भोपाल। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक डाॅ.विक्रांत भूरिया ने जेल से रिहा होने के बाद एक बार फिर पटवारी भर्ती परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि युवा कांग्रेस के आंदोलन के बाद सरकार ने आनन-फानन में पटवारी भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन इस भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है.डाॅ. भूरिया ने आरोप लगाया कि पटवारी भर्ती में सरकार लीपापोती करने का काम कर रही है.
तीन दिन बाद जेल से रिहा
बेरोजगारी के मुद्दे पर युवा कांग्रेस ने 13 फरवरी को भोपाल में आंदोलन किया था जिसमें युवा कांग्रेस की सरकार से मांग थी कि या तो रोजगार दो या गिरफ्तार करो. आंदोलन के दौरान युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप शर्मा और ब्यौहारी विधानसभा अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया था.गुरुवार की देर शाम सभी को रिहा किया गया.तीन दिन जेल में रहने के बाद शुक्रवार को विक्रांत भूरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर सरकार को घेरा.
बेरोजगारों के साथ खिलवाड़
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस ने 13 फरवरी को प्रदेश स्तर पर ‘रोजगार दो या गिरफ्तार करो’ आंदोलन के माध्यम से युवाओं के रोजगार, महिला असुरक्षा और आदिवासी अत्याचार को लेकर आंदोलन किया था. डाॅ. विक्रांत भूरिया ने कहा कि "सरकार प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ निरंतर खिलवाड़ कर रही है. सरकार योजनाबद्ध तरीके से युवाओं के हक का मर्दन कर रही है. सरकार ने पहले सेवानिवृत्ति की आयु 58 से 60 वर्ष की कुछ वर्षों बाद उसे बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया और अब सरकार इसे 65 वर्ष करने जा रही है. जिसका सीधा असर 5 लाख बेरोजगारों पर पड़ेगा. 5 लाख कर्मचारी जो सेवानिवृत्त होते उससे नए रोजगार का सृजन होता."
पटवारी भर्ती परीक्षा में लीपापोती का आरोप
डाॅ. विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि पटवारी भर्ती में सरकार पूरे तरीके से लीपापोती करने का काम कर रही है. हमारे प्रदेश स्तरीय आंदोलन को देखकर सरकार ने जल्दबाजी में पटवारी भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पत्र जारी कर रही है. पटवारी भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इसलिए इसकी सी बी आई जांच की मांग कर रहे हैं. जरा कल्पना कीजिए एक ऐसा युवा जिसको यह जानकारी नहीं कि प्रदेश में कितने जिले हैं वह परीक्षा का टाॅपर कैसे हो सकता है.
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एमपीपीएससी पर भी उठाए सवाल
उन्होंने एमपीपीएससी परीक्षा पर भी सवाल उठाए. वर्तमान में एमपीपीएससी परीक्षा में मात्र 60 पदों पर भर्ती निकाली गई है जबकि सामान्यतः 500 से अधिक पदों पर भर्ती की जानी चाहिए थी. 2023 की मुख्य परीक्षा में भी 50 दिन का अंतर रखा गया जबकि सामान्यतः इसमें 90 दिवस का अंतर रहता था. इससे युवाओं को मानसिक दबाव महसूस हो रहा है.