भोपाल। एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक बार फिर कैंसर से जूझ रही एक महिला को जीवनदान दिया है. दरअसल यह महिला आहार नली के कैंसर से लंबे समय से जूझ रही थी लेकिन वह सर्जरी कराने से डर रही थी. ऐसे में डॉक्टरों ने उसकी काउंसलिंग कर सर्जरी के लिए मनाया. इसके बाद उसकी सर्जरी कर कैंसर वाले हिस्से को हटा दिया. अब महिला पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
एक साल पहले हुई थी कैंसर की पहचान
एम्स भोपाल की ऑन्कोलॉजी ओपीडी में करीब 1 साल पहले 40 वर्षीय एक महिला अपना इलाज कराने आई थी. उसने डॉक्टरों को बताया कि 3 महीने से उसके पेट के ऊपरी हिस्से में तकलीफ और सीने में जलन हो रही है. डॉक्टरों ने जब उसकी जांच कराई तो, पता चला कि उसे आहार नली का कैंसर है. ऐसे में डॉक्टरों ने उसे कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बाद सर्जरी कराने की सलाह दी. लेकिन तब वह इसके लिए तैयार नहीं थी.
काउंसलिंग करने के बाद हुई तैयार
कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी कराने के बाद महिला सर्जरी नहीं कराना चाहती थी जबकि उसके स्वस्थ होने के लिए यह बहुत जरुरी था. ऐसे में डॉक्टरों ने उसकी गहन काउंसलिंग की. जिसके बाद अप्रैल 2024 में वह फिर से सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ओपीडी आई और बीमारी की गंभीरता को समझते हुए सर्जरी कराने के लिए तैयार हो गई.
चुनौतीपूर्ण था ऑपरेशन
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. नीलेश श्रीवास्तव ने बताया कि महिला की बीमारी को देखते हुए कम्पलीट एसोफैजेक्टामी के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया. रोगी की सर्जरी वायुमार्ग के कारण चुनौतीपूर्ण थी और इसी कारण से उसका आपरेशन एक बार रद्द भी किया गया था. एनेस्थीसिया की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पूजा सिंह ने मरीज को ब्रोन्कियल ब्लाकर से इंट्यूबेट किया और डा. नीलेश श्रीवास्तव की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी टीम ने महिला की सर्जरी की.
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महिला के ऊपरी अन्नप्रणाली का सिरा निकाला गया
सर्जरी के बाद मरीज की हालत में सुधार हो रहा था और 13वें दिन उसे छुट्टी देने की योजना बनाई गई. लेकिन उसी दिन उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी. प्राथमिकता के आधार पर मरीज की इमरजेंसी जांच में पाया गया कि गर्दन के पास अन्न प्रणाली के जुड़ने वाले स्थान से रिसाव हो रहा है. उसे फिर से इमरजेंसी में ले जाया गया और उसकी गर्दन के बाहर से ऊपरी अन्नप्रणाली का सिरा निकाला गया. डॉ. जैनब अहमद के मार्ग दर्शन में एनेस्थीसिया विभाग की एक टीम ने मामले को अच्छी तरह से संभाला और मरीज को 5 दिनों तक आईसीयू में रखा. मरीज की इच्छा शक्ति भी बहुत मजबूत थी क्योंकि 2 सर्जरी के बाद भी वह ठीक होने के लिए लड़ रही थी और 7 दिनों के बाद उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. मरीज अब स्थिर है और उसे छुट्टी दे दी गई है.