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ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बने जंगली सूअर, महिलाओं ने रात में की पहरेदारी, खदेड़ा गांव से बाहर - Bahuli Villagers Wild Boar - BAHULI VILLAGERS WILD BOAR

Pig Damage Crop in Bageshwar बागेश्वर के बहुली गांव में जंगली सूअर से ग्रामीण इस कदर परेशान हैं कि उन्हें रात-रातभर जाग कर फसलों को बचाने के लिए पहरेदारी करनी पड़ रही है. बीती रात भी जंगली सूअरों को भगाने के लिए महिलाओं ने मोर्चा संभाला और कनस्तर बजाकर उन्हें गांव से बाहर खदेड़कर ही दम लिया.

Pig Damage Crop in Bageshwar
महिलाओं ने सूअर भगाए
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 31, 2024, 7:15 AM IST

बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर के गोमती घाटी के गांवों में जंगली सूअरों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं. जंगली सूअरों के झुंड खेतों में घुसकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. साथ ही हमले का भी डर बना हुआ है. ऐसे में किसान अपनी फसल को बचाने के लिए रातभर पहरा दे रहे हैं. बहुली गांव में भी सूअरों को खदेड़ने के लिए महिलाओं ने मोर्चा संभाला. जहां महिलाओं ने देर रात गांव में घुसे सूअरों को बाहर भगाया.

महिलाओं ने कनस्तर बजाकर सूअरों को खदेड़ा: पहाड़ों में ज्यादातर लोग खेती करते हैं, जिससे उनकी आजीविका चलती है, लेकिन जंगली सूअरों के आतंक के चलते गांव के किसानों को खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बीती रात करीब दस बजे जब सूअरों का एक झुंड बहुली गांव में घुसा तो महिलाओं और बच्चों ने मोर्चा संभाला. उन्होंने लाठी, डंडों और कनस्तर बजाकर सूअरों को गांव से बाहर खदेड़ कर ही दम लिया. हालांकि, इससे समस्या कहीं खत्म होती नजर नहीं आई, लेकिन महिलाओं के इस जज्बे को हर कोई सराह रहा है.

वहींं, बहुली गांव के ग्राम प्रधान सोनी परिहार, आनंदी परिहार, सरस्वती परिहार, गोविन्दी देवी, कमला परिहार, भगवती रौतेला, विमला नेगी, हर्षिता परिहार, वर्षा नेगी, कंचन सिंह, डूंगर सिंह, माधो सिंह, राहुल सिंह, खीम सिंह, दीपक परिहार आदि ग्रामीणों ने बताया कि आलू और गेहूं की फसल को जंगली सूअरों ने काफी नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते लोगों की आर्थिक हालत भी कमजोर हो रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से जंगली सूअरों को रोकने की मांगे की. साथ ही कहा कि फसलों को बचाने के लिए इन जंगली सूअरों को पकड़ कर कहीं दूर छोड़ा जाए.

ग्रामीण दीपक परिहार का कहना है कि एक तरफ जब हमारी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कर रही है, लेकिन किसान जंगली जानवरों से अपनी फसल ही नहीं बचा पाएंगे तो आय का सवाल तो काफी पीछे चला जाता है. सबसे पहले तो बात उस प्रबंधन की होनी चाहिए, जिससे जो फसल कटाई होने तक बची तो रहे. जब लागत निकलेगी, तब ही आय के बारे में सोच पाएंगे. उन्होंने कहा कि सबसे पहले जंगली सूअरों से खेतों को बचाने के उपायों पर विचार कर कोई ठोस कदम उठाए जाए.

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी: वहीं, ग्राम प्रधान सोनी परिहार ने बताया कि कई बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी न तो इनके आतंक से निजात दिलाई जा रही है और न ही किसानों को कोई मुआवजा दिया जा रहा है. परेशान किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वन विभाग ने जंगली सूअरों की समस्या से निजात नहीं दिलाया है तो वो आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे.

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महिलाओं ने कनस्तर बजाकर सूअरों को खदेड़ा: पहाड़ों में ज्यादातर लोग खेती करते हैं, जिससे उनकी आजीविका चलती है, लेकिन जंगली सूअरों के आतंक के चलते गांव के किसानों को खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बीती रात करीब दस बजे जब सूअरों का एक झुंड बहुली गांव में घुसा तो महिलाओं और बच्चों ने मोर्चा संभाला. उन्होंने लाठी, डंडों और कनस्तर बजाकर सूअरों को गांव से बाहर खदेड़ कर ही दम लिया. हालांकि, इससे समस्या कहीं खत्म होती नजर नहीं आई, लेकिन महिलाओं के इस जज्बे को हर कोई सराह रहा है.

वहींं, बहुली गांव के ग्राम प्रधान सोनी परिहार, आनंदी परिहार, सरस्वती परिहार, गोविन्दी देवी, कमला परिहार, भगवती रौतेला, विमला नेगी, हर्षिता परिहार, वर्षा नेगी, कंचन सिंह, डूंगर सिंह, माधो सिंह, राहुल सिंह, खीम सिंह, दीपक परिहार आदि ग्रामीणों ने बताया कि आलू और गेहूं की फसल को जंगली सूअरों ने काफी नुकसान पहुंचाया है. जिसके चलते लोगों की आर्थिक हालत भी कमजोर हो रहे हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से जंगली सूअरों को रोकने की मांगे की. साथ ही कहा कि फसलों को बचाने के लिए इन जंगली सूअरों को पकड़ कर कहीं दूर छोड़ा जाए.

ग्रामीण दीपक परिहार का कहना है कि एक तरफ जब हमारी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो कर रही है, लेकिन किसान जंगली जानवरों से अपनी फसल ही नहीं बचा पाएंगे तो आय का सवाल तो काफी पीछे चला जाता है. सबसे पहले तो बात उस प्रबंधन की होनी चाहिए, जिससे जो फसल कटाई होने तक बची तो रहे. जब लागत निकलेगी, तब ही आय के बारे में सोच पाएंगे. उन्होंने कहा कि सबसे पहले जंगली सूअरों से खेतों को बचाने के उपायों पर विचार कर कोई ठोस कदम उठाए जाए.

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी: वहीं, ग्राम प्रधान सोनी परिहार ने बताया कि कई बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी न तो इनके आतंक से निजात दिलाई जा रही है और न ही किसानों को कोई मुआवजा दिया जा रहा है. परेशान किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वन विभाग ने जंगली सूअरों की समस्या से निजात नहीं दिलाया है तो वो आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे.

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