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यूपी, एमपी समेत कई राज्यों के किसानों की झोली भरेगा भरतपुरी सरसों, रिकॉर्ड तोड़ होगी पैदावार - MUSTARD VARIETIES

अब भरतपुर के सरसों से मालामाल होंगे यूपी-एमपी समेत इन राज्यों के किसान. सरसों अनुसंधान निदेशालय ने तैयार की कई उन्नत किस्में.

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किसानों की झोली भरेगा भरतपुरी सरसों (ETV BHARAT BHARATPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 10, 2024, 7:49 AM IST

भरतपुर : देशभर में विख्यात भरतपुर की सरसों अब कई राज्यों के किसानों की झोली भरेगी. सरसों अनुसंधान निदेशालय ने देश के किसानों के लिए अब सरसों की कई उन्नत किस्म तैयार की है. इन किस्मों से जहां भरपूर पैदावार होगी, वहीं इनमें तेल की मात्रा भी अच्छी होगी. इससे सरसों तेल उत्पादन भी बढ़ेगा. निदेशालय और उसके संबद्ध संस्थानों ने कुल 6 किस्म तैयार की है, जो कि अलग-अलग राज्यों की जलवायु के अनुसार उपयोगी सिद्ध होंगी.

सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत सरसों अनुसंधान निदेशालय और निदेशालय के नेतृत्व में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने ये नई किस्म तैयार की हैं. सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से दो किस्म तैयार की गई हैं. यह दोनों ही किस्म राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के किसानों के लिए उपयुक्त साबित होंगी.

सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा (ETV BHARAT BHARATPUR)

इसे भी पढ़ें - तापमान बढ़ने के साथ ही सरसों की फसलों में बढ़ा मोयले का प्रकोप, कृषि विभाग ने दी किसानों को ये सलाह

डीआरएमआर 2018-25 (बीपीएम 1825) : डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि यह भारतीय सरसों की किस्मत सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर द्वारा विकसित की गई है. इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान बुवाई कर सकते हैं. इसकी उत्पादन क्षमता 26.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 41.7% है.

डीआरएमआरसीआई(क्यू) 47 : सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा तैयार की गई यह किस्म भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों के लिए है. इसकी उत्पादन क्षमता 23.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत है.

एनपीजे 253 (पीएम 37) : सरसों की यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है. इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के लिए जारी किया गया है. इसकी उत्पादन क्षमता 26.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 39.9% है.

जीएसएच 2155 (पीसीएसएच 2155) : यह गोभी सरसों की हाइब्रिड किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा विकसित की गई है. इसे सभी जोन के लिए जारी किया गया है. इसकी उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 40% है.

इसे भी पढ़ें - मंडियों में पहुंच रही है नकली सरसों, ऐसे की जा रही है तैयार, जानिए कैसे करें इसकी पहचान - Fake mustard

जल्द उपलब्ध होगी किसानों को प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि यह सभी कि निदेशालय के नेतृत्व में तैयार कर ली गई हैं. नोटिफिकेशन के बाद इन सभी किस्मों को आने वाले वर्षों में किसानों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर के सेवर में स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय सरसों की नई-नई गुणवत्तापूर्ण किस्म विकसित करता है. निदेशालय में अब तक करीब 12 किस्म विकसित की जा चुकी हैं. यहां विकसित की गई सरसों की किस्म को न केवल भरतपुर के किसान बल्कि राजस्थान समेत देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, असम, मेघालय, मणिपुर, बिहार समेत 17 राज्यों के किसान बुवाई कर पैदावार लेते हैं.

भरतपुर : देशभर में विख्यात भरतपुर की सरसों अब कई राज्यों के किसानों की झोली भरेगी. सरसों अनुसंधान निदेशालय ने देश के किसानों के लिए अब सरसों की कई उन्नत किस्म तैयार की है. इन किस्मों से जहां भरपूर पैदावार होगी, वहीं इनमें तेल की मात्रा भी अच्छी होगी. इससे सरसों तेल उत्पादन भी बढ़ेगा. निदेशालय और उसके संबद्ध संस्थानों ने कुल 6 किस्म तैयार की है, जो कि अलग-अलग राज्यों की जलवायु के अनुसार उपयोगी सिद्ध होंगी.

सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत सरसों अनुसंधान निदेशालय और निदेशालय के नेतृत्व में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने ये नई किस्म तैयार की हैं. सरसों अनुसंधान निदेशालय की ओर से दो किस्म तैयार की गई हैं. यह दोनों ही किस्म राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों के किसानों के लिए उपयुक्त साबित होंगी.

सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा (ETV BHARAT BHARATPUR)

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डीआरएमआर 2018-25 (बीपीएम 1825) : डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि यह भारतीय सरसों की किस्मत सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर द्वारा विकसित की गई है. इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान बुवाई कर सकते हैं. इसकी उत्पादन क्षमता 26.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 41.7% है.

डीआरएमआरसीआई(क्यू) 47 : सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा तैयार की गई यह किस्म भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों के लिए है. इसकी उत्पादन क्षमता 23.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत है.

एनपीजे 253 (पीएम 37) : सरसों की यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है. इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के लिए जारी किया गया है. इसकी उत्पादन क्षमता 26.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 39.9% है.

जीएसएच 2155 (पीसीएसएच 2155) : यह गोभी सरसों की हाइब्रिड किस्म पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा विकसित की गई है. इसे सभी जोन के लिए जारी किया गया है. इसकी उत्पादन क्षमता 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 40% है.

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जल्द उपलब्ध होगी किसानों को प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि यह सभी कि निदेशालय के नेतृत्व में तैयार कर ली गई हैं. नोटिफिकेशन के बाद इन सभी किस्मों को आने वाले वर्षों में किसानों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर के सेवर में स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय सरसों की नई-नई गुणवत्तापूर्ण किस्म विकसित करता है. निदेशालय में अब तक करीब 12 किस्म विकसित की जा चुकी हैं. यहां विकसित की गई सरसों की किस्म को न केवल भरतपुर के किसान बल्कि राजस्थान समेत देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, असम, मेघालय, मणिपुर, बिहार समेत 17 राज्यों के किसान बुवाई कर पैदावार लेते हैं.

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