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सुप्रीम कोर्ट से हटा स्टे, भोपाल में जून से माडर्न स्लॉटर हाउस से होगी लैब टेस्टेड मीट सप्लाई - Bhopal Modern Slaughter House

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 6:53 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 7:07 PM IST

राजधानी भोपाल में बन रहे माडर्न स्लॉटर हाउस पर मप्र हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हटा दिया है. इस आदेश के बाद अब जीरो वेस्ट स्लॉटर हाउस का रास्ता साफ हो गया है. इसी साल जून माह में यह शुरू हो सकता है.

BHOPAL MODERN SLAUGHTER HOUSE
भोपाल का माडर्न स्लॉटर हाउस

भोपाल। राजधानी में बन रहे माडर्न स्लॉटर हाउस पर मप्र हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हटा दिया है. इससे शहर में जिंसी तिराहे पर बन रहे जीरो वेस्ट स्लॉटर हाउस का रास्ता साफ हो गया है. इसके बनने के बाद शहर में मीट की सप्लाई प्रयोगशाला में मांस की क्वालिटी जांचने के बाद ही होगी. स्लॉटर हाउस में प्रतिदिन एक हजार से छोटे-बड़े जानवरों की स्लाटिंग होगी. संचालनकर्ता एजेंसी का कहना है कि मई के आखिरी सप्ताह तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और जून के पहले सप्ताह से स्लॉटिंग शुरु कर दी जाएगी.

विवादों में घिरा रहा स्लॉटर हाउस का मुद्दा

शहर में स्लॉटर हाउस का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है. पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड ने जिंसी स्लॉटर को शहर से बाहर करने के लिए 30 सितंबर 2015 को आदेश दिया था. इस आदेश के पालन में नगर निगम ने पहले आमदपुर छावनी में जगह देखी लेकिन कुछ दूरी पर मां कंकाली मंदिर होने के कारण लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. विरोध बढ़ता देख निगम ने जिला प्रशासन से दूसरी जगह मांगी लेकिन हर इलाके के विधायक ने साफ कहा कि नया स्लाटर हमारे इलाके में नहीं बनेगा. सालों तक यह विवाद चलता रहा.

हाईकोर्ट ने लगा दी थी रोक

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर निगम ने मौजूदा स्लॉटर हाउस को हाईटेक और जीरो वेस्ट बनाने की कवायद शुरू की. चूंकि हाईटेक स्लाटर हाउस को बनाने में लगभग 20 से 30 करोड़ रूपए खर्च होने थे तो निगम ने इसे पीपीपी मोड पर देना बेहतर समझा. मौजूदा स्लाटर पर निगम हर साल एक करोड़ रूपये खर्च कर रहा था. टेंडर हुए और लाइफ स्टॉक को निगम ने वर्कऑर्डर दे दिया. इस टेंडर में कुरैशी सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी भाग लिया लेकिन टेंडर नहीं मिलने के बाद वह हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने स्लाटर हाउस के निर्माण पर रोक लगा दी थी.

90 प्रतिशत पानी कम खर्च होगा

माडर्न स्लाटर हाउस बनने से जानवरों के स्लाटिंग के दौरान हाेने वाले पानी के खर्च में 90 प्रतिशत की कमी आएगी. वर्तमान में केवल 200 जानवरों की स्लाटिंग में ही प्रतिदिन 50 हजार लीटर पानी की खपत होती है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि स्लाटर हाउस बनने के बाद घरों में हो रही स्लाटिंग बंद कराई जाएगी. खुदरा दुकानदार भी यहीं से मांस खरीदेंगे. दुकानों में खुले मांस की बिक्री बंद होगी. पालीथिन में बंद मांस का विक्रय किया जाएगा. अभी तक पुराने स्लाटर हाउस में जानवरों को हलाल किया जाता है. इसका निकलने वाला कचरा नालों में बहाया जा रहा है.

एसी वैन से होगा ट्रांसपाेर्टेशन

स्लाटर हाउस बनाने वाली कंपनी लाइव स्टॉक के प्रबंधन ने बताया कि अब तक पूरे शहर में खुली गाड़ियों से मांस की आपूर्ति की जा रही है. इसे कवर भी नहीं किया जाता है इससे राहगीरों को परेशानी होती है. लाइव स्टॉक कंपनी आधुनिक मशीनों से जानवरों की स्लाटिंग करने के बाद मांस को पालीथिन में पैक कर बाहर भेजा जाएगा. एसी वैन से पूरे शहर में इसकी आपूर्ति होगी.

ये भी पढ़ें:

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स्लाटर हाउस के वेस्ट मटेरियल से बन रही गैस से घरों में बन रहा खाना

निगम के खर्च में कटौती, होगा मुनाफा

वर्तमान में निगम स्लाटर हाउस के संचालन पर हर वर्ष एक करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च करता है. अब निजी कंपनी को काम सौंपने से नगर निगम का यह खर्च भी बचेगा. साथ ही इसका संचालन करने वाली कंपनी आधुनिक बूचड़खाना बनाने में होने वाला 30 करोड़ रुपये खुद वहन करेगी और नगर निगम को हर वर्ष चार लाख रुपये की रायल्टी भी देगी. वहीं हर वर्ष इसमें पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. इसके लिए उक्त कंपनी के साथ निगम ने 20 वर्ष का अनुबंध किया है.

भोपाल। राजधानी में बन रहे माडर्न स्लॉटर हाउस पर मप्र हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हटा दिया है. इससे शहर में जिंसी तिराहे पर बन रहे जीरो वेस्ट स्लॉटर हाउस का रास्ता साफ हो गया है. इसके बनने के बाद शहर में मीट की सप्लाई प्रयोगशाला में मांस की क्वालिटी जांचने के बाद ही होगी. स्लॉटर हाउस में प्रतिदिन एक हजार से छोटे-बड़े जानवरों की स्लाटिंग होगी. संचालनकर्ता एजेंसी का कहना है कि मई के आखिरी सप्ताह तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और जून के पहले सप्ताह से स्लॉटिंग शुरु कर दी जाएगी.

विवादों में घिरा रहा स्लॉटर हाउस का मुद्दा

शहर में स्लॉटर हाउस का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है. पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड ने जिंसी स्लॉटर को शहर से बाहर करने के लिए 30 सितंबर 2015 को आदेश दिया था. इस आदेश के पालन में नगर निगम ने पहले आमदपुर छावनी में जगह देखी लेकिन कुछ दूरी पर मां कंकाली मंदिर होने के कारण लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. विरोध बढ़ता देख निगम ने जिला प्रशासन से दूसरी जगह मांगी लेकिन हर इलाके के विधायक ने साफ कहा कि नया स्लाटर हमारे इलाके में नहीं बनेगा. सालों तक यह विवाद चलता रहा.

हाईकोर्ट ने लगा दी थी रोक

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर निगम ने मौजूदा स्लॉटर हाउस को हाईटेक और जीरो वेस्ट बनाने की कवायद शुरू की. चूंकि हाईटेक स्लाटर हाउस को बनाने में लगभग 20 से 30 करोड़ रूपए खर्च होने थे तो निगम ने इसे पीपीपी मोड पर देना बेहतर समझा. मौजूदा स्लाटर पर निगम हर साल एक करोड़ रूपये खर्च कर रहा था. टेंडर हुए और लाइफ स्टॉक को निगम ने वर्कऑर्डर दे दिया. इस टेंडर में कुरैशी सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने भी भाग लिया लेकिन टेंडर नहीं मिलने के बाद वह हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने स्लाटर हाउस के निर्माण पर रोक लगा दी थी.

90 प्रतिशत पानी कम खर्च होगा

माडर्न स्लाटर हाउस बनने से जानवरों के स्लाटिंग के दौरान हाेने वाले पानी के खर्च में 90 प्रतिशत की कमी आएगी. वर्तमान में केवल 200 जानवरों की स्लाटिंग में ही प्रतिदिन 50 हजार लीटर पानी की खपत होती है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि स्लाटर हाउस बनने के बाद घरों में हो रही स्लाटिंग बंद कराई जाएगी. खुदरा दुकानदार भी यहीं से मांस खरीदेंगे. दुकानों में खुले मांस की बिक्री बंद होगी. पालीथिन में बंद मांस का विक्रय किया जाएगा. अभी तक पुराने स्लाटर हाउस में जानवरों को हलाल किया जाता है. इसका निकलने वाला कचरा नालों में बहाया जा रहा है.

एसी वैन से होगा ट्रांसपाेर्टेशन

स्लाटर हाउस बनाने वाली कंपनी लाइव स्टॉक के प्रबंधन ने बताया कि अब तक पूरे शहर में खुली गाड़ियों से मांस की आपूर्ति की जा रही है. इसे कवर भी नहीं किया जाता है इससे राहगीरों को परेशानी होती है. लाइव स्टॉक कंपनी आधुनिक मशीनों से जानवरों की स्लाटिंग करने के बाद मांस को पालीथिन में पैक कर बाहर भेजा जाएगा. एसी वैन से पूरे शहर में इसकी आपूर्ति होगी.

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निगम के खर्च में कटौती, होगा मुनाफा

वर्तमान में निगम स्लाटर हाउस के संचालन पर हर वर्ष एक करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च करता है. अब निजी कंपनी को काम सौंपने से नगर निगम का यह खर्च भी बचेगा. साथ ही इसका संचालन करने वाली कंपनी आधुनिक बूचड़खाना बनाने में होने वाला 30 करोड़ रुपये खुद वहन करेगी और नगर निगम को हर वर्ष चार लाख रुपये की रायल्टी भी देगी. वहीं हर वर्ष इसमें पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी. इसके लिए उक्त कंपनी के साथ निगम ने 20 वर्ष का अनुबंध किया है.

Last Updated : Apr 5, 2024, 7:07 PM IST
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