प्रयागराज : सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में घुसकर वादकारियों से मारपीट और तोड़फोड़ करने की घटना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद गंभीरता से लिया है. घटना को लेकर सिविल जज द्वारा भेजे गए रिफरेंस का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने दोनों आरोपी अधिवक्ताओं रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ के जिला न्यायालय परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने दोनों को आपराधिक और अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनको आपराधिक अवमानना के लिए दंडित किया जाए. कोर्ट ने पूरी घटना को लेकर जिला जज से भी रिपोर्ट मांगी है तथा उनका सीसीटीवी फुटेज आदि देखकर यह पता लगाने को कहा है कि इस घटना में अन्य कौन-कौन लोग व अधिवक्ता शामिल रहे हैं.
रेफरेंस पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने कहा कि इस घटना ने अदालत की कार्रवाई किस प्रकार से संचालित हो रही है, उस पर गंभीर सवाल खड़ा किया है. पीठासीन अधिकारी द्वारा भेजे गए रिफरेंस से पता चलता है कि इन वकीलों की वजह से अदालत की प्रक्रिया पूरी तरीके से ठप हो गई. इस प्रकार की घटनाएं न्यायिक प्रक्रिया के संचालन के लिए गंभीर चुनौती हैं और इनको गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टिया अधिवक्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ द्वारा आपराधिक अवमानना का स्पष्ट मामला है.
सिविल जज द्वारा भेजे गए रेफरेंस में कहा गया है कि सोमवार को उनकी अदालत में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल के सिविल वाद की सुनवाई चल रही थी तभी वकीलों का एक गुट कोर्ट में घुस आया और रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद के मुकदमे की सुनवाई के लिए दबाव बनाने लगा. इसमें वादकारी स्वयं अधिवक्ता है. अधिवक्ता रणविजय सिंह और उनके साथ आए अन्य वकीलों ने सुनवाई का दबाव बनाते हुए वादकारियों को पीटा. पीठासीन अधिकारी से भी दुर्व्यवहार किया गया. सिविल जज ने इन सभी तथ्यों को मुकदमे की सुनवाई के दौरान रिकॉर्ड किया है तथा जिला जज ने इसका रेफरेंस हाई कोर्ट को भेजा है.
पीठासीन अधिकारी ने अपने आदेश में लिखा है कि जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने स्तर से मामले को सुलझाने की कोशिश की मगर रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद अध्यक्ष खुद को बचाने के लिए कोर्ट से बाहर चले गए. इधर रणविजय सिंह के साथ आए वकीलों की भीड़ कोर्ट में डायस तक चली आई और परवेज अंसारी और उनकी पत्नी पर हमला कर दिया. जब दोनों बचने के लिए जज के चेंबर में घुस गए तो वकीलों ने वहां भी घुसकर उनकी पिटाई की. पीठासीन अधिकारी को खुद को बचाने के लिए सीजेएम के चेंबर में भागना पड़ा.
संबंधित पुलिस अधिकारियों को इस घटना की तत्काल सूचना दी गई है. पीठासीन अधिकारी ने खुद की सुरक्षा को भी खतरा जताया है, क्योंकि घटना उनके चैंबर व कोर्ट में हुई है. अधिकारी ने जिस क्रम में पूरी घटना घटित हुई उसी क्रम में अपने आदेश में उसको रिकॉर्ड किया है. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को निर्देश दिया है कि जिला जज की मांग पर पर्याप्त पुलिस बल जिला न्यायालय परिसर में तैनात किया जाए ताकि इस प्रकार की घटना दोबारा ना हो सके.