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अलवर में भोले बाबा का आलीशान आश्रम, ग्रामीण बोले- सिर्फ महिला अनुयायियों को ही मिलता था यहां प्रवेश, हमें नहीं दिखा चमत्कार - BHOLE BABA ASHRAM IN ALWAR - BHOLE BABA ASHRAM IN ALWAR

हाथरस दुखांतिका वाले भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का अलवर के सहजपुर गांव में आश्रम है. माना जाता है कि यहां केवल महिलाओं को ही प्रवेश मिलता है. ग्रामीण कहते हैं कि पुरुष जब अंदर प्रवेश के लिए जाता है तो सेवादार उनके साथ मारपीट करते हैं.

BHOLE BABA ASHRAM IN ALWAR
भोले बाबा का अलवर में आश्रम (Photo : Etv Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 8, 2024, 2:06 PM IST

भोले बाबा का अलवर में आश्रम (Video : Etv Bharat)

अलवर. हाथरस में भगदड़ की घटना के बाद चर्चा में आए सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का अलवर जिले के खेरली कस्बे के समीप सहजपुर गांव में छोटा लेकिन तमाम सुख-सुविधाओं से लैस आश्रम है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस आश्रम की खास बात यह है कि जब भी भोले बाबा यहां आते है, तब आश्रम में केवल महिला अनुयायी को ही अंदर प्रवेश की अनुमति रहती है. ग्रामीण यदि आश्रम में प्रवेश करना भी चाहें तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता. इस पर भी कई बार आश्रम में प्रवेश चाहने वाले अनुयायियों के साथ सेवादार मारपीट तक करने से गुरेज नहीं करते. सेवादारों की ओर से मारपीट पर ऐतराज करने पर भोले बाबा के अनुयायी इसे प्रभु का आशीर्वाद बताते हैं.

सहजपुर गांव में भोले बाबा का करीब डेढ़ बीघा भूमि पर आश्रम है. यहां करीब तीन कमरे हैं, जो की एयर कंडीशनर और अन्य सुविधाओं से युक्त हैं. ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि आश्रम के बाथरूम तक में एसी लगा हुआ है. आश्रम में प्रवचन के लिए अलग से स्थान बनाया हुआ है, जहां बैठकर भोले बाबा प्रवचन करते हैं और सामने अनुयायियों के बैठने के लिए टीनशैड व एक बीघा से ज्यादा खुला स्थान है. ग्रामीणों का कहना है कि सहजपुर गांव में आश्रम के लिए भोले बाबा ने करीब डेढ़ बीघा जमीन ग्रामीण देवीराम से खरीदी और 2010 में आश्रम का निर्माण शुरू हुआ. आश्रम निर्माण पूरा होने के बाद कई बार वो यहां आकर प्रवचन भी दे चुके हैं.

इसे भी पढ़ें : हाथरस वाले 'भोले बाबा' का राजस्थान कनेक्शन, अलवर में भी है आश्रम, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई घटनास्थल की आपबीती - Bhole baba Connection with Alwar

बाहरी अनुयायियों को ही मिलता था प्रवेश : वार्ड पंच फूलसिंह यादव ने बताया कि भोले बाबा के प्रवचन के दौरान यहां बाहरी क्षेत्रों से आने वाले अनुयायियों को ही प्रवेश दिया जाता है. ग्रामीणों को आश्रम व प्रवचन स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जाता. वर्ष 2020 में भोले बाबा ने यहां अंतिम बार प्रवचन दिए. इसके बाद उनका यहां आना नहीं हुआ.

ग्रामीणों को नहीं दिखा कोई चमत्कार : ग्रामीण दीपक ने बताया कि भोले बाबा के अनुयायियों को भले ही उनके चमत्कार दिखे हों, लेकिन ग्रामीणों को कभी कोई चमत्कार नहीं दिखा. उन्होंने बताया कि अनुयायी भोले बाबा को प्रभु या भगवान मानते हैं, लेकिन ग्रामीणों को उनके भगवान होने जैसा आभास कभी नहीं हुआ.

भोले बाबा का अलवर में आश्रम (Video : Etv Bharat)

अलवर. हाथरस में भगदड़ की घटना के बाद चर्चा में आए सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का अलवर जिले के खेरली कस्बे के समीप सहजपुर गांव में छोटा लेकिन तमाम सुख-सुविधाओं से लैस आश्रम है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस आश्रम की खास बात यह है कि जब भी भोले बाबा यहां आते है, तब आश्रम में केवल महिला अनुयायी को ही अंदर प्रवेश की अनुमति रहती है. ग्रामीण यदि आश्रम में प्रवेश करना भी चाहें तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता. इस पर भी कई बार आश्रम में प्रवेश चाहने वाले अनुयायियों के साथ सेवादार मारपीट तक करने से गुरेज नहीं करते. सेवादारों की ओर से मारपीट पर ऐतराज करने पर भोले बाबा के अनुयायी इसे प्रभु का आशीर्वाद बताते हैं.

सहजपुर गांव में भोले बाबा का करीब डेढ़ बीघा भूमि पर आश्रम है. यहां करीब तीन कमरे हैं, जो की एयर कंडीशनर और अन्य सुविधाओं से युक्त हैं. ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि आश्रम के बाथरूम तक में एसी लगा हुआ है. आश्रम में प्रवचन के लिए अलग से स्थान बनाया हुआ है, जहां बैठकर भोले बाबा प्रवचन करते हैं और सामने अनुयायियों के बैठने के लिए टीनशैड व एक बीघा से ज्यादा खुला स्थान है. ग्रामीणों का कहना है कि सहजपुर गांव में आश्रम के लिए भोले बाबा ने करीब डेढ़ बीघा जमीन ग्रामीण देवीराम से खरीदी और 2010 में आश्रम का निर्माण शुरू हुआ. आश्रम निर्माण पूरा होने के बाद कई बार वो यहां आकर प्रवचन भी दे चुके हैं.

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बाहरी अनुयायियों को ही मिलता था प्रवेश : वार्ड पंच फूलसिंह यादव ने बताया कि भोले बाबा के प्रवचन के दौरान यहां बाहरी क्षेत्रों से आने वाले अनुयायियों को ही प्रवेश दिया जाता है. ग्रामीणों को आश्रम व प्रवचन स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जाता. वर्ष 2020 में भोले बाबा ने यहां अंतिम बार प्रवचन दिए. इसके बाद उनका यहां आना नहीं हुआ.

ग्रामीणों को नहीं दिखा कोई चमत्कार : ग्रामीण दीपक ने बताया कि भोले बाबा के अनुयायियों को भले ही उनके चमत्कार दिखे हों, लेकिन ग्रामीणों को कभी कोई चमत्कार नहीं दिखा. उन्होंने बताया कि अनुयायी भोले बाबा को प्रभु या भगवान मानते हैं, लेकिन ग्रामीणों को उनके भगवान होने जैसा आभास कभी नहीं हुआ.

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