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किसानों को ये 'खास' बकरी बनाएगी 'मालामाल', कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में दी जा रही ट्रेनिंग - Barbari Breed Goat Farming

Barbari Breed Goat Farming in Vikasnagar उत्तराखंड में भेड़ और बकरी पालन से लोगों का मोह भंग हो रहा है. लिहाजा, लोगों को बकरी पालन की ओर आकर्षित करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए शैक्षणिक बकरी पालन इकाई की स्थापना की गई है. जिसके तहत बरबरी और जमुनापारी नस्ल की बकरी पालन की जानकारी दी जा रही है. जानिए क्या है बरबरी और जमुनापारी की खासियतें...

Barbari Breed Goat Farming in Vikasnagar
बरबरी बकरी पालन
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 22, 2024, 6:03 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 12:23 PM IST

किसानों को ये 'खास' बकरी बनाएगी 'मालामाल'

विकासनगर: देहरादून जिले का कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी अब किसानों को बकरी पालन को लेकर तकनीकी ज्ञान देगा. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के लिए शैक्षणिक बकरी पालन इकाई की स्थापना की गई है. जहां कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक नई-नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से बकरी पालन की बारीकी और उससे जुड़ी जानकारी किसानों को देंगे.

बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून के वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों के लिए नई-नई टेक्नोलॉजी पर आधारित बागवानी, उद्यान, पशुपालन से जुड़ी जानकारियां देते हैं. साथ ही किसानों से जुड़ी हर एक समस्याओं और क्रियाकलापों पर काम करता आ रहा है. ताकि, किसान तकनीकों से रूबरू होकर कृषि क्षेत्र में अच्छा उत्पादन कर लाभ कमा सकें.

Goat Farming Uttarakhand
बरबरी बकरी

ढकरानी में शैक्षणिक बकरी पालन इकाई स्थापित: वहीं, अब पर्वतीय जिलों के किसानों को बकरी पालन करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से मदद मिलेगी. इसके लिए ढकरानी में शैक्षणिक बकरी पालन इकाई हो चुकी है. लिहाजा, कृषि विज्ञान केंद्र की इस पहल से बकरी पालन में पंख लगने की संभावनाएं हैं. क्योंकि, उत्तराखंड में अब बकरी पालन धीरे-धीरे घटता जा रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रही बकरी की डिमांड, घट रहा बकरी पालन: इतना ही नहीं डिमांड के अपेक्षा पूर्ति नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि उत्तराखंड में बकरी की डिमांड को देखते हुए अन्य राज्यों से से भी बकरियों की आपूर्ति की जा रही है. जबकि, उत्तराखंड में बकरी पालन के लिए मौसम अनुकूल रहता है. ऐसे में किसानों को बकरी पालन से जोड़ने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि केंद्र में पशुपालन को लेकर शोध कार्य किया जा रहा है. उसमें एक नया आयाम बकरी पालन व्यवसाय जुड़ा हुआ है. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से यहां पर किसानों के लिए बकरी पालन इकाई की स्थापना की गई है.

बरबरी और जमुनापारी बनाएगी मालामाल: इसका उद्देश्य किसानों को प्रशिक्षित करना, बकरी पालने के बारे में नई-नई तकनीकों से रूबरू करवाना है. बकरी कई प्रजातियां हैं, जिसमें बरबरी, विट्ठल, जखराना और जमुनापारी है. इस तरह से कई सारी प्रजातियां मैदानी क्षेत्रों में पाई जाती है. अगर पर्वतीय क्षेत्र की बात करें तो बरबरी और जमुनापारी एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

किसी भी जलवायु में पाल सकते हैं ये बकरी: उन्होंने बताया कि बरबरी बकरियां कठिन परिस्थितियों यानी मौसम के विपरीत परिस्थितियों में भी आसानी से सर्वाइव कर सकती है. ये बकरियां पर्वतीय क्षेत्रों या ऊंचाई वाले इलाकों में भी चढ़ जाती हैं. साथ ही किसी भी जलवायु में इसे पाल सकते हैं. यह उन्नत नस्ल की बकरियां है. जिससे काफी मांस निकलता है तो दूध भी काफी देती है. ऐसे में यह बकरी किसानों के लिए अच्छा आय का जरिया बन सकता है.

खास है बरबरी बकरी, ये है पहचान: वैज्ञानिक एके सिंह की मानें तो इस बकरी को अपने घर पर आसानी से पाल सकते हैं. क्योंकि, इसे चराने का झंझट नहीं होता है. इसके अलावा यह बकरी साल में दो बार कई बच्चों को जन्म दे सकती है. यह बकरी मध्यम कद की होती है. साथ ही इसका शरीर काफी गठीला होता है. बरबरी बकरी के शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते हैं. इनका रंग सफेद होता. जिसके ऊपर भूरा या सुनहरे रंग का धब्बा होता है.

इस बकरी को मैदान के गर्म इलाकों के अलावा पहाड़ के ठंडे जगहों पर भी इसे आसानी से पाला जा सकता है. इसके पालन में ज्यादा लागत भी नहीं आती है. वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र ने इस साल बकरी पालन की एक छोटी सी इकाई स्थापित की गई है. जहां बकरियों के आवास, आहार प्रबंधन और स्थानीय रूप में जो बीमारियां हैं, उसके रोकथाम के लिए शोध कार्य किया जा रहा है.

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विकासनगर: देहरादून जिले का कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी अब किसानों को बकरी पालन को लेकर तकनीकी ज्ञान देगा. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के लिए शैक्षणिक बकरी पालन इकाई की स्थापना की गई है. जहां कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक नई-नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से बकरी पालन की बारीकी और उससे जुड़ी जानकारी किसानों को देंगे.

बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून के वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों के लिए नई-नई टेक्नोलॉजी पर आधारित बागवानी, उद्यान, पशुपालन से जुड़ी जानकारियां देते हैं. साथ ही किसानों से जुड़ी हर एक समस्याओं और क्रियाकलापों पर काम करता आ रहा है. ताकि, किसान तकनीकों से रूबरू होकर कृषि क्षेत्र में अच्छा उत्पादन कर लाभ कमा सकें.

Goat Farming Uttarakhand
बरबरी बकरी

ढकरानी में शैक्षणिक बकरी पालन इकाई स्थापित: वहीं, अब पर्वतीय जिलों के किसानों को बकरी पालन करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से मदद मिलेगी. इसके लिए ढकरानी में शैक्षणिक बकरी पालन इकाई हो चुकी है. लिहाजा, कृषि विज्ञान केंद्र की इस पहल से बकरी पालन में पंख लगने की संभावनाएं हैं. क्योंकि, उत्तराखंड में अब बकरी पालन धीरे-धीरे घटता जा रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रही बकरी की डिमांड, घट रहा बकरी पालन: इतना ही नहीं डिमांड के अपेक्षा पूर्ति नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि उत्तराखंड में बकरी की डिमांड को देखते हुए अन्य राज्यों से से भी बकरियों की आपूर्ति की जा रही है. जबकि, उत्तराखंड में बकरी पालन के लिए मौसम अनुकूल रहता है. ऐसे में किसानों को बकरी पालन से जोड़ने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि केंद्र में पशुपालन को लेकर शोध कार्य किया जा रहा है. उसमें एक नया आयाम बकरी पालन व्यवसाय जुड़ा हुआ है. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वित्तीय सहयोग से यहां पर किसानों के लिए बकरी पालन इकाई की स्थापना की गई है.

बरबरी और जमुनापारी बनाएगी मालामाल: इसका उद्देश्य किसानों को प्रशिक्षित करना, बकरी पालने के बारे में नई-नई तकनीकों से रूबरू करवाना है. बकरी कई प्रजातियां हैं, जिसमें बरबरी, विट्ठल, जखराना और जमुनापारी है. इस तरह से कई सारी प्रजातियां मैदानी क्षेत्रों में पाई जाती है. अगर पर्वतीय क्षेत्र की बात करें तो बरबरी और जमुनापारी एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

किसी भी जलवायु में पाल सकते हैं ये बकरी: उन्होंने बताया कि बरबरी बकरियां कठिन परिस्थितियों यानी मौसम के विपरीत परिस्थितियों में भी आसानी से सर्वाइव कर सकती है. ये बकरियां पर्वतीय क्षेत्रों या ऊंचाई वाले इलाकों में भी चढ़ जाती हैं. साथ ही किसी भी जलवायु में इसे पाल सकते हैं. यह उन्नत नस्ल की बकरियां है. जिससे काफी मांस निकलता है तो दूध भी काफी देती है. ऐसे में यह बकरी किसानों के लिए अच्छा आय का जरिया बन सकता है.

खास है बरबरी बकरी, ये है पहचान: वैज्ञानिक एके सिंह की मानें तो इस बकरी को अपने घर पर आसानी से पाल सकते हैं. क्योंकि, इसे चराने का झंझट नहीं होता है. इसके अलावा यह बकरी साल में दो बार कई बच्चों को जन्म दे सकती है. यह बकरी मध्यम कद की होती है. साथ ही इसका शरीर काफी गठीला होता है. बरबरी बकरी के शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते हैं. इनका रंग सफेद होता. जिसके ऊपर भूरा या सुनहरे रंग का धब्बा होता है.

इस बकरी को मैदान के गर्म इलाकों के अलावा पहाड़ के ठंडे जगहों पर भी इसे आसानी से पाला जा सकता है. इसके पालन में ज्यादा लागत भी नहीं आती है. वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र ने इस साल बकरी पालन की एक छोटी सी इकाई स्थापित की गई है. जहां बकरियों के आवास, आहार प्रबंधन और स्थानीय रूप में जो बीमारियां हैं, उसके रोकथाम के लिए शोध कार्य किया जा रहा है.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 12:23 PM IST
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