की योजना, कितना मिलता है लाभ
मध्यप्रदेश भवन एव अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की ओर से मजदूरों को विपत्ति के समय सहायता राशि दी जाती है. चूंकि बड़ी तादाद असंगठित मजदूरों की है, लिहाजा उन्हें सहायता पहुंचाने, उनकी दुर्घटना होने पर या मृत्यु हो जाने पर अंत्येष्टि समेत परिवार की सहायता के लिए दो लाख रुपए की सहायता राशि दी जाती है. उद्देश्य ये है कि समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का सबसे कठिन समय कुछ आसान बनाया जा सके.
कागजों में मृत, अंत्येष्टि का पैसा भी मिल गया
पुराने भोपाल की रहने वाली बुजुर्ग उर्मिला बाई की सरकारी कागज़ों में पड़ताल की जाए तो उनकी मौत गुजरे साल हो चुका है. वह दो लाख रुपए भी ले चुकी हैं, जो अंत्येष्टि के लिए मिलते हैं. उर्मिला बाई की दलील भी दिलचस्प है वे कहती हैं "अटैक के समय पैसे ले लिए थे. काम भी आ गए. मरने के बाद पैसे किस काम के." लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है लीला बाई को बेटी की मौत पर दो लाख की सहायता राशि मिलनी थी, वो सरकारी कागजों में उनके नाम पर चढ़ गई लेकिन उनके हाथ नहीं आई.
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दो करोड़ से ज्यादा का हो सकता है घोटाला
ऐसा नहीं कि भोपाल नगर निगम को इसकी जानकारी नहीं है. छह महीने पहले ही इन गड़बड़ियों को लेकर नगर निगम जागृत हो चुका था. ऐसी 80 से ज्यादा फाइलों का पता भी चला. लेकिन इनमें भी 50 से ज्यादा फाइलें गायब हैं. माना जा रहा है कि ये घोटाला दो करोड़ से ज्यादा का हो सकता है. इस मामले को लेकर अपर आयुक्त पवन सिंह से उनके मोबाइल पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. नगर निगम के पीआरओ प्रेमशंकर शुक्ला का कहना है कि मामला निगम के संज्ञान में आया है, हालांकि अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं आई है. मामले का परीक्षण कराया जा रहा है.