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भाजपा नेताओं के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक, आक्रोश रैली मामले में प्रशासन ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी - Ban on action against BJP leaders

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 10, 2024, 9:42 PM IST

Jharkhand High Court. 23 को रांची में आयोजित युवा आक्रोश रैली के बाद 51 बीजेपी नेताओं के खिलाफ नामजद और 12000 अन्य पर मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने 18 बीजेपी नेताओं के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

Ban on action against BJP leaders
युवा आक्रोश रैली के दौरान पुलिस के साथ झड़प (ईटीवी भारत- फाइल फोटो)

रांची: 23 अगस्त को भारतीय जनता युवा मोर्चा की आक्रोश रैली के दौरान झड़प मामले रांची पुलिस द्वारा दायर प्राथमिकी मामले में उच्च न्यायालय ने आज भाजपा के 18 नेताओं के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है. इनमें बाबूलाल मरांडी, कर्मवीर सिंह, आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा, दुल्लु महतो, अमर कुमार बाउरी, कुशवाहा शशि भूषण, अपर्णा सेन गुप्ता, डॉ नीरा यादव, शशांक राज, प्रतुल शाहदेव, मंगल मूर्ति तिवारी, सत्येंद्र नाथ तिवारी, अमित कुमार, अमरदीप यादव, आरती कुजूर, वरुण कुमार, इंदु शेखर मिश्रा के नाम शामिल हैं.

अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव (ईटीवी भारत)

मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया है. भाजपा नेताओं की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव, पार्थ जलान, शिवानी जुलका, सुधीर श्रीवास्तव, स्मिता सिन्हा, अमित सिन्हा ने कोर्ट में पक्ष रखा.

अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि लालपुर थाना में संजय कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी के आवेदन पर भाजपा नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कुल 51 नामजद और 12000 अन्य पर मामला दर्ज हुआ था. हत्या के प्रयास की धाराएं तक लगायी गयी थी. आपको बता दें कि आक्रोश रैली के दिन पुलिस के साथ झड़प हुई थी.

पुलिस ने सबसे पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. इसके बाद आंसू गैस के गोले दागे गए थे. रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया गया था. पुलिस का आरोप था कि बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की जा रही थी. भीड़ की तरफ से पुलिस पर पत्थरबाजी भी हुई थी. सब कुछ नेताओं के इशारे पर हो रहा था. पुलिस की कार्रवाई पर असम के मुख्यमंत्री ने गंभीर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने डीजीपी के साथ-साथ रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक पर निशाना साधा था. घटना के दिन भाजपा के कई कार्यकर्ता घायल हुए थे. कई पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए थे.

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अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव (ईटीवी भारत)

मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया है. भाजपा नेताओं की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव, पार्थ जलान, शिवानी जुलका, सुधीर श्रीवास्तव, स्मिता सिन्हा, अमित सिन्हा ने कोर्ट में पक्ष रखा.

अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि लालपुर थाना में संजय कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी के आवेदन पर भाजपा नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कुल 51 नामजद और 12000 अन्य पर मामला दर्ज हुआ था. हत्या के प्रयास की धाराएं तक लगायी गयी थी. आपको बता दें कि आक्रोश रैली के दिन पुलिस के साथ झड़प हुई थी.

पुलिस ने सबसे पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. इसके बाद आंसू गैस के गोले दागे गए थे. रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया गया था. पुलिस का आरोप था कि बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की जा रही थी. भीड़ की तरफ से पुलिस पर पत्थरबाजी भी हुई थी. सब कुछ नेताओं के इशारे पर हो रहा था. पुलिस की कार्रवाई पर असम के मुख्यमंत्री ने गंभीर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने डीजीपी के साथ-साथ रांची के वरीय पुलिस अधीक्षक पर निशाना साधा था. घटना के दिन भाजपा के कई कार्यकर्ता घायल हुए थे. कई पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए थे.

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