देहरादून: उत्तराखंड में चुनाव आयोग ने प्रदेश के ऐसे 24 नेता पर बैन लगाया है, जो बीते साल विधानसभा चुनाव में खड़े तो हुए, लेकिन अपने चुनाव के खर्चे की जानकारी उन्होंने चुनाव आयोग को नहीं दी. अब ये नेता आगामी 3 साल तक किसी तरह का कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हालांकि इन नेताओं में कोई ऐसा बड़ा नेता नहीं है. लेकिन ये खबर उन नेताओ के लिए जरूर चेतावनी की तरह है, जो नए नए चुनावी मैदान में उतरे हैं और उनकी हसरत राजनीति में कुछ कर गुजरने की है.
साल 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून, बागेश्वर, चंपावत और अल्मोड़ा समेत अन्य जनपदों से कुछ ऐसे नेता चुनाव मैदान में खड़े हुए थे, जो भले ही अपनी जमानत भी ना बचा पाए हों, लेकिन उन्होंने झंडे, डंडे, रैली और चुनाव कार्यालय के नाम पर तमाम तरह के खर्चे चुनाव आयोग की नजर में किए थे. ऐसे में हर एक प्रत्याशी को अपना रोजाना का खर्चा चुनाव आयोग को बताना होता है. चुनाव आयोग भी यह मॉनिटरिंग करता है कि कौन सा प्रत्याशी कितने रुपए कहां पर कैसे खर्च कर रहा है. बाद में इन प्रत्याशियों को यह बताना होता है कि उनके पूरे चुनावी खर्चे में इतने पैसे खर्च हुए हैं. लेकिन प्रदेश के 24 नए नवेले नेताओं ने यह जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी. चुनाव आयोग ने अब ऐसे 24 नेताओं को 3 साल तक चुनाव लड़ने पर बना कर दिया है.
ये 24 नेता हैं- पौड़ी से हरी कुमार, गंगोलीहाट से रेखा, खानपुर से मनोरमा त्यागी, घनसाली से विजय प्रकाश, किच्छा से उबेद उल्लाह खान, रायपुर से अमर सिंह सवेदिया, जसपुर से नफीस आजाद, रुड़की से गुलबहार, हरिद्वार ग्रामीण से साजिद अली, घनसाली से विजय प्रकाश, कोटद्वार से महिमा चौधरी, बीएचईएल रायपुर से अजय कुमार और इशांत कुमार, कोटद्वार से महिमा चौधरी, रायपुर रोड से रामू राजोरिया, पिरान कलियर से शहबान, बागेश्वर से अमरीश कुमार, पौड़ी से हरी कुमार, सल्ट से राकेश नाथ, भोले शंकर आर्य, ललित मोहन सिंह, जागेश्वर के मनीष सिंह नेगी, रायपुर रोड से रामू राजोरिया. ये सभी नेता मार्च 2026 तक किसी तरह का कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
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