बेतियाः बिहार के बेतिया जिले में बांस से बना ये चचरी पुल अधिकारियों और जनप्रतनिधियों की गैरजिम्मेदारी की कहानी है तो आम
इंसान के हौसले की निशानी भी है. बाढ़ में रोड टूट गया, आवाजाही दूभर हो गयी. अधिकारियों-नेताओं से फरियाद लगाते-लगाते थक गये तो उन्हें अपने हाथों की ताकत का अहसास हुआ. आपस में मिलकर चंदा इकट्ठा किया और बना डाला बांस का चचरी पुल और ये भी जता दिया कि हम किसी के मोहताज नहीं हैं.
किसी ने नहीं सुनी गुहारः मामला योगापट्टी प्रखंड के नवलपुर पंचायत के वार्ड नंबर एक का है. जहां बेनीमाधव टोला में बीस दिन पहले आई बाढ़ ने सड़क तोड़ दी. गांव में आवाजाही के लिए एकमात्र सड़क को बाढ़ का पानी बहा ले गया तो लोगों की आवाजाही मुश्किल हो गयी. गांव का सड़क सम्पर्क भंग होने से सैकड़ों ग्रामीण टापू में रहने को मजबूर हो गए. ग्रामीणों ने सीओ, बीडीओ, मुखिया, सरपंच, विधायक सभी से फरियाद कि सड़क बना दी जाय, लेकिन किसी ने गुहार नहीं सुनी.
बीस दिनों तक इंतजार, फिर पुल हुआ तैयारः सीओ ने आकर टूटे सड़क का निरीक्षण भी किया लेकिन सड़क नहीं बनी. बीस दिनों तक इंतजार करने के बाद ग्रामीणों ने आपस में बैठक की. सभी ने आपस में चंदा एकत्रित किया. करीब 25 हजार चंदा एकत्रित कर चचरी पुल बनाना शुरू किया गया. चचरी पुल करीब-करीब तैयार हो गया है, हालांकि इस पुल से लोग सिर्फ पैदल ही आवाजाही कर सकते हैं.
"जब सड़क टूटी तो सीओ साहब निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भरोसा दिया कि सड़क बहुत जल्द बना दी जाएगी लेकिन सड़क नहीं बनी. उसके बाद सरपंच, मुखिया, विधायक से भी फरियाद की. सबने आश्वासन की घुट्टी पिलाई लेकिन सड़क नहीं बनी. आखिरकार हमलोगों ने आपस में 25 हजार चंदा जमा किया और अब पुल तैयार हो चुका है."- स्थानीय निवासी
अधिकारियों-नेताओं की जवाबदेही कौन तय करेगा ? : नवलपुर पंचायत के लोगों ने अपने दम पर चचरी पुल तो तैयार कर डाला लेकिन ये पुल सवाल पूछ रहा है कि आखिर अधिकारियों-नेताओं की जवाबदेही कौन तय करेगा ? अधिकारियों-नेताओं की ये जिम्मेदारी बनती थी कि बाढ़ में टूटी सड़क दुबारा बनाई जाए ताकि लोगों को आवाजाही में कोई परेशानी नहीं हो, लेकिन जिस तरह से यहां अनदेखी की गयी वो दिखाता है कि अधिकारियों-नेताओं को आम आदमी की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है.
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