बैतूल: पशुधन के महत्व को दर्शाने वाला पोला पर्व बैतूल में सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. बैतूल शहर के गंज क्षेत्र में पोला पर्व पर एक खास प्रतियोगिता का आयोजन होता है, जो पिछले 107 वर्षों से निरंतर जारी है. इस प्रतियोगिता में दर्जनों किसान अपनी बैलों की जोड़ियों को एक से बढ़कर एक तरीकों से सजा धजा कर लाते हैं. यहां एक निर्णायक मंडल होता है. जो बैलों की साज सज्जा, उनके शारीरिक सौष्ठव और चाल ढाल पर अंक देते हैं.
दशकों पुरानी है यह परंपरा
इस प्रतियोगिता में जिन बैल जोड़ी को सबसे अधिक अंक मिलते हैं. उस जोड़ी को इस प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया जाता है. इसके बाद बैल जोड़ियों को पुरुस्कार के रूप में शील्ड और नगद इनाम भी दिया जाता है. बैतूल क्षेत्र में यह परंपरा दशकों पुरानी है. पोला पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए जिले के रहवासी खास तैयारियां करते हैं. इस पर्व पर लोग एक दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं.
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एक बैल जोड़ी सबसे बड़ा पशुधन
बैतूल में गंज क्षेत्र के साहू परिवार की तीन पीढ़ियां इस आयोजन को करवाते आ रहे हैं. किसानों के जीवन में एक बैल जोड़ी सबसे बड़ा पशुधन होता है. आज जबकि आधुनिक साधनों ने खेती में घुसपैठ कर ली है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी पशुधन ही किसानों के जीवन का अभिन्न अंग होता है. पोला पर्व पर बैतूल में एक तोरण बांधी जाती है, जिसके एक एक टुकड़े को लूटने के लिए लोग आते हैं. तोरण एक पवित्र बंधन माना जाता है. जिसे लोग पूजा के स्थान पर रखकर उसकी पूजा करते हैं.