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दुर्ग डिजिटल अरेस्ट ठगी केस, आरोपी औरंगाबाद से पकड़ाया, पुलिस की अपील लोग रहें अलर्ट - DIGITAL ARREST FRAUD CASE

दुर्ग में डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर ठगी करने वाले को पुलिस ने पकड़ लिया है.

ACTION IN DURG DIGITAL ARREST FRAUD
दुर्ग डिजिटल अरेस्ट ठगी केस (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 29, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Nov 29, 2024, 9:40 PM IST

दुर्ग: दुर्ग में डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर ठगी के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने इस ठगी गिरोह के एक सदस्य को पकड़ने में सफलता हासिल की है. पुलिस ने आरोपी को महाराष्ट्र के औरंगाबाद से गिरफ्तार किया है. इस केस का मास्टरमाइंड अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. दुर्ग के भिलाई में आरोपियों ने एक शख्स को डिजिटल अरेस्ट की बात कहकर उससे कुल 49 लाख रुपये की ठगी की थी.

धोखा देकर की ठगी: आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया. भिलाई के इंद्रप्रकाश कश्यप को डिजिटल अरेस्ट की बात कहकर पांच दिनों तक उन्हें परेशान किया. बदमाशों ने कुल पांच दिनों तक उन्हें झांसा दिया और उनसे कुल 49 लाख रुपये की ठगी की. शातिर ने पुलिस नेटवर्क को लेकर एक फर्जी सेटअप तैयार किया और फोन पर उन्हें गुमराह कर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

दुर्ग डिजिटल ठगी केस में कार्रवाई (ETV BHARAT)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पकड़ाया आरोपी: पुलिस ने इस केस की जांच में साइबर क्राइम और क्राइम यूनिट की मदद ली. इसके बाद इनपुट मिलने पर टीम महाराष्ट्र गई और आरोपी को हिरासत में ले लिया. इस केस में आरोपी से पूछताछ की जा रही है. दुर्ग पुलिस का दावा है कि वह मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है. जल्द ही डिजिटल अरेस्ट का मास्टरमाइंड सलाखों के पीछे होगा.

पीड़ित ने कब केस दर्ज कराया: पीड़ित इंद्रप्रकाश की शिकायत पर हमने सात नवंबर को शिकायत दर्ज की. इस शिकायत में यह बताया गया कि आरोपियों ने उनके आधार कार्ड से सिम जारी करवाकर 29 लोगों को आपत्तिजनक मैसेज भेजे हैं. जब इंद्र प्रकाश खड़गपुर में थे तभी उनके साथ ऐसा हुआ. इसके आधार पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर धमकाया गया और उनसे दिए गए खाते में 49 लाख रुपये जमा करने कहा गया. डर के कारण इन्द्रप्रकाश ने तत्काल दिए गए अकाउंट में पैसे जमा कर दिए. उसके बाद उन्हें ठगी का पता चला. उसके बाद उन्होंने पुलिस में केस दर्ज कराया.

इस मामले में गिरफ्तार अकाउंट होल्डर पहला आरोपी है. अभी अन्य आरोपियों की तालाश की जा रही है. उसके अकाउंट में जमा किए रकम को निकालकर फौरन दूसरे खाते में पहुंचा दिया जाता था. पकड़ा गया आरोपी अपने अकाउंट को 20 प्रतिशत कमीशन में दे रखा था, यानी की जितनी भी रकम उसके खाते में आयेगी उसका 20 प्रतिशत मुनाफा उसे प्राप्त होगा. उसी लालच में यह मुख्य आरोपियों के साथ जुड़ा हुआ था- सुखनंदन राठौर,एएसपी,भिलाई

दुर्ग से शुरू हुई जांच महाराष्ट्र तक पहुंची: पुलिस ने क्राइम ब्रांच के साथ एक विशेष टीम का गठन किया, जिसके बाद जांच में जुटी टीम को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहने वाले बापू श्रीधर का पता चला. पुलिस की टीम वहां पुहंची और पता चला कि इसी के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए. पुलिस ने जब इसके खाते की तलाशी ली, तो उसमे कुल 3 करोड़ रूपए का ट्रांजेक्शन सामने आया, पूछताछ में आरोपी ने गिरोह के कई और भी सदस्यों के संबध में जानकारी पुलिस को दी है. जिसकी तलाश दुर्ग की एंटी क्राइम, सायबर और पुलिस की टीम कर रही है.

डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं: दुर्ग पुलिस ने इस मसले पर लोगों से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान कानून में नहीं है. कई बार पीएम मोदी भी मन की बात में इस बात का उल्लेख कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि डिजिटल अरेस्ट का देश के कानून में कोई जिक्र नहीं है. जो लोग इस बात का झांसा देते हैं उनसे सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे किसी भी झांसे में आप लोग न आएं. ऐसी सूरत में अपने स्थानीय पुलिस को संपर्क करें.

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सुप्रीम कोर्ट के वारंट का झांसा देकर लाखों की ठगी, 5 दिनों तक ठगों ने किया डिजिटल अरेस्ट

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धोखा देकर की ठगी: आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया. भिलाई के इंद्रप्रकाश कश्यप को डिजिटल अरेस्ट की बात कहकर पांच दिनों तक उन्हें परेशान किया. बदमाशों ने कुल पांच दिनों तक उन्हें झांसा दिया और उनसे कुल 49 लाख रुपये की ठगी की. शातिर ने पुलिस नेटवर्क को लेकर एक फर्जी सेटअप तैयार किया और फोन पर उन्हें गुमराह कर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

दुर्ग डिजिटल ठगी केस में कार्रवाई (ETV BHARAT)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद से पकड़ाया आरोपी: पुलिस ने इस केस की जांच में साइबर क्राइम और क्राइम यूनिट की मदद ली. इसके बाद इनपुट मिलने पर टीम महाराष्ट्र गई और आरोपी को हिरासत में ले लिया. इस केस में आरोपी से पूछताछ की जा रही है. दुर्ग पुलिस का दावा है कि वह मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है. जल्द ही डिजिटल अरेस्ट का मास्टरमाइंड सलाखों के पीछे होगा.

पीड़ित ने कब केस दर्ज कराया: पीड़ित इंद्रप्रकाश की शिकायत पर हमने सात नवंबर को शिकायत दर्ज की. इस शिकायत में यह बताया गया कि आरोपियों ने उनके आधार कार्ड से सिम जारी करवाकर 29 लोगों को आपत्तिजनक मैसेज भेजे हैं. जब इंद्र प्रकाश खड़गपुर में थे तभी उनके साथ ऐसा हुआ. इसके आधार पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर धमकाया गया और उनसे दिए गए खाते में 49 लाख रुपये जमा करने कहा गया. डर के कारण इन्द्रप्रकाश ने तत्काल दिए गए अकाउंट में पैसे जमा कर दिए. उसके बाद उन्हें ठगी का पता चला. उसके बाद उन्होंने पुलिस में केस दर्ज कराया.

इस मामले में गिरफ्तार अकाउंट होल्डर पहला आरोपी है. अभी अन्य आरोपियों की तालाश की जा रही है. उसके अकाउंट में जमा किए रकम को निकालकर फौरन दूसरे खाते में पहुंचा दिया जाता था. पकड़ा गया आरोपी अपने अकाउंट को 20 प्रतिशत कमीशन में दे रखा था, यानी की जितनी भी रकम उसके खाते में आयेगी उसका 20 प्रतिशत मुनाफा उसे प्राप्त होगा. उसी लालच में यह मुख्य आरोपियों के साथ जुड़ा हुआ था- सुखनंदन राठौर,एएसपी,भिलाई

दुर्ग से शुरू हुई जांच महाराष्ट्र तक पहुंची: पुलिस ने क्राइम ब्रांच के साथ एक विशेष टीम का गठन किया, जिसके बाद जांच में जुटी टीम को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहने वाले बापू श्रीधर का पता चला. पुलिस की टीम वहां पुहंची और पता चला कि इसी के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए. पुलिस ने जब इसके खाते की तलाशी ली, तो उसमे कुल 3 करोड़ रूपए का ट्रांजेक्शन सामने आया, पूछताछ में आरोपी ने गिरोह के कई और भी सदस्यों के संबध में जानकारी पुलिस को दी है. जिसकी तलाश दुर्ग की एंटी क्राइम, सायबर और पुलिस की टीम कर रही है.

डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं: दुर्ग पुलिस ने इस मसले पर लोगों से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान कानून में नहीं है. कई बार पीएम मोदी भी मन की बात में इस बात का उल्लेख कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि डिजिटल अरेस्ट का देश के कानून में कोई जिक्र नहीं है. जो लोग इस बात का झांसा देते हैं उनसे सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे किसी भी झांसे में आप लोग न आएं. ऐसी सूरत में अपने स्थानीय पुलिस को संपर्क करें.

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Last Updated : Nov 29, 2024, 9:40 PM IST
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