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'चेहरे बयां कर रहे थे उस काली रात का खौफ', विदिशा के चश्मे से भोपाल गैस त्रासदी

भोपाल गैस त्रासदी के साक्षी लोगों ने उस समय की व्यथा को बताया, कहा परिजन किसी तरह अपने परिवार की जान बचाने में लगे थे.

Bhopal gas tragedy
भोपाल गैस त्रासदी की आंखों देखा हाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 16 hours ago

Updated : 16 hours ago

विदिशा: 2 और 3 दिसंबर 1984 की वो दरमियानी रात, जो इतिहास की सबसे भयावह औद्योगिक त्रासदी है. भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ. हवा के रुख के साथ यह जहरीली गैस फैलती चली गई. जो भी इसकी चपेट में आया उसे सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन होने लगी. इसके साथ ही वे कई अन्य तरह की गंभीर बीमारियों से जूझने लगे.

घर, जायदाद छोड़ भागने लगे थे लोग

इस घटना से भोपाल में अफरा-तफरी मच गई. लोग घर, सामान और अपनी जायदाद छोड़कर जान बचाने के लिए भागने लगे. ट्रेनों, बसों और गाड़ियों में लोग खचाखच भरे हुए थे. जिनके पास कोई साधन नहीं था, वे पैदल ही चल पड़े. भोपाल से लगभग 55 किमी दूर विदिशा ने भी इस त्रासदी को करीब से देखा. इनमें से भागते हुए कई लोग विदिशा पहुंचे. इस बारे में विदिशा के कुछ लोगों ने उस समय का आंखों देखा हाल बताया, आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

People struggling to save their families
अपने परिवार को बचाने जद्दोजहद कर रहे थे लोग (ETV Bharat)

अपने परिवार की जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे लोग

तत्कालीन सांसद प्रताप भानु शर्मा ने बताया कि "हमने केंद्र और राज्य सरकार से लगातार संपर्क बनाए रखा. विदिशा में राहत कार्य को संगठित करने की कोशिश की. यहां के लोगों का सहयोग काबिले तारीफ था यह त्रासदी न केवल भोपाल बल्कि आसपास के शहरों और गांवों की भी परीक्षा थी. विदिशा ने इस कठिन समय में मानवता का परिचय दिया."

Gas leaked in Union Carbide factory
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुई थी गैस लीक (ETV Bharat)

लायंस क्लब इंटरनेशनल के पूर्व जिला गवर्नर अतुल शाह ने बताया "भोपाल से जो लोग विदिशा पहुंचे, उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था. हमें जैसे ही खबर मिली, हम तुरंत उनकी मदद के लिए जुट गए. लायंस क्लब ने लोगों के खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम किया." उन्होंने बताया कि विदिशा के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग गई. डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात मरीजों की सेवा में जुट गए. कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने भी मानवीय धर्म निभाते हुए पीड़ितों के लिए भोजन, पानी और दवाइयों की व्यवस्था की.

Bhopal Gas Tragedy MIC leakage
मिथाइल आइसोसाइनेट गैस हुई थी लीक (ETV Bharat)

इस बारें में वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र पांडे कहते हैं "मैंने देखा कि विदिशा के लोग कितनी शिद्दत से भोपाल से आए पीड़ितों की मदद कर रहे थे. रेलवे स्टेशन पर हर ट्रेन से पीड़ित उतर रहे थे. यहां लोग उन्हें अस्पताल पहुंचाने से लेकर भोजन आदि सहित हर काम में लगे थे" उन्होंने बताया कि विदिशा रेलवे स्टेशन पर उतरते पीड़ित और भोपाल से आने वाले परिजन किसी तरह अपने परिवार की जान बचाने में लगे थे. विदिशा के नागरिकों ने उन्हें हर संभव सहारा दिया.

Bhopal gas leak death
गैस लीक होने से कई लोगों की गई जान (ETV Bharat)
People run nearby cities to save lives
जान बचाने आसपास के शहरों की ओर भाग रहे थे लोग (ETV Bharat)

पूर्व जिला प्रचारक आनंद शंकर जिझौतिया ने कहा कि "विदिशा में राहत कार्य के दौरान हमने देखा कि कैसे हर व्यक्ति ने अपनी क्षमता के अनुसार पीड़ितों की मदद की. यह मानवता का अद्भुत उदाहरण था. वहीं, जिला अस्पताल के तत्कालीन आरएमओ डॉ. सुरेश गर्ग ने कहा कि "भोपाल से आए मरीजों की स्थिति बेहद खराब थी. हमारे पास जो भी साधन उपलब्ध थे, उनसे हमने इलाज किया, लेकिन उनके दर्द को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है"

BHOPAL GAS TRAGEDY
भोपाल गैस त्रासदी (ETV Bharat)

भोपाल गैस त्रासदी ने न केवल भोपाल बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. विदिशा के लोगों ने पीड़ितों की मदद में सराहनीय भूमिका निभाई और मानवता का परिचय दिया. ये घटना हमें याद दिलाती है कि ऐसी त्रासदियों से सीख लेकर भविष्य में सुरक्षा और सतर्कता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.

Fear clearly visible on victims faces
पीड़ित लोगों के चेहरे पर साफ दिख रहा ता डर (ETV Bharat)

विदिशा: 2 और 3 दिसंबर 1984 की वो दरमियानी रात, जो इतिहास की सबसे भयावह औद्योगिक त्रासदी है. भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ. हवा के रुख के साथ यह जहरीली गैस फैलती चली गई. जो भी इसकी चपेट में आया उसे सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन होने लगी. इसके साथ ही वे कई अन्य तरह की गंभीर बीमारियों से जूझने लगे.

घर, जायदाद छोड़ भागने लगे थे लोग

इस घटना से भोपाल में अफरा-तफरी मच गई. लोग घर, सामान और अपनी जायदाद छोड़कर जान बचाने के लिए भागने लगे. ट्रेनों, बसों और गाड़ियों में लोग खचाखच भरे हुए थे. जिनके पास कोई साधन नहीं था, वे पैदल ही चल पड़े. भोपाल से लगभग 55 किमी दूर विदिशा ने भी इस त्रासदी को करीब से देखा. इनमें से भागते हुए कई लोग विदिशा पहुंचे. इस बारे में विदिशा के कुछ लोगों ने उस समय का आंखों देखा हाल बताया, आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

People struggling to save their families
अपने परिवार को बचाने जद्दोजहद कर रहे थे लोग (ETV Bharat)

अपने परिवार की जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे लोग

तत्कालीन सांसद प्रताप भानु शर्मा ने बताया कि "हमने केंद्र और राज्य सरकार से लगातार संपर्क बनाए रखा. विदिशा में राहत कार्य को संगठित करने की कोशिश की. यहां के लोगों का सहयोग काबिले तारीफ था यह त्रासदी न केवल भोपाल बल्कि आसपास के शहरों और गांवों की भी परीक्षा थी. विदिशा ने इस कठिन समय में मानवता का परिचय दिया."

Gas leaked in Union Carbide factory
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुई थी गैस लीक (ETV Bharat)

लायंस क्लब इंटरनेशनल के पूर्व जिला गवर्नर अतुल शाह ने बताया "भोपाल से जो लोग विदिशा पहुंचे, उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था. हमें जैसे ही खबर मिली, हम तुरंत उनकी मदद के लिए जुट गए. लायंस क्लब ने लोगों के खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम किया." उन्होंने बताया कि विदिशा के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग गई. डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात मरीजों की सेवा में जुट गए. कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने भी मानवीय धर्म निभाते हुए पीड़ितों के लिए भोजन, पानी और दवाइयों की व्यवस्था की.

Bhopal Gas Tragedy MIC leakage
मिथाइल आइसोसाइनेट गैस हुई थी लीक (ETV Bharat)

इस बारें में वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र पांडे कहते हैं "मैंने देखा कि विदिशा के लोग कितनी शिद्दत से भोपाल से आए पीड़ितों की मदद कर रहे थे. रेलवे स्टेशन पर हर ट्रेन से पीड़ित उतर रहे थे. यहां लोग उन्हें अस्पताल पहुंचाने से लेकर भोजन आदि सहित हर काम में लगे थे" उन्होंने बताया कि विदिशा रेलवे स्टेशन पर उतरते पीड़ित और भोपाल से आने वाले परिजन किसी तरह अपने परिवार की जान बचाने में लगे थे. विदिशा के नागरिकों ने उन्हें हर संभव सहारा दिया.

Bhopal gas leak death
गैस लीक होने से कई लोगों की गई जान (ETV Bharat)
People run nearby cities to save lives
जान बचाने आसपास के शहरों की ओर भाग रहे थे लोग (ETV Bharat)

पूर्व जिला प्रचारक आनंद शंकर जिझौतिया ने कहा कि "विदिशा में राहत कार्य के दौरान हमने देखा कि कैसे हर व्यक्ति ने अपनी क्षमता के अनुसार पीड़ितों की मदद की. यह मानवता का अद्भुत उदाहरण था. वहीं, जिला अस्पताल के तत्कालीन आरएमओ डॉ. सुरेश गर्ग ने कहा कि "भोपाल से आए मरीजों की स्थिति बेहद खराब थी. हमारे पास जो भी साधन उपलब्ध थे, उनसे हमने इलाज किया, लेकिन उनके दर्द को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है"

BHOPAL GAS TRAGEDY
भोपाल गैस त्रासदी (ETV Bharat)

भोपाल गैस त्रासदी ने न केवल भोपाल बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया. विदिशा के लोगों ने पीड़ितों की मदद में सराहनीय भूमिका निभाई और मानवता का परिचय दिया. ये घटना हमें याद दिलाती है कि ऐसी त्रासदियों से सीख लेकर भविष्य में सुरक्षा और सतर्कता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.

Fear clearly visible on victims faces
पीड़ित लोगों के चेहरे पर साफ दिख रहा ता डर (ETV Bharat)
Last Updated : 16 hours ago
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