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देहरादून का एक ऐसा मंदिर जहां साल 1804 से जल रही अखंड ज्योति और हवन कुंड, जानिए चमत्कारी रहस्य - DAAT KALI MANDIR DEHRADUN

देहरादून के मां डांट काली मंदिर में साल 1804 से अखंड ज्योति और हवन कुंड जल रही है. जानिए इस मंदिर की मान्यता?

Daat Kali Mandir Dehradun
मां डाट काली मंदिर की महिमा (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 9, 2024, 6:35 AM IST

Updated : Oct 9, 2024, 7:05 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सैकड़ों प्राचीन और पौराणिक मंदिर हैं, जिनकी बड़ी मान्यताएं हैं. इन्हीं में एक मंदिर देहरादून से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर मौजूद है. जिसे मां डाट काली मंदिर से जाना जाता है. जहां रोजाना करीब 500 से 1000 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं तो वहीं नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या हजारों तक पहुंचती है. मां डाट काली मंदिर का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान किया गया था. साल 1804 में मंदिर के निर्माण के दौरान जलाई गई अखंड ज्योति और हवन कुंड तब से जल रही है.

नया वाहन खरीदने के बाद डाट काली मंदिर में की जाती है पूजा: उत्तराखंड में तमाम सिद्धपीठ भी मौजूद हैं, इन्हीं सिद्ध पीठों में से एक सिद्ध पीठ मां डाट काली मंदिर भी है. डाट काली मंदिर की यूं तो तमाम मान्यताएं और परंपराएं हैं. जिसमें परंपराओं की बात करें तो इस मंदिर से जुड़ी एक मुख्य परंपरा सदियों से चली आ रही है. जिसके तहत जब कोई व्यक्ति नया काम शुरू करता है या फिर कोई नया वाहन खरीदता है तो इस मंदिर में पूजा करवाने जरूर आता है.

ईटीवी भारत संग कीजिए डाट काली मंदिर के दर्शन (वीडियो- ETV Bharat)

साल 1804 से जल रही अखंड ज्योति और हवन कुंड: कहा जाता है कि साल 1804 के दौरान जब सुरंग का निर्माण कार्य किया जा रहा था, उस दौरान जब सुरंग बनाने के लिए दिन के समय मजदूर जितनी भी खुदाई करते थे, वो रात को भर जाती थी. उसी दौरान महंत के पूर्वजों के सपने में एक आदेश आया कि जंगल के बीच में एक मंदिर स्थापित है, वहां से एक शिला लेकर आओ और यहां पर स्थापित करो. इसके बाद साल 1804 में मां डाट काली को सुरंग के पास ही स्थापित किया गया. साथ ही अखंड ज्योति और हवन कुंड को जलाया गया, तब से ही ज्योति और हवन कुंड जल रहा है.

Daat Kali Mandir Dehradun
देहरादून का डाट काली मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं मां डाट काली: वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मां डाट काली मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मां डाट काली मंदिर एक सिद्धपीठ भी है. जहां माता सती के शरीर के एक खंड गिरा था. मां डाट काली मंदिर का प्राचीन नाम मां घाटे वाली देवी था, लेकिन जब साल 1804 में मंदिर के पास मौजूद सुरंग बनी, उसके बाद इस मंदिर का नाम डाट काली मंदिर हो गया. इस सिद्धपीठ की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति जो मनोकामना लेकर यहां आता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

Daat Kali Mandir Dehradun
अखंड हवन कुंड (फोटो- ETV Bharat)

महंत रमन ने बताया कि मां डाट काली के स्थापना के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ, जो जल्द ही बनकर तैयार हो गई. हालांकि, साल 1804 से 1936 तक ये सुरंग कच्ची ही रही, लेकिन 1936 के बाद फिर इस सुरंग को पक्का किया गया था. साथ ही कहा कि मंगलवार, शनिवार और रविवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है. डाट काली माता की बड़ी मान्यता है, यही वजह है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों से भी लोग यहां दर्शन करने आते हैं.

Daat Kali Mandir Dehradun
अखंड हवन कुंड के दर्शन (फोटो- ETV Bharat)

मां डाट काली के दर्शन करने जरूर आता है नव विवाहित जोड़ा: वहीं, मां डाट काली के दर्शन करने पहुंचे तमाम श्रद्धालुओं ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उत्तराखंड वासियों की एक बड़ी मान्यता है, जिसके तहत नव विवाहित जोड़ा माता के मंदिर में आशीर्वाद लेने आता है. साथ ही जो भी व्यक्ति कोई नया वाहन खरीदता है तो वो माता से आशीर्वाद लेने और पूजा करवाने के लिए माता के दरबार जरूर आता है.

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देहरादून: उत्तराखंड में सैकड़ों प्राचीन और पौराणिक मंदिर हैं, जिनकी बड़ी मान्यताएं हैं. इन्हीं में एक मंदिर देहरादून से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर मौजूद है. जिसे मां डाट काली मंदिर से जाना जाता है. जहां रोजाना करीब 500 से 1000 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं तो वहीं नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या हजारों तक पहुंचती है. मां डाट काली मंदिर का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान किया गया था. साल 1804 में मंदिर के निर्माण के दौरान जलाई गई अखंड ज्योति और हवन कुंड तब से जल रही है.

नया वाहन खरीदने के बाद डाट काली मंदिर में की जाती है पूजा: उत्तराखंड में तमाम सिद्धपीठ भी मौजूद हैं, इन्हीं सिद्ध पीठों में से एक सिद्ध पीठ मां डाट काली मंदिर भी है. डाट काली मंदिर की यूं तो तमाम मान्यताएं और परंपराएं हैं. जिसमें परंपराओं की बात करें तो इस मंदिर से जुड़ी एक मुख्य परंपरा सदियों से चली आ रही है. जिसके तहत जब कोई व्यक्ति नया काम शुरू करता है या फिर कोई नया वाहन खरीदता है तो इस मंदिर में पूजा करवाने जरूर आता है.

ईटीवी भारत संग कीजिए डाट काली मंदिर के दर्शन (वीडियो- ETV Bharat)

साल 1804 से जल रही अखंड ज्योति और हवन कुंड: कहा जाता है कि साल 1804 के दौरान जब सुरंग का निर्माण कार्य किया जा रहा था, उस दौरान जब सुरंग बनाने के लिए दिन के समय मजदूर जितनी भी खुदाई करते थे, वो रात को भर जाती थी. उसी दौरान महंत के पूर्वजों के सपने में एक आदेश आया कि जंगल के बीच में एक मंदिर स्थापित है, वहां से एक शिला लेकर आओ और यहां पर स्थापित करो. इसके बाद साल 1804 में मां डाट काली को सुरंग के पास ही स्थापित किया गया. साथ ही अखंड ज्योति और हवन कुंड को जलाया गया, तब से ही ज्योति और हवन कुंड जल रहा है.

Daat Kali Mandir Dehradun
देहरादून का डाट काली मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं मां डाट काली: वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मां डाट काली मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मां डाट काली मंदिर एक सिद्धपीठ भी है. जहां माता सती के शरीर के एक खंड गिरा था. मां डाट काली मंदिर का प्राचीन नाम मां घाटे वाली देवी था, लेकिन जब साल 1804 में मंदिर के पास मौजूद सुरंग बनी, उसके बाद इस मंदिर का नाम डाट काली मंदिर हो गया. इस सिद्धपीठ की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति जो मनोकामना लेकर यहां आता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है.

Daat Kali Mandir Dehradun
अखंड हवन कुंड (फोटो- ETV Bharat)

महंत रमन ने बताया कि मां डाट काली के स्थापना के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ, जो जल्द ही बनकर तैयार हो गई. हालांकि, साल 1804 से 1936 तक ये सुरंग कच्ची ही रही, लेकिन 1936 के बाद फिर इस सुरंग को पक्का किया गया था. साथ ही कहा कि मंगलवार, शनिवार और रविवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है. डाट काली माता की बड़ी मान्यता है, यही वजह है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों से भी लोग यहां दर्शन करने आते हैं.

Daat Kali Mandir Dehradun
अखंड हवन कुंड के दर्शन (फोटो- ETV Bharat)

मां डाट काली के दर्शन करने जरूर आता है नव विवाहित जोड़ा: वहीं, मां डाट काली के दर्शन करने पहुंचे तमाम श्रद्धालुओं ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उत्तराखंड वासियों की एक बड़ी मान्यता है, जिसके तहत नव विवाहित जोड़ा माता के मंदिर में आशीर्वाद लेने आता है. साथ ही जो भी व्यक्ति कोई नया वाहन खरीदता है तो वो माता से आशीर्वाद लेने और पूजा करवाने के लिए माता के दरबार जरूर आता है.

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Last Updated : Oct 9, 2024, 7:05 AM IST
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