भरतपुर. पूर्व राजपरिवार के पारिवारिक विवाद मामले में शुक्रवार को एसडीएम ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 28 तारीख तय की. फिलहाल, पीठासीन अधिकारी ने मामले की फाइल को पढ़ने के लिए और समय की जरूरत बताई है, जिसके चलते शुक्रवार को मामले में कोई फैसला नहीं हो सका.
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के अधिवक्ता यशवंत फौजदार ने बताया कि एसडीएम कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका. पीठासीन अधिकारी ने मामले की फाइल और जरूरी दस्तावेजों के अध्ययन के लिए और समय की जरूरत बताई. जिसके चलते सुनवाई की अग्रिम तारीख 28 मई दी गई है. इससे पहले एसडीएम कोर्ट में 20 और 24 मई को भी सुनवाई हो चुकी है.
यह है पूर्व राजपरिवार का विवाद : पूर्व राजपरिवार सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने, खाना नहीं देने, घर छोड़ने को मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए थे. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिक के रूप में उपखंड अधिकारी के ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र पेश कर ये आरोप लगाए थे, जिसके बाद शुक्रवार को एसडीएम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका.
वहीं, पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेंद्र सिंह पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते 30 साल में महाराजा सूरज की पूरी संपत्ति बेच दी. सिर्फ एक मोतीमहल बचा है. दिव्या सिंह का कहना है कि मैं मरते दम तक मोतीमहल को बचाऊंगी. उन्होंने कहा कि 30 साल में मेरे साथ क्या हुआ, मैंने ये बता दिया तो ऐसा ना हो सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए. साथ ही उन्होंने पारिवारिक विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी आग में घी डालने का आरोप लगाया था, जिसके बाद पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी पत्नी और बेटे के आरोपों को झूठा और बेवुनायद बताते हुए गहलोत से माफी मांगी थी.