भोपाल। आमतौर पर चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारी कई तरह के प्रयास करते हैं, बीमारी का बहाना बनाते हैं, सिफारिशें तक लगाते हैं. वहीं कर्मचारियों के एक वर्ग को जब सरकार ने चुनाव ड्यूटी से बाहर रखने का आदेश निकाला, तो इसे देख कर्मचारी निराश हो गए. यह कर्मचारी प्रदेश के अतिथि शिक्षक हैं. इस आदेश के साथ ही साफ हो गया कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं सिर्फ 30 अप्रैल तक ही हैं. अतिथि शिक्षक इसे धोखा बता रहे हैं.
'घोषणा हुई लेकिन आदेश निकला ही नहीं'
अतिथि शिक्षक संघ के महामंत्री अरूण गोस्वामी का कहना है कि "विधानसभा चुनाव के पहले अतिथि शिक्षकों की महापंचायत में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी. उन्होंने ऐलान किया था कि अतिथि शिक्षकों को 12 महीने सैलरी मिलेगी. लेकिन यह घोषणा कोरी घोषणा ही रही. इसका आदेश आज तक निकला ही नहीं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने अब आदेश जारी कर अतिथि शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाने का निर्णय लिया है. इससे साफ है कि अतिथि शिक्षकों का अनुबंध 30 अप्रैल तक ही है. अब नए शिक्षण सत्र में नए सिरे से अतिथि शिक्षक रखे जाएंगे".
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क्वालिफाई टीचर को भी नहीं मिली राहत
अतिथि शिक्षक संघ के महामंत्री के मुताबिक "प्रदेश में अभी करीबन 60 हजार अतिथि शिक्षक हैं, जो सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा कई अतिथि शिक्षक पात्रता परीक्षा में क्वालिफाई हो चुके हैं लेकिन उनकी भी अभी तक सरकारी भर्ती नहीं हो पाई है. वे कहते हैं कि जुलाई माह से अब अतिथि शिक्षकों को रखा जाएगा लेकिन इसकी प्रक्रिया पूरी होने में ही करीबन 2 माह लग जाते हैं. ऐसे में देखा जाए तो भले ही वादा 12 माह की सैलरी का किया गया हो, लेकिन नौकरी सिर्फ 8 माह की ही मिलती है. इस सरकार ने चुनावी साल में अतिथि शिक्षकों के साथ धोखा किया है".