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Rajasthan: जज्बे को सलाम : हे प्रभु हर पिता को देना अशोक जैसा लाल, ताकि सबका हो कल्याण

बाड़मेर का बेमिसाल अशोक. पिता को आर्थिक मदद देने के लिए बाजार में दीया बेच रहा मासूम.

DIWALI 2024
बाड़मेर का बेमिसाल अशोक (ETV BHARAT BARMER)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

बाड़मेर : कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले अशोक की उम्र भले ही कम हो, लेकिन जज्बा बड़ा है. पिता को आर्थिक मदद देने के लिए अशोक इन दिनों हाथ ठेले पर रख मिट्टी का दीया बेच रहा है. खास बात यह है कि वो खुद मिट्टी के दीये लाता है और उन पर रंगों से अलग-अलग तरह की डिजाइन बनाता है, ताकि उसके दीपक ज्यादा खूबसूरत लगे और उनकी बिक्री हो सके. शहर के मुख्य बाजार में सुबह से लेकर देर शाम तक अशोक हाथ ठेले लेकर दीया बेचते नजर आता है.

मूल रूप से अशोक जिले के कोलू का निवासी है, लेकिन फिलहाल उसका परिवार बाड़मेर शहर में रह रहा है. उसने बताया कि वो कक्षा 9वीं में पढ़ता है और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वो अपने पिता की मदद करने के लिए इन दिनों दीपावली के दीये बच रहा है. उसने बताया कि उसके परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई है.

छात्र अशोक के जज्बे को सलाम (ETV BHARAT BARMER)

इसे भी पढ़ें - अलवर व भरतपुर के लोग भी दीपावली पर कर सकेंगे आतिशबाजी, सरकार ने दी अनुमति

अशोक ने बताया कि वो बायतु से मिट्टी के सादे दीये लाता है और फिर उस पर कलर से अलग-अलग डिजाइन बनाता है, ताकि वो आकर्षित लगे और जल्दी उसकी बिक्री हो सके. उसने बताया कि इस काम में मेहनत बहुत है, लेकिन परिश्रम के अनुरुप पैसे नहीं मिलते हैं. दिन के समय दो से ढाई सौ तक के माल बिक जाते हैं, लेकिन इसमें भी अधिक मुनाफा नहीं होता है. वहीं, अशोक की उम्र और मेहनत को देखते हुए बाजार में लोग उसके दीयों को खरीद रहे हैं, ताकि मासूम की मदद हो सके और उन्हें भी अच्छे दीये मिल जाए.

बाड़मेर : कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले अशोक की उम्र भले ही कम हो, लेकिन जज्बा बड़ा है. पिता को आर्थिक मदद देने के लिए अशोक इन दिनों हाथ ठेले पर रख मिट्टी का दीया बेच रहा है. खास बात यह है कि वो खुद मिट्टी के दीये लाता है और उन पर रंगों से अलग-अलग तरह की डिजाइन बनाता है, ताकि उसके दीपक ज्यादा खूबसूरत लगे और उनकी बिक्री हो सके. शहर के मुख्य बाजार में सुबह से लेकर देर शाम तक अशोक हाथ ठेले लेकर दीया बेचते नजर आता है.

मूल रूप से अशोक जिले के कोलू का निवासी है, लेकिन फिलहाल उसका परिवार बाड़मेर शहर में रह रहा है. उसने बताया कि वो कक्षा 9वीं में पढ़ता है और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वो अपने पिता की मदद करने के लिए इन दिनों दीपावली के दीये बच रहा है. उसने बताया कि उसके परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई है.

छात्र अशोक के जज्बे को सलाम (ETV BHARAT BARMER)

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अशोक ने बताया कि वो बायतु से मिट्टी के सादे दीये लाता है और फिर उस पर कलर से अलग-अलग डिजाइन बनाता है, ताकि वो आकर्षित लगे और जल्दी उसकी बिक्री हो सके. उसने बताया कि इस काम में मेहनत बहुत है, लेकिन परिश्रम के अनुरुप पैसे नहीं मिलते हैं. दिन के समय दो से ढाई सौ तक के माल बिक जाते हैं, लेकिन इसमें भी अधिक मुनाफा नहीं होता है. वहीं, अशोक की उम्र और मेहनत को देखते हुए बाजार में लोग उसके दीयों को खरीद रहे हैं, ताकि मासूम की मदद हो सके और उन्हें भी अच्छे दीये मिल जाए.

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