भोपाल। राजधानी भोपाल में अतिक्रमण की कार्रवाई कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है. आए दिन यहां अतिक्रमण हटाने के दौरान लड़ाई-झगड़े और विवाद की नौबत बनती है. इसी कारण नगर निगम की अतिक्रमण शाखा को पुरुषों के वर्चस्व वाले विभाग के तौर पर जाना जाता है, लेकिन नगर निगम के 72 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब किसी महिला अधिकारी को अतिक्रमण शाखा की कमान सौंपी गई है. जी हां इस बार ये कमान सृष्टि भदौरिया को दी गई है.
शिक्षिका से लेकर अतिक्रमण अधिकारी तक का सफर
सृष्टि भदौरिया की कहानी अथक समर्पण, दृढ़ता और जन सेवा के प्रति जुनून की कहानी है. शिक्षा के क्षेत्र से अपने पेशेवर सफर की शुरुआत करने वाली सृष्टि की कहानी आसान नहीं रही है. इसके पहले उन्होंने भोपाल के एक बड़े स्कूल में अध्यापन का कार्य किया. इसके साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी बच्चों को पढ़ाती थीं. अब सृष्टि भोपाल में अतिक्रमण की एक टीम का नेतृत्व कर रही हैं. उनका मानना है कि शहरी प्रबंधन और सार्वजनिक स्थानों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अवैध अतिक्रमणों की पहचान करना और उन्हें हटाना ही उनका लक्ष्य है.
महिला वर्ग की मेरिट सूची में शामिल हुआ नाम
सृष्टि ने साल 2018 में मैनिट से बैचलर ऑफ प्लानिंग की डिग्री हासिल की. वहीं बीयू भोपाल से बैचलर ऑफ एजुकेशन बीएड किया. इसके अलावा संस्कार वैली स्कूल में शिक्षक के रूप में पांच साल सेवाएं दीं. इसके बाद आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आयोजित परीक्षा की तैयारी की, हालांकि इंटरव्यू में उन्हें सफलता नहीं मिली. फिर साल 2023 में मेहनत का फल तब मिला, जब उन्होंने ग्रुप 2 सब-ग्रुप 4 पटवारी और संयुक्त भर्ती परीक्षाओं में प्रदर्शन करते हुए महिला वर्ग में मैरिट रैंक हासिल की.
परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति के लिए 1 साल इंतजार
प्रशासनिक विसंगतियों के कारण उनकी नियुक्ति में एक साल की देरी के बावजूद, सृष्टि का दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं हुआ. मार्च 2024 में वह आधिकारिक तौर पर सहायक अतिक्रमण अधिकारी के रूप में आईएसबीटी भोपाल में नगर पालिका निगम में शामिल हुईं. उनकी भूमिका तेजी से विकसित हुई और मई के अंत तक उन्हें भोपाल में मध्य विधानसभा क्षेत्र के लिए अतिक्रमण अधिकारी की जिम्मेदारियां सौंपी गईं.
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20 साल से प्रभारी के भरोसे चल रही थी अतिक्रमण शाखा
दरअसल, नगर निगम में सालों से प्रभारी प्रथा चली आ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह निगम के पास पद के मुताबिक अफसर नहीं हैं. इसलिए दूसरे विभागों के कर्मचारियों को ही उपकृत कर प्रभारी बना दिया जाता रहा है. ऐसा ही एक विभाग अतिक्रमण शाखा है, जिसमें 20 साल से कोई मूल पद का अफसर नहीं था. लेकिन अब निगम की इस समस्या का समाधान हो गया है. जबकि इससे पहले निगम अतिक्रमण के सिपाही से लेकर सफाई कामगार, सुपरवाईजर और डीएसएस को ही प्रभार देकर काम चल रहा था.