जयपुर. राजस्थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से भाजपा के महेंद्रजीत सिंह मालवीय को हराने वाले भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत शुक्रवार को जयपुर में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और भजनलाल सरकार के मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से मिले. उन्होंने कहा कि अभी हम स्वतंत्र हैं. जरूरत पड़ी तो इंडिया अलायंस के साथ जाएंगे. जयपुर में मीडिया से बातचीत में राजकुमार रोत ने कहा कि सबके मन में यह सवाल पैदा हो रहा है कि हम किसके साथ हैं. मैं बता दूं कि हम स्वतंत्र चुनाव लड़े थे. महेंद्रजीत सिंह मालवीय कांग्रेस से भाजपा में गए. उन्हें सबक सिखाने के लिए कांग्रेस वाले हमारे साथ आए. उन्होंने हमारा साथ भी दिया.
कांग्रेस-BAP का अधूरा अलायंस : रोत ने कहा कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव में खड़ा रहा. बागीदौरा विधानसभा में भी उनका प्रत्याशी था. ऐसे में यह अधूरा अलायंस था, लेकिन चुनाव में उन्हें कांग्रेस का सहयोग मिला है. इस बात को हम भी मानते हैं. अभी हम गठबंधन में न रहकर स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन जब जरूरत पड़ेगी तो इंडिया अलायंस के साथ जाएंगे. वैसे हम स्वतंत्र रूप से काम करेंगे. इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जीत की बधाई देने के लिए गोविंद सिंह डोटासरा समेत बाकि सबका कॉल आया था, लेकिन हम इंडिया अलायंस का हिस्सा नहीं हैं. हम स्वतंत्र थे और स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन मेरी जीत में कांग्रेस का योगदान रहा है और जब भी मेरी जरूरत पड़ेगी. हम इंडिया अलायंस के साथ जाएंगे, न कि एनडीए के साथ.
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किरोड़ी ही क्यों, कैबिनेट सहित सीएम भी दे इस्तीफा : भाजपा के लिहाज से नतीजे खराब आने और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे की पेशकश के सवाल पर रोत ने कहा कि हमने तो कहा है कि किरोड़ीलाल मीणा ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा दे देना चाहिए. सरकार बनने के बाद से इनके कामकाज से जनता में नाराजगी रही है. उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी प्रकृतिपूजक हैं, न कि वे हिंदू हैं. इसका मतलब यह नहीं कि हम किसी धर्म का विरोध करते हैं. कई आदिवासियों ने अलग-अलग धर्म में आस्था जताई है. कुछ जैन धर्म को मानते हैं. कुछ मुस्लिम और ईसाई धर्म को मानते हैं. कई आदिवासी हिंदू धर्म को मानते हैं. हम कहते हैं कि हम धर्म के बंधन में नहीं हैं. हम प्रकृति पूजक हैं. इसे राजनीतिक रूप से तूल दिया जाता है.
मालवीय को बताई लोकतंत्र की ताकत : राजकुमार रोत ने कहा कि हमारे क्षेत्र में बहुत समस्याएं हैं. सड़क पर रहकर आंदोलन करके हम जनता की जरूरतें पूरी करेंगे. वे बोले- इस बार जनता ने ठान लिया था कि इनका (महेंद्रजीत सिंह मालवीय का) रगड़ा निकालना है. लोकतंत्र की ताकत क्या होती है. जनता ने इसका अहसास मालवीय को करवा दिया है. उन्होंने कहा कि अलग भील प्रदेश की मांग आज की नई मांग नहीं है. गोविंद गुरु भी अलग भील प्रांत की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. उस आंदोलन में अंग्रेजों की गोलीबारी में 1500 आदिवासियों ने बलिदान दिया था. भारत आदिवासी पार्टी अलग भील प्रदेश की मांग पर अडिग है.