ETV Bharat / state

बेलागंज में ढहा सुरेंद्र यादव का 32 साल पुराने 'किला', जानकारों ने गिनाए हार के कारण

बेलागंज से सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह की हार हुई है. इस हार पर चर्चा होनी शुरू हो गई है. पढ़िये, विस्ता से.

belaganj by election
मनोरमा देवी, सुरेंद्र यादव. (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

गया: बिहार के बेलागंज विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी डॉ विश्वनाथ सिंह उपचुनाव हार गए हैं. जेडीयू की प्रत्याशी मनोरमा देवी ने विश्वनाथ सिंह को 21 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया है. सुरेंद्र यादव 32 वर्षों से यहां से विधायक रहे. जेडीयू ने राजद के कद्दावर नेता सह संसद सुरेंद्र यादव के मजबूत किले को भेद दिया. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ सिंह की हार पर चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि राजद का माय समीकरण काम नहीं आया.

वोट बैंक में सेंधमारीः बेलागंज से सुरेंद्र यादव लगातार आठ बार विधायक रहे. इस साल सांसद बने तो सीट खाली हुई. उन्होंने अपने पुत्र विश्वनाथ सिंह को प्रत्याशी बनवाया. लेकिन, विश्वनाथ सिंह अपने पिता की विरासत बचाने में कामयाब नहीं हो सके. राजनीतिक जानकार प्रोफेसर अब्दुल कादिर ने कहा कि बेलागंज में राजद की हार कोई अप्रत्याशित नहीं है. इसके संकेत प्राचार के दौरान ही मिल गये थे, क्योंकि इस बार बदलाव की बायर बही है. जहां तक हार के कारणों का प्रश्न है तो इसका प्रमुख कारण है यादव और मुसलमान मतों का विभाजन.

mnorma devi.
सर्टिफिकेट लेती मनोरमा देवी. (ETV Bharat)

"एमवाई के मतों के विभाजन को आरजेडी नहीं झेल पाई. अंतर सिर्फ़ यह कि जहां यादव मतदाता दो भाग में बंटे, वहां मुसलमानों का विभाजन स्पष्ट रूप से तीन तरफा राजद, जेडीयू और जन सुराज में रहा. एक चेहरे से जनता का ऊब जाना भी एक कारण रहा."- प्रोफेसर अब्दुल कादिर, राजनीतिक जानकार

सभी जात और धर्म का वोट मिलाः प्रोफेसर अब्दुल कादिर का कहना है कि चुनाव के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव के पुत्र जरूर थे, लेकिन वास्तव में यह चुनाव सुरेंद्र यादव लड़ रहे थे. जदयू को महिला प्रत्याशी मैदान में उतारने का भी फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाना जदयू का मास्टर स्टॉक था. जिला परिषद के उपाध्यक्ष और नवनिर्वाचित विधायक मनोरमा देवी के देवर डॉक्टर शीतल प्रसाद यादव ने कहा कि मनोरमा देवी को सभी जात और धर्म के लोगों का वोट मिला है.

कार्यकर्ता थे नाराजः डॉ शीतल प्रसाद यादव नवनिर्वाचित विधायक मनोरमा देवी के पति बिंदेश्वरी यादव उर्फ बिंदी यादव के छोटे भाई हैं. मतदान से पहले तक शीतल यादव राजद के नेता थे. बेलागंज से वह भी प्रत्याशी बनने के लिए राजद के कार्यालय का चक्कर काट रहे थे. टिकट विश्वनाथ सिंह को मिलने के बाद भी शीतल प्रसाद यादव इमामगंज में राजद प्रत्याशी के नामांकन में मौजूद रहे. लेकिन बाद में परिवार के दबाव और राजद में हुई अनदेखी के बाद वह राजद से इस्तीफा देकर अपनी भाभी मनोरमा देवी के चुनाव प्रचार में लग गए.

Vishwanath Singh
प्रचार करते विश्वनाथ सिंह. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"राजद में मेरे जैसे कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही थी, सुरेंद्र यादव 32 वर्षों तक विधायक रहे और फिर उनके बेटे को ही प्रत्याशी बना दिया गया था, अगर राजद प्रत्याशी दूसरे व्यक्ति को बनाता तो कुछ बात बन सकती थी."- शीतल यादव, जेडीयू नेता

लालू यादव ने भी किया था प्रचारः राजद के किले को बचाने के लिए और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव प्रचार करने पहुंचे थे. जस्वी यादव खुद यहां तीन दिनों तक कैंप किए थे. वह सभी समाज के नुमाइंदों से भी मुलाकात कर राजद प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह के पक्ष में वोट करने की अपील करते रहे. बहुबली नेता शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा साहेब ने भी डोर टू डोर प्रचार किया था. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी प्रचार करने पहुंचे थे.

मनोरमा देवी ने जताया आभारः मनोरमा देवी ने बेलागंज क्षेत्र की जनता को जीत के लिए धन्यवाद दिया. कहा कि सब मिलकर के अपनी बेटी की इज्जत बचाई है. यह हमारी जीत नहीं है बल्कि बेलागंज क्षेत्र की जनता की जीत है. उन्होंने बेलागंज की जनता को बधाई देते हुए कहा के जिस तरह से मनोरमा देवी को जनता ने वोट दिया है उसतरह मनोरमा देवी भी क्षेत्र के लोगों के लिए बेटी बहन बनाकर सेवा करेगी. बेलागंज से 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. एनडीए प्रत्याशी मनोरमा देवी को 73334 वोट मिले, जबकि राजद प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह को 51943 वोट मिले. जन सुराज के प्रत्याशी मोहम्मद अमजद 17285 वोट मिले. एआईएमआईएम प्रत्याशी जमीन अली हसन को 3533 वोट प्राप्त हुए.

इसे भी पढ़ेंः

गया: बिहार के बेलागंज विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी डॉ विश्वनाथ सिंह उपचुनाव हार गए हैं. जेडीयू की प्रत्याशी मनोरमा देवी ने विश्वनाथ सिंह को 21 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया है. सुरेंद्र यादव 32 वर्षों से यहां से विधायक रहे. जेडीयू ने राजद के कद्दावर नेता सह संसद सुरेंद्र यादव के मजबूत किले को भेद दिया. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ सिंह की हार पर चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि राजद का माय समीकरण काम नहीं आया.

वोट बैंक में सेंधमारीः बेलागंज से सुरेंद्र यादव लगातार आठ बार विधायक रहे. इस साल सांसद बने तो सीट खाली हुई. उन्होंने अपने पुत्र विश्वनाथ सिंह को प्रत्याशी बनवाया. लेकिन, विश्वनाथ सिंह अपने पिता की विरासत बचाने में कामयाब नहीं हो सके. राजनीतिक जानकार प्रोफेसर अब्दुल कादिर ने कहा कि बेलागंज में राजद की हार कोई अप्रत्याशित नहीं है. इसके संकेत प्राचार के दौरान ही मिल गये थे, क्योंकि इस बार बदलाव की बायर बही है. जहां तक हार के कारणों का प्रश्न है तो इसका प्रमुख कारण है यादव और मुसलमान मतों का विभाजन.

mnorma devi.
सर्टिफिकेट लेती मनोरमा देवी. (ETV Bharat)

"एमवाई के मतों के विभाजन को आरजेडी नहीं झेल पाई. अंतर सिर्फ़ यह कि जहां यादव मतदाता दो भाग में बंटे, वहां मुसलमानों का विभाजन स्पष्ट रूप से तीन तरफा राजद, जेडीयू और जन सुराज में रहा. एक चेहरे से जनता का ऊब जाना भी एक कारण रहा."- प्रोफेसर अब्दुल कादिर, राजनीतिक जानकार

सभी जात और धर्म का वोट मिलाः प्रोफेसर अब्दुल कादिर का कहना है कि चुनाव के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव के पुत्र जरूर थे, लेकिन वास्तव में यह चुनाव सुरेंद्र यादव लड़ रहे थे. जदयू को महिला प्रत्याशी मैदान में उतारने का भी फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाना जदयू का मास्टर स्टॉक था. जिला परिषद के उपाध्यक्ष और नवनिर्वाचित विधायक मनोरमा देवी के देवर डॉक्टर शीतल प्रसाद यादव ने कहा कि मनोरमा देवी को सभी जात और धर्म के लोगों का वोट मिला है.

कार्यकर्ता थे नाराजः डॉ शीतल प्रसाद यादव नवनिर्वाचित विधायक मनोरमा देवी के पति बिंदेश्वरी यादव उर्फ बिंदी यादव के छोटे भाई हैं. मतदान से पहले तक शीतल यादव राजद के नेता थे. बेलागंज से वह भी प्रत्याशी बनने के लिए राजद के कार्यालय का चक्कर काट रहे थे. टिकट विश्वनाथ सिंह को मिलने के बाद भी शीतल प्रसाद यादव इमामगंज में राजद प्रत्याशी के नामांकन में मौजूद रहे. लेकिन बाद में परिवार के दबाव और राजद में हुई अनदेखी के बाद वह राजद से इस्तीफा देकर अपनी भाभी मनोरमा देवी के चुनाव प्रचार में लग गए.

Vishwanath Singh
प्रचार करते विश्वनाथ सिंह. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"राजद में मेरे जैसे कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही थी, सुरेंद्र यादव 32 वर्षों तक विधायक रहे और फिर उनके बेटे को ही प्रत्याशी बना दिया गया था, अगर राजद प्रत्याशी दूसरे व्यक्ति को बनाता तो कुछ बात बन सकती थी."- शीतल यादव, जेडीयू नेता

लालू यादव ने भी किया था प्रचारः राजद के किले को बचाने के लिए और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव प्रचार करने पहुंचे थे. जस्वी यादव खुद यहां तीन दिनों तक कैंप किए थे. वह सभी समाज के नुमाइंदों से भी मुलाकात कर राजद प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह के पक्ष में वोट करने की अपील करते रहे. बहुबली नेता शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा साहेब ने भी डोर टू डोर प्रचार किया था. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी प्रचार करने पहुंचे थे.

मनोरमा देवी ने जताया आभारः मनोरमा देवी ने बेलागंज क्षेत्र की जनता को जीत के लिए धन्यवाद दिया. कहा कि सब मिलकर के अपनी बेटी की इज्जत बचाई है. यह हमारी जीत नहीं है बल्कि बेलागंज क्षेत्र की जनता की जीत है. उन्होंने बेलागंज की जनता को बधाई देते हुए कहा के जिस तरह से मनोरमा देवी को जनता ने वोट दिया है उसतरह मनोरमा देवी भी क्षेत्र के लोगों के लिए बेटी बहन बनाकर सेवा करेगी. बेलागंज से 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. एनडीए प्रत्याशी मनोरमा देवी को 73334 वोट मिले, जबकि राजद प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह को 51943 वोट मिले. जन सुराज के प्रत्याशी मोहम्मद अमजद 17285 वोट मिले. एआईएमआईएम प्रत्याशी जमीन अली हसन को 3533 वोट प्राप्त हुए.

इसे भी पढ़ेंः

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.