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उतेरा खेती से किसानों को मिलेगा दोगुना मुनाफा - Benefits of Utera farming

छत्तीसगढ़ के किसान उतेरा खेती से दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं.आईए जानते हैं कैसे करते हैं उतेरा की खेती.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Benefits of Utera farming
उतेरा खेती क्या होती है (ETV Bharat Chhattisgarh)

रायपुर : उतेरा खेती क्या होती है. उतेरा खेती कैसे की जाती है. छत्तीसगढ़ के किसान उतेरा की खेती कौन सी मुख्य फसल के साथ करते हैं. उतेरा की खेती में किन-किन फसलों की बोनी की जाती है. इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के जरिए देने वाले हैं. उतेरा की खेती से किसान ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं.

मुख्य फसल के साथ होती है खेती : किसान अपने खेतों में मुख्यत: एक ही फसल लगाते हैं.लेकिन मुख्य फसल के साथ भी किसान चाहे तो अपने खेत में दूसरी फसल की खेती कर सकते हैं.जिससे किसान भाईयों को दोगुना लाभ मिलता है. मुख्य फसल के साथ उतेरा खेती करके प्रदेश के किसान अतिरिक्त आमदनी और लाभ कमा सकते हैं. प्रदेश के किसान धान की मुख्य फसल के साथ धान की कटाई के ठीक 1 महीना पहले सिंचाई सुविधाओं के अभाव वाले क्षेत्रों में उतेरा की खेती करते हैं. जिसमें दलहन, तिलहन फसल में अलसी, लाखड़ी मूंग और उड़द जैसी चीजों की बोनी करते हैं.

Benefits of Utera farming
कैसे करें उतेरा की खेती ? (ETV Bharat Chhattisgarh)
कैसे करें उतेरा की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया कि "अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसान उतेरा की खेती अधिकांश हिस्सों में करते हैं. छत्तीसगढ़ में दूरस्थ अंचल और जहां पर सिंचाई सुविधाओं का अभाव है. निचली जमीन पर किसान उतेरा की खेती करते हैं.
उतेरा खेती से किसानों को मिलेगा दोगुना मुनाफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

उतेरा की खेती मुख्य रूप से धान की फसल के साथ की जाती है. जिसमें अलसी, लाखड़ी, बटरा बटरी, मूंग और उड़द प्रमुख है. इन सभी चीजों को खड़ी फसल में बोनी की जाती है. खासतौर पर धान कटाई के एक महीना पहले छत्तीसगढ़ के किसान इन चीजों की बोनी कर देते हैं. धान कटाई के बाद जिन अन्य फसलों की बोनी की गयी है वे फसल आसानी से जमीन के ऊपर आ जाते. उतेरा खेती 2 महीने के समय में पूरी हो जाती है- आरएल खरे,कुलसचिव,महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय

कितनी जमीन में होती है खेती ?: कुलसचिव आरएल खरे ने बताया कि कुछ ऐसे भी किसान हैं जो धान के अलावा दूसरी फसल नहीं ले पाते हैं. उनके लिए उतेरा खेती महत्वपूर्ण स्थान रखती है. उतेरा की खेती करने के लिए कन्हार मिट्टी वाली जमीन की जरूरत पड़ती है. बिना सिंचाई सुविधाओं के उतेरा खेती को आसानी से की जा सकती है. दलहनी फसल का पोषण में भी महत्वपूर्ण स्थान है. जिसमें 20 से 25% तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. उतेरा की खेती करने के लिए आधा से 1 एकड़ जमीन भी पर्याप्त होती है.

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रायपुर : उतेरा खेती क्या होती है. उतेरा खेती कैसे की जाती है. छत्तीसगढ़ के किसान उतेरा की खेती कौन सी मुख्य फसल के साथ करते हैं. उतेरा की खेती में किन-किन फसलों की बोनी की जाती है. इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के जरिए देने वाले हैं. उतेरा की खेती से किसान ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं.

मुख्य फसल के साथ होती है खेती : किसान अपने खेतों में मुख्यत: एक ही फसल लगाते हैं.लेकिन मुख्य फसल के साथ भी किसान चाहे तो अपने खेत में दूसरी फसल की खेती कर सकते हैं.जिससे किसान भाईयों को दोगुना लाभ मिलता है. मुख्य फसल के साथ उतेरा खेती करके प्रदेश के किसान अतिरिक्त आमदनी और लाभ कमा सकते हैं. प्रदेश के किसान धान की मुख्य फसल के साथ धान की कटाई के ठीक 1 महीना पहले सिंचाई सुविधाओं के अभाव वाले क्षेत्रों में उतेरा की खेती करते हैं. जिसमें दलहन, तिलहन फसल में अलसी, लाखड़ी मूंग और उड़द जैसी चीजों की बोनी करते हैं.

Benefits of Utera farming
कैसे करें उतेरा की खेती ? (ETV Bharat Chhattisgarh)
कैसे करें उतेरा की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया कि "अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसान उतेरा की खेती अधिकांश हिस्सों में करते हैं. छत्तीसगढ़ में दूरस्थ अंचल और जहां पर सिंचाई सुविधाओं का अभाव है. निचली जमीन पर किसान उतेरा की खेती करते हैं.
उतेरा खेती से किसानों को मिलेगा दोगुना मुनाफा (ETV Bharat Chhattisgarh)

उतेरा की खेती मुख्य रूप से धान की फसल के साथ की जाती है. जिसमें अलसी, लाखड़ी, बटरा बटरी, मूंग और उड़द प्रमुख है. इन सभी चीजों को खड़ी फसल में बोनी की जाती है. खासतौर पर धान कटाई के एक महीना पहले छत्तीसगढ़ के किसान इन चीजों की बोनी कर देते हैं. धान कटाई के बाद जिन अन्य फसलों की बोनी की गयी है वे फसल आसानी से जमीन के ऊपर आ जाते. उतेरा खेती 2 महीने के समय में पूरी हो जाती है- आरएल खरे,कुलसचिव,महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय

कितनी जमीन में होती है खेती ?: कुलसचिव आरएल खरे ने बताया कि कुछ ऐसे भी किसान हैं जो धान के अलावा दूसरी फसल नहीं ले पाते हैं. उनके लिए उतेरा खेती महत्वपूर्ण स्थान रखती है. उतेरा की खेती करने के लिए कन्हार मिट्टी वाली जमीन की जरूरत पड़ती है. बिना सिंचाई सुविधाओं के उतेरा खेती को आसानी से की जा सकती है. दलहनी फसल का पोषण में भी महत्वपूर्ण स्थान है. जिसमें 20 से 25% तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है. उतेरा की खेती करने के लिए आधा से 1 एकड़ जमीन भी पर्याप्त होती है.

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