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धनबाद में सरस्वती पूजा को लेकर उत्साह, एक्सपायर्ड दवाओं से बनाई गई माता की मूर्ति, 50 साल से बीसीसीएल अधिकारी बना रहे प्रतिमा

Saraswati Puja in Dhanbad. धनबाद में सरस्वती पूजा के मौके पर एक्सपायरी दवाओं और माचिस की तीलियों से मूर्ति बनाई गई है. इस प्रतिमा का निर्माण बीसीसीएल के एक अधिकारी ने किया है. वह 50 वर्षों से मूर्तियां बना रहे हैं.

Saraswati Puja in Dhanbad
Saraswati Puja in Dhanbad
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 14, 2024, 7:15 AM IST

एक्सपायर्ड दवाओं से बनाई गई माता की मूर्ति

धनबाद: आज बसंत पंचमी है. इस दिन झारखंड के हर जिले में मां सरस्वती की पूजा की जाती है. खासकर बच्चों में सरस्वती पूजा को लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है. धनबाद जिले में भी सरस्वती पूजा को लेकर काफी उत्साह है. यहां एक से एक अद्भुत पंडाल और मूर्तियां बनाई जाती हैं. इस बार भी प्रतिमाओं का निर्माण नये तरीके से किया गया है. धनबाद में बीसीसीएल सिजुआ एरिया के वरिष्ठ वित्त अधिकारी अभिजीत चटर्जी एक ऐसे ही मूर्तिकार हैं, जो सरस्वती पूजा के दौरान अपनी कला से लोगों का मन मोह लेते हैं.

50 सालों से कर रहे मूर्ति निर्माण

अभिजीत चटर्जी हर साल अपने हाथों से मां सरस्वती की अद्भुत और कलात्मक प्रतिमा बनाकर भक्तों को आश्चर्यचकित करते आ रहे हैं. इस बार भी उन्होंने एक्सपायर्ड दवाइयों और माचिस की तीलियों से मां सरस्वती की अद्भुत प्रतिमा बनाई है. अभिजीत इस वर्ष मूर्तिकला निर्माण में अपना 50वां वर्ष पूरा कर रहे हैं, जिसे वह बेहद खास बनाने की तैयारी कर रहे हैं. उनके कर्मी शहर स्थित उनके आवास पर प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. गोल्डन जुबली वर्ष को खास बनाने के लिए अभिजीत काफी समय से मेहनत कर रहे हैं.

कोयला नगर स्थित दीक्षा महिला मंडल द्वारा साईं मंदिर के पास अन्नपूर्णा हॉल में आयोजित पूजा पंडाल में अभिजीत के हाथों से बनी मां शारदे की प्रतिमा विराजमान होगी. कोयला नगर में जहां एक्सपायर्ड दवाओं से बनी मूर्तियां मौजूद होंगी, वहीं पंडाल में एक ही छत के नीचे पिछले 50 वर्षों में अलग-अलग वस्तुओं से अभिजीत के हाथों से बनाई गई मूर्तियां भी होंगी, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी.

मूर्ति की लंबाई 6 फीट

अभिजीत चटर्जी ने कहा कि आज बीसीसीएल प्रगति कर रहा है, इसलिए मां सरस्वती के रथ को ऊपर की ओर बढ़ते दिखाया गया, जो प्रगति का संकेत है. इस मूर्ति की लंबाई 6 फीट है, जबकि चौड़ाई 3.5 फीट है. वह करीब 6 महीने से एक्सपायर्ड दवाइयों को इकट्ठा कर मूर्ति को आकार दे रहे हैं. इससे पहले उन्होंने कोयला, ट्यूबलाइट, साबुन और मूंगफली के छिलके जैसी चीजों से देवी सरस्वती की मूर्ति बनाई थी. अभिजीत चटर्जी ने कहा कि वह इसी साल रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद वह रांची या कोलकाता में रहना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: Basant panchami : आज है बसंत पंचमी, करें माता सरस्वती की विशेष पूजा

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एक्सपायर्ड दवाओं से बनाई गई माता की मूर्ति

धनबाद: आज बसंत पंचमी है. इस दिन झारखंड के हर जिले में मां सरस्वती की पूजा की जाती है. खासकर बच्चों में सरस्वती पूजा को लेकर एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता है. धनबाद जिले में भी सरस्वती पूजा को लेकर काफी उत्साह है. यहां एक से एक अद्भुत पंडाल और मूर्तियां बनाई जाती हैं. इस बार भी प्रतिमाओं का निर्माण नये तरीके से किया गया है. धनबाद में बीसीसीएल सिजुआ एरिया के वरिष्ठ वित्त अधिकारी अभिजीत चटर्जी एक ऐसे ही मूर्तिकार हैं, जो सरस्वती पूजा के दौरान अपनी कला से लोगों का मन मोह लेते हैं.

50 सालों से कर रहे मूर्ति निर्माण

अभिजीत चटर्जी हर साल अपने हाथों से मां सरस्वती की अद्भुत और कलात्मक प्रतिमा बनाकर भक्तों को आश्चर्यचकित करते आ रहे हैं. इस बार भी उन्होंने एक्सपायर्ड दवाइयों और माचिस की तीलियों से मां सरस्वती की अद्भुत प्रतिमा बनाई है. अभिजीत इस वर्ष मूर्तिकला निर्माण में अपना 50वां वर्ष पूरा कर रहे हैं, जिसे वह बेहद खास बनाने की तैयारी कर रहे हैं. उनके कर्मी शहर स्थित उनके आवास पर प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. गोल्डन जुबली वर्ष को खास बनाने के लिए अभिजीत काफी समय से मेहनत कर रहे हैं.

कोयला नगर स्थित दीक्षा महिला मंडल द्वारा साईं मंदिर के पास अन्नपूर्णा हॉल में आयोजित पूजा पंडाल में अभिजीत के हाथों से बनी मां शारदे की प्रतिमा विराजमान होगी. कोयला नगर में जहां एक्सपायर्ड दवाओं से बनी मूर्तियां मौजूद होंगी, वहीं पंडाल में एक ही छत के नीचे पिछले 50 वर्षों में अलग-अलग वस्तुओं से अभिजीत के हाथों से बनाई गई मूर्तियां भी होंगी, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी.

मूर्ति की लंबाई 6 फीट

अभिजीत चटर्जी ने कहा कि आज बीसीसीएल प्रगति कर रहा है, इसलिए मां सरस्वती के रथ को ऊपर की ओर बढ़ते दिखाया गया, जो प्रगति का संकेत है. इस मूर्ति की लंबाई 6 फीट है, जबकि चौड़ाई 3.5 फीट है. वह करीब 6 महीने से एक्सपायर्ड दवाइयों को इकट्ठा कर मूर्ति को आकार दे रहे हैं. इससे पहले उन्होंने कोयला, ट्यूबलाइट, साबुन और मूंगफली के छिलके जैसी चीजों से देवी सरस्वती की मूर्ति बनाई थी. अभिजीत चटर्जी ने कहा कि वह इसी साल रिटायर हो रहे हैं. इसके बाद वह रांची या कोलकाता में रहना चाहते हैं.

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