शहडोल। एक ओर जहां गांव-गांव में इन दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लोगों को दिया जा रहा है, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आवास योजना का लाभ लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. एक ऐसा ही मामला आदिवासी बहुल इलाका शहडोल जिले से आया है. जहां एक पूरे गांव के ही बैगा आदिवासी आवास के लिए ऑफिसों के चक्कर काट रहे हैं. इसी के तहत आज वो शहडोल जिला मुख्यालय के जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर के नाम ज्ञापन लेकर अपनी समस्या सुनाने पहुंचे और जल्द ही आवास योजना का लाभ दिलाने की बात कही.
हमें भी दिला दो आवास
दरअसल शहडोल जिले के ग्राम पंचायत देवरी नंबर दो जनपद पंचायत गोहपारु के बैगा आदिवासी आज शहडोल जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे. जहां उनका कहना है कि हमें भी प्रधानमंत्री आवास दिलवा दो, देवरी नंबर दो गांव से आए बैगा आदिवासियों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के पोर्टल में नाम जुड़वाने के लिए वो यहां शिकायत लेकर पहुंचे हैं. आज कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे. इन बैगा आदिवासियों का कहना है कि उन्हें भी आवास योजना का लाभ दिलाया जाए. उनके घर अभी कच्चे मकान ही हैं. कभी भी टूट जा रहे हैं, कुछ मकान जर्जर स्थिति में हैं. वो अपने स्तर से हर किसी को कह चुके हैं, कि उन्हें भी आवास योजना का लाभ दिलाए, लेकिन अब तक उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है और इस योजना के लाभ के लिए अब वो जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए हैं.
आवास पोर्टल से नाम गायब
देवरी नंबर दो गांव से आए बैगा आदिवासियों के साथ कुछ महिलाएं भी थीं. उन्होंने कहा कि उन्हें पोषण आहार अनुदान योजना का लाभ तो मिल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ एक भी बैगा आदिवासी को उस गांव में नहीं मिला है, इसकी वजह वो बताते हैं की आवास पोर्टल में उस गांव के बैगा आदिवासियों का नाम ही नहीं है. या यूं कहें कि नाम ही गायब है. जिसकी वजह से बार-बार सचिव सरपंच के चक्कर काटने के बाद भी उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसीलिए अब उनकी मांग है कि उन सभी बैगा आदिवासी परिवारों का नाम भी प्रधानमंत्री आवास योजना के पोर्टल में जुड़वा दिया जाए जिससे वह इस आवास योजना का लाभ ले सकें.
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जल्द जुड़ जाएगा नाम
इस पूरे मामले को लेकर असिस्टेंट कमिश्नर ट्राइबल आनंद रॉय सिन्हा का कहना है कि इनका नाम छूट गया है. हालांकि हमारे पोषण आहार अनुदान योजना में इनका नाम शामिल है और इसका लाभ महिलाओं को मिल रहा है. हम इस गांव के बैगा आदिवासियों का सर्वे भी एक वीक के अंदर करवा लेंगे, और फिर इनका नाम दिल्ली बात करके पोर्टल में जुड़वा दिया जाएगा. जितनी भी संख्या होगी, कोई भी परिवार नहीं छूटेगा. इसमें किसी की कमी नहीं है. पोर्टल का इशू है इसके लिए परियोजना ने दिल्ली में भी बात की थी. वहां भी कहा गया है की सर्वे कर लीजिए. 31st जनवरी तक हम लोग सब करवा लेंगे. फिर इनका नाम पोर्टल में जुड़ जाएगा.