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Rajasthan: भीलवाड़ा के विष्णु के कामयाबी की कहानी, ऑर्गेनिक खेती से हर साल कमा रहे हैं लाखों रुपए

भीलवाड़ा के एक किसान ने जैविक खेती को अपनाकर कामयाबी की नई कहानी लिखी है. किसान हर साल लाखों का मुनाफा कमा रहा है.

organic farming in rajasthan
जैविक खेती (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2024, 7:52 PM IST

भीलवाड़ा : अगर मन में जज्बा हो और कुछ कर गुजरने की चाह हो तो हर मुकाम आसानी से हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड क्षेत्र की बराणा गांव के होनहार किसान विष्णु कुमार पारीक ने. किसान ग्रीन हाउस में जैविक खेती से खीरे की पैदावार करके लाखों रुपए प्रतिवर्ष कमा रहे हैं. वहीं, किसान विष्णु कुमार गेहूं, जौ, कपास व अन्य सब्जियों की भी जैविक खेती कर रहे हैं. जैविक खेती करने के कारण विष्णु को 2 बार राज्य स्तर पर और एक बार जिला स्तर पर भी सम्मान मिल चुका है. विष्णु कुमार अब क्षेत्र के किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. किसान विष्णु कुमार ने कहा कि रासायनिक दवाइयों और खाद का उपयोग करके अच्छा उत्पादन तो ले सकते हैं, लेकिन उसके दुष्प्रभाव बहुत हैं. इससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा रहता है.

किसान विष्णु कुमार पारीक ने बताया कि उनके खेत पर 3 ग्रीन हाउस बने हुए हैं. वो अपने खेत पर ही गाय पालन कर गाय के गोबर से केंचुए वाली जौविक खाद तैयार करते हैं और इस जैविक खाद को ही ग्रीन हाउस और अन्य खेतों में इस्तेमाल करते हैं. किसान ने ग्रीन हाउस में खीरे और ककड़ी की फसल लगा रखी है, जिसकी सिंचाई बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से की जाती है. किसान हर साल लाखों रुपए की खीरा और ककड़ी बाजार में बेचते हैं.

जैविक खेती ने विष्णु कुमार पारीक को बनाया कामयाब (ETV Bharat Bhilwara)

इसे भी पढ़ें- किसान नाना की पीड़ा देख नातिन ने बनाया मॉडल, कम जमीन में जैविक खेती कर ले सकेंगे अधिक उपज

बाजार में तुरंत बिक जाता है माल : किसान विष्णु कुमार पारीक ने कहा कि जैविक खेती करने कारण उनकी भीलवाड़ा सहित राजस्थान में पहचान बनी हुई है. इसी कारण ग्रीन हाउस में जो भी खीरा और ककड़ी का उत्पादन होता है, उसको वो उदयपुर, बिजयनगर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और ब्यावर सब्जी मंडी में भेजते है, जहां उनका माल तुरंत अच्छे दामों पर बिक जाता है.

तीन बार हो चुके हैं सम्मानित : किसान विष्णु कुमार पारीक द्वारा जैविक खेती व अन्य नवाचार करने के कारण उन्हें दो बार राज्य स्तर पर और एक बार जिला स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है. किसान विष्णु कुमार पारीक ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि वो अधिक से अधिक किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करें. विष्णु कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया के उन्हें जैविक खेती की प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली. पीएम ने किसानों की आय दुगनी करने का आह्वान किया. इस दौरान उन्होंने जैविक खेती करने का भी आह्वान किया था. प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद उन्होंने जैविक खेती करने की ठानी. जैविक खेती करने के लिए सबसे पहले उन्होंने 5-6 देसी गाय खरीदकर वर्मी कंपोस्ट प्लांट की स्थापना की. उस वर्मी कंपोस्ट से जो जैविक खाद बनता है, उसे वो खेती में प्रयोग करते हैं. इसके साथ ही नीम, धतूरा, पीपल, छाछ और बेसन से जैविक दवाइयां बनाने का काम भी उन्होंने किया.

इसे भी पढ़ें- कृषि वैज्ञानिक जैविक खेती को प्रभावशाली बनाने के लिए अधिक से अधिक अनुसंधान करें- मंत्री झाबर सिंह

15 से 20 लाख का मुनाफा : किसान विष्णु कुमार ने बताया कि उन्होंने तीन ग्रीन हाउस लगाए. उसमें पहले वो रासायनिक दवाइयां उपयोग में लेते थे, लेकिन अब जैविक खाद और घर पर बनी जैविक दवाइयों का ही उपयोग कर रहे हैं. तीनों ग्रीन हाउस के अंदर एक वर्ष में 100 टन खीरा और ककड़ी का उत्पादन होता है, जो 20 से 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बिकता है. एक वर्ष में दो बार फसल की पैदावार करते हैं. ऐसे में किसान को 15 से 20 लाख का प्रतिवर्ष मुनाफा होता है.

उन्होंने बताया कि जैविक खेती करने से सबसे बड़ा फायदा यह कि जब वो मंडी में उपज लेकर जाते हैं तो तुरंत बिक जाती है. विष्णु कुमार को किसान कोटे से महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर के मैनेजमेंट का सदस्य भी बनाया गया है. कृषि विश्वविद्यालय किसानों के लाभ के लिए और खेती के विभिन्न तरीकों के लिए मेले का आयोजन करवाता है. उन्होंने बताया कि अभी किसान मेले का आयोजन हुआ था, जिसमें 8 जिलों के किसान और वैज्ञानिकों ने जैविक खेती करने का आह्वान किया.

किसानों से जैविक खेती करने की अपील : किसान विष्णु कुमार ने कहा कि वो किसानों से यही आह्मान करना चाहते हैं कि जिस प्रकार रासायनिक खाद से पंजाब व हरियाणा में हरित क्रांति के तहत उत्पादन तो बहुत हुआ, लेकिन आज उस मिट्टी को खेत से बाहर निकाल कर डालना पड़ रहा है. मिट्टी भी काम की नहीं रही. जितने की उपज होती है, उतनी उनके परिवार में बीमारी के लिए पैसा खर्च करना पड़ रहा है. अगर हम जैविक खेती करेंगे तो हम बीमारियों से बचेंगे और हमारे खेत की मिट्टी अच्छी रहेगी और अच्छी उपज होगी.

भीलवाड़ा : अगर मन में जज्बा हो और कुछ कर गुजरने की चाह हो तो हर मुकाम आसानी से हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड क्षेत्र की बराणा गांव के होनहार किसान विष्णु कुमार पारीक ने. किसान ग्रीन हाउस में जैविक खेती से खीरे की पैदावार करके लाखों रुपए प्रतिवर्ष कमा रहे हैं. वहीं, किसान विष्णु कुमार गेहूं, जौ, कपास व अन्य सब्जियों की भी जैविक खेती कर रहे हैं. जैविक खेती करने के कारण विष्णु को 2 बार राज्य स्तर पर और एक बार जिला स्तर पर भी सम्मान मिल चुका है. विष्णु कुमार अब क्षेत्र के किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. किसान विष्णु कुमार ने कहा कि रासायनिक दवाइयों और खाद का उपयोग करके अच्छा उत्पादन तो ले सकते हैं, लेकिन उसके दुष्प्रभाव बहुत हैं. इससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा रहता है.

किसान विष्णु कुमार पारीक ने बताया कि उनके खेत पर 3 ग्रीन हाउस बने हुए हैं. वो अपने खेत पर ही गाय पालन कर गाय के गोबर से केंचुए वाली जौविक खाद तैयार करते हैं और इस जैविक खाद को ही ग्रीन हाउस और अन्य खेतों में इस्तेमाल करते हैं. किसान ने ग्रीन हाउस में खीरे और ककड़ी की फसल लगा रखी है, जिसकी सिंचाई बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से की जाती है. किसान हर साल लाखों रुपए की खीरा और ककड़ी बाजार में बेचते हैं.

जैविक खेती ने विष्णु कुमार पारीक को बनाया कामयाब (ETV Bharat Bhilwara)

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बाजार में तुरंत बिक जाता है माल : किसान विष्णु कुमार पारीक ने कहा कि जैविक खेती करने कारण उनकी भीलवाड़ा सहित राजस्थान में पहचान बनी हुई है. इसी कारण ग्रीन हाउस में जो भी खीरा और ककड़ी का उत्पादन होता है, उसको वो उदयपुर, बिजयनगर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और ब्यावर सब्जी मंडी में भेजते है, जहां उनका माल तुरंत अच्छे दामों पर बिक जाता है.

तीन बार हो चुके हैं सम्मानित : किसान विष्णु कुमार पारीक द्वारा जैविक खेती व अन्य नवाचार करने के कारण उन्हें दो बार राज्य स्तर पर और एक बार जिला स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है. किसान विष्णु कुमार पारीक ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि वो अधिक से अधिक किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करें. विष्णु कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया के उन्हें जैविक खेती की प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली. पीएम ने किसानों की आय दुगनी करने का आह्वान किया. इस दौरान उन्होंने जैविक खेती करने का भी आह्वान किया था. प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद उन्होंने जैविक खेती करने की ठानी. जैविक खेती करने के लिए सबसे पहले उन्होंने 5-6 देसी गाय खरीदकर वर्मी कंपोस्ट प्लांट की स्थापना की. उस वर्मी कंपोस्ट से जो जैविक खाद बनता है, उसे वो खेती में प्रयोग करते हैं. इसके साथ ही नीम, धतूरा, पीपल, छाछ और बेसन से जैविक दवाइयां बनाने का काम भी उन्होंने किया.

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15 से 20 लाख का मुनाफा : किसान विष्णु कुमार ने बताया कि उन्होंने तीन ग्रीन हाउस लगाए. उसमें पहले वो रासायनिक दवाइयां उपयोग में लेते थे, लेकिन अब जैविक खाद और घर पर बनी जैविक दवाइयों का ही उपयोग कर रहे हैं. तीनों ग्रीन हाउस के अंदर एक वर्ष में 100 टन खीरा और ककड़ी का उत्पादन होता है, जो 20 से 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बिकता है. एक वर्ष में दो बार फसल की पैदावार करते हैं. ऐसे में किसान को 15 से 20 लाख का प्रतिवर्ष मुनाफा होता है.

उन्होंने बताया कि जैविक खेती करने से सबसे बड़ा फायदा यह कि जब वो मंडी में उपज लेकर जाते हैं तो तुरंत बिक जाती है. विष्णु कुमार को किसान कोटे से महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर के मैनेजमेंट का सदस्य भी बनाया गया है. कृषि विश्वविद्यालय किसानों के लाभ के लिए और खेती के विभिन्न तरीकों के लिए मेले का आयोजन करवाता है. उन्होंने बताया कि अभी किसान मेले का आयोजन हुआ था, जिसमें 8 जिलों के किसान और वैज्ञानिकों ने जैविक खेती करने का आह्वान किया.

किसानों से जैविक खेती करने की अपील : किसान विष्णु कुमार ने कहा कि वो किसानों से यही आह्मान करना चाहते हैं कि जिस प्रकार रासायनिक खाद से पंजाब व हरियाणा में हरित क्रांति के तहत उत्पादन तो बहुत हुआ, लेकिन आज उस मिट्टी को खेत से बाहर निकाल कर डालना पड़ रहा है. मिट्टी भी काम की नहीं रही. जितने की उपज होती है, उतनी उनके परिवार में बीमारी के लिए पैसा खर्च करना पड़ रहा है. अगर हम जैविक खेती करेंगे तो हम बीमारियों से बचेंगे और हमारे खेत की मिट्टी अच्छी रहेगी और अच्छी उपज होगी.

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