बगहाः चैत्र या शारदीय नवरात्र के दौरान माताजी के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगना कोई नयी बात नहीं है, लेकिन बगहा के वाल्मीकिनगर के गोबरहिया स्थान पर नवरात्र के दौरान लगनेवाला मेला कुछ अलग ही कहानी कहता है. 'भूतों का मेला' के नाम से प्रसिद्ध हो चुके इस मेले में लोग भूत-प्रेत से मुक्ति के लिए आते हैं. लोगों का विश्वास है कि यहां आकर उन्हें प्रेतात्माओं से मुक्ति मिल जाती है.
यूपी और नेपाल से भी आते हैं लोगः वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल के बीच स्थित गोबरहिया स्थान पर वर्ष 2001 से भूत-प्रेत से मुक्ति का यह खेल चलता आ रहा है. यहां बिहार के अलावा यूपी और नेपाल के दूरदराज के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और भूत-प्रेत की बाधाओं समेत बांझपन और अन्य समस्याओं से निजात पाने की गुहार लगाते हैं.
कील ठोककर मिलती है बाधाओं से मुक्तिः यहां कील ठोककर, नारियल चढ़ाकर और कपूर की ज्योत जलाकर भूत प्रेत के साये से मुक्ति मिलती है.गोबरहिया स्थान के पुजारी हरेंद्र राम उर्फ ललका बाबा का कहना है कि "समस्याओं से ग्रसित लोग श्रद्धा से पहुंचते हैं और कपूर-अगरबत्ती जला कर माता से गुहार लगाते हैं. यहां सिर्फ भूत-प्रेत की बाधाओं से ग्रसित लोग ही नहीं आते बल्कि दूसरी समस्याओँ से परेशान लोग भी आते हैं."
शारदीय और चैत्र नवरात्र में उमड़ती है भीड़ः यूपी के गोरखपुर से आई महिला ने बताया कि " माता यहां आनेवाले हर व्यक्ति की मुराद पूरी करती हैं." इस जगह पर शारदीय और चैत्र नवरात्र में लोगों का तांता लगा रहता है. चैत्र महीने में तो 15 दिनों तक भारी भीड़ उमड़ती है.आपको यहां सर पटकते, जमीन पर लोट-पोट होते, नाचते-गाते और विलाप करते लोग नजर आ जाएंगे.
ये भी पढ़ेंःलो जी! वैज्ञानिक युग में हाईटेक हुए भूत, मोबाइल कॉल से प्रेत-बाधा दूर करने का दावा