उत्तरकाशी: गोविंद पशु विहार क्षेत्र के ओसला गांव में भालू के हमले में घायल युवक की उपचार के दौरान दम तोड़ दिया है. परिजनों ने ग्रामीणों के सहयोग से घायल को 4 किमी पीठ पर उठाकर पहले ढाटमीर पहुंचाया, फिर निजी वाहन से उसे सीएचसी मोरी पहुंचाया. जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे हायर सेंटर देहरादून के लिए रेफर कर दिया, लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे दून अस्पताल से महंत इंद्रेश अस्पताल रेफर किया गया. जहां उपचार के दौरान युवक ने दम तोड़ दिया.
ओसला गांव के चैन दास पर भालू ने किया था हमला: जानकारी के मुताबिक, बीती रोज यानी 21 सितंबर को दिन में करीब एक बजे ओसला गांव निवासी चैन दास पुत्र रकम दास (उम्र ( 20 वर्ष) अपने खेतों में काम करने गया था. जहां भालू ने अचानक उस पर हमला कर दिया. उसकी चीख पुकार सुन कर पास के खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों ने उसे किसी तरह भालू से बचाया, लेकिन भालू के हमले में उसका चेहरा और जबड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.
4 किमी पैदल ही पीठ पर लादकर चले ग्रामीण: वहीं, घायल चैन दास को पैदल ही पीठ पर लादकर 4 किमी दूर ढाटमीर पहुंचाया. इसके बाद ढाटमीर से निजी वाहन से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी पहुंचाया गया. जहां सीएचसी मोरी में डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे दून अस्पताल रेफर कर दिया. बाद में चैन दास को महंत इंद्रेश अस्पताल रेफर किया गया. जहां उपचार के दौरान चैन दान की मौत हो गई.
पार्क प्रशासन और रेंज अधिकारी पर भी आरोप: युवक के परिजनों और ग्रामीणों ने पार्क प्रशासन व संबंधित रेंज अधिकारी पर घटना की सूचना देने के बाद भी किसी तरह की आर्थिक सहायता न देने का आरोप लगाया. क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष राजपाल सिंह रावत ने घटना पर आक्रोश व्यक्त किया है.
समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिलती तो बच जाती जान: उन्होंने बताया कि पार्क क्षेत्र के अंतर्गत ओसला, गंगाड, ढाटमीर और पवाणी क्षेत्र में हर साल भालू के हमलों से कई महिलाएं व पुरुष घायल या फिर मौत के शिकार हो जाते हैं. शनिवार को भी घटना की सूचना के बाद भी पार्क प्रशासन ने पीड़ित परिवार को कोई मदद नहीं की, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि अगर सड़क होती और समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिलती तो चैन दास की जान बच सकती थी.
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